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________________ ५६६ लोक- प्रज्ञप्ति चंदम-सूरियाण ओमासखेत उज्जोय वेस तायवेस' चन्द्र-सूर्यो का अवभासक्षेत्र, उद्योतक्षेत्र, तापक्षेत्र और पगासखेत्तं चप्रकाशक्षेत्र तिर्यक् लोक चन्द्र-सूर्यो का अवभास, उद्योत, ताप और प्रकाशक्षेत्र ६१. ० -ता केवइयं खेत्तं चंदिम-सूरिया ओभासेंति, उज्जोवेंति ६१. प्र० - चन्द्र और सूर्य कितने क्षेत्र को अवभासित करते हैं। तथेति पाति ? आहिएति एमा उद्योतित करते हैं, तपाते हैं तथा प्रकाशित करते हैं ? कहें, उ० – इस सम्बन्ध में बारह प्रतिपत्तियाँ ( मतान्तर) हैं, यथा उ०- तत्थ खलु इमाओ बारसपडिवत्तीओ पण्णत्ताओ, तं जहा सायेंगे एवमाहं १. ता एवं दीचं एवं समुद्र चंदिम सूरिया ओमासेति तितति गाति' एगे एवमाहं " एगे पुण एवमाहं २. सातवी तिमिण समुद्दे चंदिम-सूरिया ओमाति-जावयासति एगे एमा 1 एगे पुग एवमाहं - ३. ता अद्ध चउत्थे दीवे, अद्ध चउत्थे समुद्दे चंदिमसुरिया ओभातिजान-गात एगे एवमाह " ر एमे पुग एवमाहं ४. ता सत्तदोवे, सत्तसमुद्दे चंदिम-सूरिया ओभासेंति, - जाव - पगा सेंति, एगे एवमाहंसु, एगे पुण एवमाहंसु - ५. सासदीवे दससमुद्दे बंदिम-सूरिया ओभासंति जानाति एमे एवमाहं एगे पुष एवमाहं---- ६. ता बारसीये, बारससमुद्दे चदिम-सूरिया ओमासेति -जाय-पगासति एगे एमा " सूत्र १०६१ एगे एमा ७. ता बावालीसं दीवे, बापाली समुद्दे चंदम-सूरिया भाति-जावपणासेति एगे एवमाहं एगे पुण एवमाहंसु ८. ता बावर्त्तार दीवे, बावर्त्तारं समुद्दे चंदिम-सूरिया ओमासेंति- जाव - पगासेंति, एगे एवमाहंसु, इनमें से एक मत (मत वालों ने ऐसा कहा है (१) चन्द्र और सूर्य एक द्वीप तथा एक समुद्र को अवभासित करते हैं, उद्योतित करते हैं, तपाते हैं, प्रकाशित करते हैं । एक (मत वालों) ने फिर ऐसा कहा है (२) चन्द्र और सूर्य तीन द्वीप तथा तीन समुद्रों को अव भासित करते हैं -- यावत् - प्रकाशित करते हैं । एक (मत वालों) ने फिर ऐसा कहा है (२) चन्द्र और सूर्य साढ़े तीन द्वीप तथा साढ़े तीन समुद्रों को अवभासित करते हैं-पावत्प्रकाशित करते हैं। एक (मत वालों ने फिर ऐसा कहा है- (४) चन्द्र और सूर्य सात द्वीपों तथा सात समुद्रों को अवभासित करते हैं- यावत् — प्रकाशित करते हैं । एक (मत वालों) ने फिर ऐसा कहा है (५) चन्द्र और सूर्य दस द्वीप तथा दस समुद्रों को अवभासित करते हैं - यावत् -- प्रकाशित करते हैं । एक (मत बालों) ने फिर ऐसा कहा है (६) चन्द्र और सूर्य बारह द्वीप तथा बारह समुद्रों को अवभाति करते हैं। एक (मत वालों) ने फिर ऐसा कहा है (७) चन्द्र और सूर्य बियालीस द्वीप तथा बियालीस समुद्रों को अवभासित करते है-वाद- प्रकाशित करते हैं। एक (मत वालों) ने फिर ऐसा कहा है (८) चन्द्र और सूर्य बहत्तर द्वीप तथा बहत्तर समुद्रों को अवभासित करते हैं- यावत् - प्रकाशित करते हैं । १ अवभासयन्ति तत्रावभासो ज्ञानस्यापि व्यवह्रीयते अतस्तद्व्यवच्छेदार्थमाह उद्योतयन्ति स चोद्योतो यद्यपि लोके भेदेन प्रसिद्धो यथा सूर्यगत आतप इति चन्द्रगतः प्रकाश इति, तथाप्या तपशब्दश्चन्द्रप्रभायामपि वर्तते तथा चन्द्रातः स्मृतः इति प्रकाशशब्दः सूर्य प्रभायामपि एतश्च प्रायो बहूनां सुप्रतीतं भूयोऽकामा तापयन्ति प्रकाशयन्ति आख्याता इति यदुक्तम् चन्द्रिका कौमुदी ज्योत्स्ना, तत एतदर्थ प्रतिपत्यर्थमुभयसाधारणं
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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