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________________ ५७८ लोक-प्रज्ञप्ति तिर्यक् लोक : वार्षिकी आवृत्तियों में चन्द्र-सूर्य के नक्षत्रों का योगकाल सूत्र १०६८ वासिक्कियासु आउटियासु चंदेण सूरेण य णक्खत्त- वार्षिकी आवृत्तियों में चन्द्र-सूर्य के नक्षत्रों का योग जोगकालो-- काल६८. तत्थ खलु इमाओ पंचवासिकीओ, पंच हेमंतीओ आउट्टिओ ६८. इनमें ये पाँच वार्षिकी (वर्षाकाल भाविनी) और पाँच पण्णत्ताओ, हेमंति आवृत्तियाँ कही गई हैं१. (क) प०-ता एएसि णं पंचण्ह संवच्छराणं पढम (१) (क) प्र०-इन पाँच संवत्सरों की पहली वार्षिकी वासिक्किं आउट्टि चन्दे केणं णक्खत्तेणं जोएइ? आवृत्ति में चन्द्र किस नक्षत्र से योग करता है ? उ०-ता अभिईणा, अभिइस्स पढमसमएणं, उ०-चन्द्र अभिजित नक्षत्र के प्रथम समय में अभिजित ___ नक्षत्र से योग करता है। (ख) ५०--तं समयं च सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएइ? (ख) प्र०-उस समय सूर्य किस नक्षत्र से योग करता है ? उ०—ता पूसेणं, पूसस्स एगूणवीसं मुहुत्ता तेतालीसं उ.-पुष्य के उन्नीस मुहूर्त एक मुहूर्त के बासठ भागों में च बावविभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्त- से तियालीस भाग और बासठवें भाग के सड़सठ भागों में से द्विधा तेतीसं चुणिया भागा सेसा, तेतीस चूणिका भाग शेष रहने पर चन्द्र पुष्य नक्षत्र से योग करता है। २. (क) ५०-ता एएसि णं पंचण्हं संवच्छराणं दोच्चं (२) (क) प्र०-इन पाँच संवत्सरों की दूसरी वार्षिकी वासिक्कं आउट्टि चन्दे केणं णक्खत्तेणं जोएइ? आवृत्ति में चन्द्र किस नक्षत्र से योग करता हैं ? उ०-ता संठाणाहि, संठाणाणं एक्कारस मुहुत्ते, उ०-मृगसर के इग्यारह मुहूर्त, एक मुहूर्त के बासठ भागों एगूणतालीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स, बावट्ठि- में से गुनतालीस भाग और बासठवें भाग के सड़सठ भागों में से भागं च सत्तद्विधा छत्ता, तेपण्णं चुण्णिया वेपन चूणिका भाग शेष रहने पर चन्द्र मृगशिर नक्षत्र से योग भागा सेसा, करता है। (ख) प०-तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? (ख) प्र०-उस समय सूर्य किस नक्षत्र से योग करता है ? उ०-ता पूसे णं, पूसस्स णं तं चेव, जं पढमाए, उ०-प्रथम वार्षिकी आवृत्ति के समान सूर्य पुष्य नक्षत्र के साथ योग करता है। ३. (क) प०–एएसि ण पंचव्ह संवच्छराणं तच्च वासिक्कि (३) (क) प्र०-इन पाँच संवत्सरों की तीसरी वार्षिको आउट्टि चन्दे केणं णक्खत्तेण जोएइ? आवृत्ति में चन्द्र किस नक्षत्र से योग करता है ? । उ०-ता विसाहाहि, विसाहा णं तेरस मुहत्ता, चउ- उ-विशाखा के तेरह मुहूर्त एक मुहूर्त के बासठ भागों में प्पण्णं च बाबविभागं च सत्तद्विधा छत्ता, से चोवन भाग और बासठवें भाग के सड़सठ भागों में से चालीस चत्तालीस चुणिया भागा सेसा, चूणिका भाग शेष रहने पर चन्द्र विशाखा नक्षत्र से योग करता है। (ख) ५०-तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? (ख) प्र०-उस समय सूर्य किस नक्षत्र से योग करता है ? उ०-ता पूसे णं, पूसस्स णं तं चेव, जं पढमाए। उ०-प्रथम वार्षिकी आवृत्ति के समान सूर्य पुष्य नक्षत्र के साथ योग करता है। ४. (क) ५०–ता एएसि णं पंचण्ह संवच्छराणं च उत्थं (४) (क) प्र०-इन पाँच सवत्सरों की चौथी वार्षिकी वासिक्किं आउटि चन्दे केणं णक्खत्तेणं जोएइ? आवृत्ति में चन्द्र किस नक्षत्र से योग करता है ? उ०–ता रेवईहि, रेवईणं पणवीस मुहत्ता बत्तीसं च उ०-रेवती के पच्चीस मुहूर्त, एक मुहूर्त के बासठ भागों बासटिठभागा महत्तस्स, बावट्ठिभागं च सत्त- में से बत्तीस भाग और बासठवें भाग के सड़सठ भागों में से टिठधा छत्ता छत्तीसं चण्णिया भागा सेसा, छत्तीस चूणिका भाग शेष रहने पर चन्द्र रेवती नक्षत्र से योग करता है। (ख) प०-त समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएइ? (ख) प्र०-उस समय सूर्य किस नक्षत्र से योग करता है ?
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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