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________________ सूत्र १०६७ लिक् लोक हेमंत आवृत्तियों में चन्द्र-सूर्य से नक्षत्रों का योगकाल गणितानुयोग (ख) प० - तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? उ०- ता उत्तराहि आसाढाहि उत्तराणं आसाढाणं चरिम समए, २. (क) प० ता एएसि णं पंचन्हं संवच्छराणं दोच्चं हेमंति आउट्टि चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? उ०- ता सतभिसयाहि सतभिसयाणं दुन्निमुहुत्ता अट्ठावीस चा बावट्टभागा मुहुत्तस्स बावट्टिभागं साता छतालों व चुम्बिया भागा सेसा, (ख) प० तं समयं सूरे जोए ? उ०- ता उत्तराहि आसाढाहि उत्तराणं आसाढाणं चरिम समए, ३. (क) प० - ता एएसि णं पंचण्हं संवछराणं तच्चं हेमंति भट्ट चंदे के जोए ? उ०- ता पूसे णं, पूसस्स एगूणवीसं मुहुत्ता, तेतालीसं च बावट्टिभागा मुहुत्तस्स, बावट्टिभागं च सत्तद्विधा छता तेत्तीसं चुण्णियाभागा सेसा, (ख) प० - तं समयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? उ०- ता उत्तराहि आसाढाहि उत्तराणं आसाढाणं चरिम समए, ४. (क) प० -ता एएसि णं पंचन्हं संबच्छराणं चउत्थि आउदिन्ये केण व जोए ? उ० -ता मूले णं, मूलस्स छमुहुत्ता, अट्ठावन्न च बावट्टिभागा मुहुत्तस्स, बावट्टिभाग सत्तद्विधा छत्ता वीसं चुण्णिया भागा सेसा, (ख) प० - तं समयं च णं सूरे केणं णक्वत्तेणं जोएइ ? उ०- ता उत्तराहि असाढाहि, उत्तराणं आसाढा णं, चरिम समए, ५. (क) प० –ता एएसि णं पंचन्हं संवच्छराणं पंचमं हेमंति आउटि चन्दे केणं शक्य जोए ? उ०- ता कत्तियाहि, कत्तियाणं अट्ठारस मुहुत्ता, छत्तीसं च बावट्टिभागा मुहुत्तस्स, बावट्टिभागं च सत्तद्विधा ऐसा छष्णया भागा सेसा (ख) प० - तं समयं च सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएइ ? उ०- ता उत्तराहि आसाढाहि, उत्तराणं आसाढाणं चरिम समए सूरिय. पा. १२, सु. ७७ ५७७ (ख) प्र० -- उस समय सूर्य किस नक्षत्र से योग करता है ? उ०- उत्तराषाढा के अन्तिम समय में सूर्य उससे योग करता है ? (२) (क) प्र० इन पांच मंत्रों की दूसरी हेमंत आवृति में चन्द्र किस नक्षत्र से योग करता है ? उ०- शतभिषक् के दो मुहूर्त, एक मुहूर्त के बासठ भागों में से अठावीस भाग और वासठवें भाग के सड़सठ भागों में से छियालीस नृषिका भाग शेष रहते पर चन्द्र शतभिषक नक्षत्र से योग करता है । (ख) प्र० -उस समय सूर्य किस नक्षत्र से योग करता है ? उ०- उत्तराषाढा के अन्तिम समय में सूर्य उससे योग करता है । (३) (क) प्र० – इन पाँच संवत्सरों की तीसरी हेमंत आवृत्ति में चन्द्र किस नक्षत्र से योग करता है ? उ०- पुष्य के उन्नीस मुहूर्त, एक मुहूर्त के बासठ भागों में से तियालीस भाग और बासठवें भाग के सड़सठ भागों में से तेतीस चूर्णिका भाग शेष रहने पर चन्द्र पुष्य नक्षत्र से योग करता है । (ख) प्र० - उस समय सूर्य किस नक्षत्र से योग करता है ? उ० -- उत्तरषाढा के अन्तिम समय में सूर्य उससे योग करता है । (४) (क) प्र० इन पांच संवत्सरों की बीवी हेमंत आवृति में चन्द्र किस नक्षत्र से योग करता है ? उ० – सूर्य के छः मुहूर्त, एक मुहूर्त के बासठ भागों में से अठावन भाग और बासठवें भाग के सड़सठ भागों में से बीस चूर्णिका भाग शेष रहने पर चन्द्र मूल नक्षत्र से योग करता है । (ख) प्र० - उस समय सूर्य किस नक्षत्र से योग करता हैं ? उ०- उत्तराषाढा के अन्तिम समय में सूर्य उससे योग करता है । (५) (क) प्र० – इन पाँच संवत्सरों की पाँचवीं हेमति आवृत्ति में चन्द्र किस नक्षत्र से योग करता है ? उ०- कृत्तिका के अठारह मुहूर्त एक मुहूर्त के बासठ भागों में से छत्तीस भाग और बासठवें भाग के सड़सठ भागों में से छह पुर्णिका भाग शेष रहने पर चन्द्र कृतिका नक्षत्र से योन करता है । (ख) प्र० -- उस समय सूर्य किस नक्षत्र से योग करता है ? उ० – उत्तराषाढा के अन्तिम समय में सूर्य उससे योग करता है । -
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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