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लोक- प्रज्ञप्ति
तिर्यक लोक चन्द्र-सूर्य अर्द्धमास में चन्द्र-सूर्य की मण्डल गति
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एवावा बाहिराणंतरे पथिमिले अनुमण्डले समते भवइ,
तच्चायणगए चंदे पुरत्थिमाए भागाए पविसमाणे बाहिरतश्चस्स पुरथिमिल्लस्स अद्धमण्डलस्स इगयालीसं सत्तट्ठिभागाई जाई चंदे अप्पणो परस्स य चिणं परि
तेरस तलाई जाई चंदे परस्स विि
यरइ,
तेरस सत्तट्ठिभागाइं जाई चंदे अप्पणो परस्स य विवर
एयावया बाहिरतच्चे पुरस्थिमिल्ले अद्धमण्डले समत्ते
भवइ.
ता तच्चायणगए चंदे पच्चत्थिमाए भागाए पविसमाणे बाहिर चउत्थस्स पच्चत्थिमिल्लस्स अद्धमण्डलस्स अभागा, ससद्विभागं च एवकतोसधा छेत्ता अट्ठारस भागाइं जाई चंदे अप्पणो परस्स य चिणं परि
एयावया बाहिरच उत्थ पच्चत्थिमिल्ले अद्धमण्ड समत्ते भवइ
एवं खलु चंदेणं मासेणं चंदे तेरस चउप्पण्णागाई दुवे तेरा नाई डे परस्स चिग्ण परिह
तेरस तेरसगाई जाई चंदे अप्पणो चिण्णाई पडि
यरइ,
चन्द्र. पा. १३ सु. ८१
दुवे इगयालीसगाई दुबे तेरसगाई, अट्ठ सत्तट्टिभागाई सत्तद्विभागं च एक्कतीसधा छत्ता अट्ठारसभागाई जाई चंदे अध्पणो परस्स य चिण्णं पडियरइ, अवराई खलु दुवे तेरसगाई जाई चंदे केणइ अस्सामन्नगाई सयमेव पविट्टित्ता पविद्वित्ता चारं चरइ, इस्सो चंदमासो अभिगमन-नियमणबुद्धि
बुड्ढ - अणवट्टिय संठाण-संठिई विउव्वणगिड्ढि पत्ते रूवी चंदे देवे चंदे देवे, आहिए त्ति वएज्जा,' - सूरिय. पा. १३, सु. ८१
सूत्र १०६३
यह बाह्यानन्तर (बाह्यमण्डल से दूसरा) पश्चिमी अर्द्धमण्डल समाप्त हुआ ।
तृतीय अयनगत चन्द्र बाह्य तृतीय पूर्व अर्द्धमण्डल के सड़सठ भागों में से स्व पर संचरित इकतालीस भागों में जिनमें चन्द्र पूर्वी भाग से प्रवेश करता हुआ गति करता है ।
उसी पूर्वी तृतीय अर्द्धमण्डल के सडसठ भागों में से परसंचरित तेरह भागों में, जिनमें चन्द्र पूर्वी भाग से प्रवेश करता हुआ गति करता है ।
उसी पूर्वी तृतीय अर्द्धमण्डल के सड़सठ भागों में से स्व-पर संचरित तेरह भागों में जिनमें चन्द्र पूर्वी भाग से प्रवेश करता हुआ गति करता है ।
यह बाह्य तृतीय पूर्वी अर्द्धमण्डल समाप्त हुआ ।
तृतीय अयनगत चन्द्र बाह्य चतुर्थ पश्चिमी अर्द्धमण्डल के सड़सठ भागों में से आठ जिनमें चन्द्र पश्चिमी भाग से प्रवेश करता हुआ गति करता है।
यह बाह्य चतुर्थ पश्चिमी अर्द्धमण्डल समाप्त हुआ ।
इस प्रकार चन्द्र मास में चन्द्र पर संचरित चौवन भागों में स्व-संचरित तेरह भागों में तथा दो तेरह भागों में जिनमें चन्द्र प्रवेश कर करके गति करता है ।
सभी स्व-संचरित तेरह भागों में जिनमें चन्द्र प्रवेश करके गति करता है ।
स्व पर संचरित दो इकतालीस भाग दो तेरह भाग सड़सठ भागों में से आठ भाग सडसठवें भाग के इकतीस भागों में से अठारह भाग जिनमें चन्द्र प्रवेश करके गति करता है ।
अन्य दो तेरह भागों में, जिनमें चन्द्र स्वयं किसी असामान्यप्रवेश कर करके गति करता है।
यह चन्द्र देव का चन्द्र मास प्रवेश निष्क्रमण हानि-वृद्धि, अवस्थित, संस्थान संस्थिति, विकुर्वणा, काम-भोगों में आसक्ति चन्द्रदेव आदि कहा गया है ।