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सूत्र १०६२-१०६३
तिर्यक्लोक : चन्द्र-सूर्य अर्द्धमास में चन्द्र-सूर्य की मण्डल-गति
गणितानुयोग
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प०–(ख) ता कहं ते आइच्च चारा ? आहिए त्ति वएज्जा, प्र०-(एक युग में) सूर्य की गति कितनी बार होती है ?
कहे, उ०- ता पंचसंवच्छरिए णं जुगे,
उ०—पाँच संवत्सर का एक युग होता है,
(ऐसे एक युग में) १. अभीई णक्खत्ते पंचचारे सूरेण सद्धि जोगं जोएइ (१) अभिजित नक्षत्र पाँच बार सूर्य के साथ योग करता है, एवं-जाव-,
इस प्रकार--यावत्२-२८. उत्तरासाढा णक्खत्ते पंचचारे सूरेण सद्धि जोगं (२-२८) उत्तराषाढा नक्षत्र पाँच बार सूर्य के साथ योग जोएइ,
करता है। -सूरिय० पा० १०, पाहु. १८, सु० ५२ ।। चन्दाइच्च अद्धमासे चन्दाइच्चाणं मण्डलचार- चन्द्र-सूर्य अद्ध मास में चन्द्र-सूर्य की मण्डल गति६३. १. ५०–ता चंदेणं अद्धमासेणं चंदे कइ मण्डलाई चरइ ? | ६३. (१) प्र०-चन्द्र अर्द्ध मास में चन्द्र कितने मंडलों में गति
करता है ? उ०-ता चउद्दस चउब्भागमण्डलाई चरइ एगं च चउ- उ०-चौदह मंडल और (पन्द्रहवें) मण्डल के एक सौ वीस-सयभागं मण्डलस्स,
चौवीस भागों में से चौथा भाग (अर्थात इकतीस भाग) और
एक भाग में गति करता है ? २.५०-ता आइच्चे णं अद्धमासे णं चंदे कइ मण्डलाइं चरइ? (२) प्र०-सूर्य अर्द्धमास में चन्द्र कितने मंडलों में गति
करता है। उ०-ता सोलस मण्डलाई चरइ, सोलसमण्डलाचारी तया उ० -- सोलह मंडलों में गति करता है और सोलहवें मंडल
अवराई खलु दुवे अट्ठकाइ जाइं चंदे केणइ असा- में गति करते समय अन्य दो आठ भागों में जिनमें चन्द्र किसी
मण्णगाई सयमेव पविट्टित्ता पविद्वित्ता चारं चरइ, असामान्य गति से स्वयं प्रवेश करके गति करता है । ३. ५०-कयराइं खलु दुवे अटुगाई जाइं चंदे केणइ असा- (३) प्र० --ये दो आठ भाग कौनसे हैं जिनमें चन्द्र किसी
मण्णगाइं सयमेव पविट्टित्ता पविद्वित्ता चारं चरइ? असामान्य गति से स्वयं प्रवेश कर करके गति करता है ? उ०—इमाई खलु ते दुवे अट्टगाइ जाइं चंदे केणइ असा- उ०—ये दो आठ भाग हैं, जिनमें चन्द्र किसी असामान्य
मण्णगाइं सयमेव पविट्टित्ता पविद्वित्ता चारं चरइ, गति से स्वयं प्रवेश करके गति करता है। तं जहा
यथा१. निक्खम्ममाणे चेव अमावासंतेणं,
(१) सर्वाभ्यन्तर मंडल से निष्क्रमण करता हुआ धन्द्र अमावस्या को प्रथम अष्टक में किसी असामान्य गति से स्वयं प्रवेश
करके गति करता है। २. पविसमाणे चेव पुण्णिमासितेणं,
(२) सर्व बाह्य मंडल से प्रवेश करता हुआ चन्द्र पूर्णिमा की द्वितीय अष्टक में किसी असामान्य गति से स्वयं प्रवेश कर
करके गति करता है। एयाई खलु दुवे अट्ठगाई जाई चंदे केणई असामण्ण- ये दो आठ भाग हैं, जिनमें चन्द्र किसी असामान्य गति से गाई सयमेव पविट्टित्ता पविट्टित्ता चारं चरइ, प्रवेश कर करके गति करता है । पढम चंदायणं
प्रथम चन्द्रायण-- ता पढमायण गए चंदे दाहिणाए भागाए पविसमाणे प्रथम अयन गत चन्द्र दक्षिण भाग से प्रवेश करता हुआ सत्त अद्धमण्डलाई जाइं चंदे दाहिणाए भागाए पवि- सात अर्द्धमंडलों में जिनमें चन्द्र दक्षिण भाग से प्रवेश करता समाणे चारं चरइ,
हुआ गति करता है।
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चन्द. पा. १० सु०५२ ।