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लोक-प्रज्ञप्ति
तिर्यक् लोक : चन्द्र-सूर्य की परिषदाएं
सूत्र १०५३-१०५५
केवइया महग्गहा परिवारो?'
महाग्रहों का परिबार कितना है ? केवइया णक्खत्ता परिवारो?
नक्षत्रों का परिवार कितना है ? केवइया तारागण कोडाकोडी परिवारो?
ताराओं का परिवार कितना है ? उ०—गोयमा ! अट्टासीइ महग्गहा परिवारो,
उ०-गौतम ! अठयासी महाग्रहों का परिवार है । अट्ठावीसं णक्खत्ता परिवारो,
अट्ठवीस नक्षत्रों का परिवार है । छावद्विसहस्साई णवसया पण्णत्तरा तारागण कोडा- छासठ हजार नौ सौ पचहत्तर कोटाकोटी ताराओं का कोडीओ पण्णत्ताओ।
परिवार है। -जीवा० पडि० ३, उ०२, सु० १६४ चन्दस्स सूरस्स य परिसाओ
चन्द्र-सूर्य की परिषदाएँ५४. चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोयसरण्णो तओ परिसाओ पण्णत्ताओ, ५४. ज्योतिष्केन्द्र ज्योतिषराज चन्द्र की तीन परिषदाएँ कही तं जहा–१. तुम्बा, २. तुडिया, ३. पव्वा ।
गई हैं, यथा-(१) तुम्बा, (२) तुटिका, (३) पर्वा । एवं सामाणिय अग्गमहिसीणं ।
इसी प्रकार सामानिक देवों की तथा अग्रमहिषियों की
परिषदाएं हैं। एवं सूरस्स वि । --ठाणं. अ. ३, उ. २, सु. १६२ इसी प्रकार सूर्य को परिषदाएँ भी हैं।
१ एगमेगस्स णं चन्दिम-सूरियस्स अट्टासीइ अट्ठासीइ महग्गहा परिवारो पण्णत्तो ।
-सम. ८८, सु. १ २ (क) प०–एगमेगस्स णं भंते ! चन्दस्स केवइआ महग्गहा परिवारो? केवइआ णक्खत्ता परिवारो? केवइआ तारागण कोडा
कोडीओ पण्णत्ताओ? उ०—गोयमा ! अट्टासीइ महग्गहा परिवारो, अट्ठावीसं णक्खत्ता परिवारो, छावठ्ठि सहस्साई णवसया पण्णत्तरा तारागण कोडाकोडीओ पण्णत्ताओ।
-जम्बु. वक्ष. ७, सु. १६३ (ख) प.-ता एगमेगस्स णं चन्दस्स देवस्स केवइया गहा परिवारो पण्णत्तो? केवइया णक्खत्ता परिवारो पण्णत्तो? केवइया
तारा परिवारो पण्णत्तो ? उ०–ता एगमेगस्स णं चदस्स देवस्स अट्ठासीति गहा परिवारो पण्णत्तो, अट्ठावीसं णक्खत्ता परिवारो पण्णत्तो । गाहा-छावट्ठिसहस्साई णव चेव सयाई पंचसयराइं । एगससि परिवारो, तारागण कोडिकोडी णं ।। परिवारो पण्णत्तो ।।
-सूरिय. पा. १८, सु. ६१ (ग) चन्द. पा. १८, सु. ६१ ।
सूर्यप्रज्ञप्ति सौवें (१००) सूत्र में भी एक चन्द्र के परिवार की सूचक दो गाथाएँ जीवाभिगम के समान हैं । सूत्र संकलन की विभिन्न शैलियाँ तुलनात्मक अध्ययन के योग्य हैं। चन्द्र-सूर्य के ग्रह परिवार का सूचक समवायांग का सूत्र है । इसी सूत्र के एक अंश को जीवाभिगम के संकलनकर्ता ने उद्धृत करके चन्द्र परिवार की सूचक दो गाथायें उद्धृत की हैं। जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति और सूर्य प्रज्ञप्ति में ग्रह, नक्षत्र, तारा, चन्द्र का परिवार माना गया है, तो सर्वथा संगत है । जीवाभिगम और समवायांग में ग्रह, नक्षत्र, ताराओं को चन्द्र-सूर्य का संयुक्त परिवार माना गया है, किन्तु ग्रह नक्षत्र
और ताराओं का इन्द्र (स्वामी) चन्द्र ही है, सूर्य तो इनका औपचारिक इन्द्र है अतः ग्रह, नक्षत्र, तारा चन्द्र के ही
परिवार है। ३ प्र०-सूरस्स णं भंते ! जोइसिंदस्स जोइसरण्णो कति परिसाओ पण्णत्ताओ। उ०-गोयमा ! तिण्णि परिसाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-(१) तुम्बा, (२) तुडिया, (३) पेच्चा, (१) अभिंतरिया तुम्बा, (२) मज्झिमिया तुडिया, (३) बाहिरिया पेच्चा"..."चन्दस्स वि एवं चेव ।
-जीवा. प. ३, उ. १, सु. १२२