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सूत्र १०६४
तिर्यक् लोक : चन्द्र और सूर्य नक्षत्रों का योगकाल
गणितानुयोग
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चंदेण य सूरेण य णक्खत्ताणं जोगकालं
चन्द्र और सूर्य से नक्षत्रों का योगकाल६४. १. (क) ताजे णं अज्ज णक्खत्ते णं चंदे जोगं जोएइ जंसि ६४. (१) (क) जो चन्द्र मण्डल के जिस देश में जिस नक्षत्र से
देसंसि से णं इमाइं अट्ठ एगूणवीसाइं मुहुत्तसयाई आज योग करता है तो (अठाईस नक्षत्रों के योगकाल के) आठ चउवीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स, बावट्ठिभागं सौ उन्नीस मुहूर्त, एक मुहूर्त के बासठ भागों में से चौवीस भाग च सत्तद्विधा छेत्ता, बाटि चुण्णियामागे उवाइ- और बासठवें भाग के सड़सठ भागों में से बासठ चूर्णिका भाग णावेत्ता पुणरवि से चंदे अण्णेणं सरिसएणं चेव (बीतने के बाद) पुनः वही चन्द्र मंडल के अन्य देश में अन्य
णक्खत्तेणं जोगं जोएइ अण्णंसि देसंसि । सदृश नक्षत्र से योग करता है। (ख)–ता जे णं अज्ज णक्खत्तेणं चंदे जोगं जोएइ, जंसि (ख) जो चन्द्र मण्डल के जिस देश में जिस नक्षत्र से आज
देसंसि से णं इमाइं सोलस अटुतीसं मुहत्तसयाई योग करता है तो (छप्पन नक्षत्रों के योगकाल के) सोलह सौ अउणापण्णं च बावट्टि भागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभाग अड़तीस मुहूर्त एक मुहूर्त के बासठ भागों में से उनपचास भाग च सत्तद्विधा छत्ता, पट्ठि चुणियाभागे उवा- और बासठवें भाग के सड़सठ भागों में से पैसठ चूणिका भाग इणावेत्ता, पुणरवि से णं चंदे ते णं चेव णक्खत्ते (बीतने के बाद) पुनः वही चन्द्र मण्डल के अन्य देश में उसी णं जोगं जोएइ, अण्णंसि देसंसि,
नक्षत्र से योग करता है। (ग)-ता जे णं अज्ज णक्खत्तेणं चंदे जोगं जोएइ, जसि (ग) जो चन्द्र मण्डल के जिस देश में जिस नक्षत्र से आज
देसंति से णं इमाई चउपण्णमुहुत्त सहस्साई णव य योग करता है तो (अठाईस नक्षत्रों से एक युग के योगकाल के) मुहत्त सयाई जवाइणावेत्ता पुणरवि से चंदे अण्णेणं चौवन हजार नौ सौ मुहूर्त (बीतने के बाद) पुनः वही चन्द्र
तारिसएणं णक्खत्तेणं जोगं जोएइ, तंसि देसंसि, मण्डल के उसी देश में अन्य वैसे ही नक्षत्र से योग करता है। (घ)–ता जे णं अज्ज णक्खत्तेणं चंदे जोगं जोएइ जंसि (घ) जो चन्द्र मण्डल के जिस देश में जिस नक्षत्र में आज
देसंसि से णं इमाई एगलक्खं नव य सहस्सं अट्ठ योग करता है तो (अठाईस नक्षत्रों से दो युग के योगकाल के) य मुहत्तसए उवाइणावेत्ता पुणरवि से चंदे ते णं एक लाख नौ हजार आठ सौ मुहर्त (बीतने के बाद) पुनः वही
चेव णक्खत्ते णं जोगं जोएइ तंसि देसंसि, चन्द्र मण्डल के उसी देश में उसी नक्षत्र से योग करता है। २. (क)–ता जे णं अज्ज णक्खत्तेणं सूरे जोगं जोएइ जंसि (२) (क) जो सूर्य मण्डल के जिस देश में जिस नक्षत्र से
देसंसि से णं इमाई तिण्णि छावट्ठाई राइंदिय- आज योग करता है तो तीन सौ छासठ अहोरात्र के बाद पुनः सयाइ उवाइणावेत्ता पुणरवि से सूरिए अग्णे णं वही सूर्य मण्डल के उसी देश में अन्य वैसे ही नक्षत्र से योग तारिसएणं चेव णक्खत्तेणं जोगं जोएइ तंसि करता है।
देसंसि, (ख)–ता जे णं अज्ज णक्खत्तेणं सूरे जोगं जोएड तंसि (ख) जो सूर्य मण्डल के जिस देश में जिस नक्षत्र से आज
देससि से णं इमाई सत्त दुतीसं राइंदियसयाई योग करता है तो सात सौ बत्तीस अहोरात्र के बाद पुनः उवाइणावेत्ता पुणरवि से सूरे अण्णेणं चेव तारि- वही सूर्य मण्डल के उसी देश में अन्य वैसे ही नक्षत्र से योग सएणं णक्खत्तेणं जोगं जोएइ तंसि देसंसि, करता है। -ता जे गं अज्ज णक्खत्तेणं सूरे जोगं जोएइ, जंसि (ग) जो सूर्य मण्डल के जिस देश में जिस नक्षत्र से आज देसंसि से णं इमाइं अट्ठारस तीसाइं राइंदिय- योग करता है तो अठारह सो तीस अहोरात्र के बाद पुनः वही सयाई उवाइणावेत्ता पुणरवि सूरे तेणं णक्खत्तेणं सूर्य मण्डल के उसी देश में अन्य वैसे ही नक्षत्र से योग करता है। जोगं जोएइ, तंसि देसंसि, -ता जे गं अज्ज णक्खत्तेणं सूरे जोगं जोएइ जंसि (घ) जो सूर्य मण्डल के जिस देश में जिस नक्षत्र से आज देसंसि ते णं इमाई छत्तीसं सट्ठाई राइंबियसयाई योग करता है तो छत्तीस सौ साठ (तीन हजार छः सौ साठ) उवाइणावेत्ता पुणरवि से सूरे ते णं चेव णक्खत्तेणं अहोरात्र के बाद पुनः वही सूर्य मण्डल के उसी देश में उसी जोगं जोएइ तं सि देसंसि,'
नक्षत्र से योग करता है। -सूरिय० पा० १०, पाहु० २२, सु० ६६
(ग)
चंद. पा. १०, सु. ६६ ।