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सोम-प्राप्ति
(ग) प० - ता दिवड्ढ - पोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गए वा, सेसे वा ?
उ०-ता पंचभागे गए बा, सेसे वा ।
(घ) प० - ता बि-पोरिसी णं छाया दिवसस्स कि गए वा, सेसे वा ?
उ०
-छब्भा गगए वा,
उ०
तिर्यक् लोक : पौरुषी छाया का प्रमाण
सेसे वा
प० - ता अड्ढाइज्ज -पोरिसी णं छाया दिवसस्स कि गए वा, सेसे वा ?
उ०- ता सत्तभाग गए वा, सेसे वा ।
एवं अवड्ढपोरिसि छोढ़ छोढुं पुच्छा' दिवसभा छोई छो वागरणंजाब.....
प० - ता अद्धा अउणसट्टि पोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गए वा सेसे वा ? -ता एगूणवीस सय-भागे गए वा, सेसे वा ।
उ०
प०-ता अउणसट्ठि पोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गए वा, सेसे वा ?
-बावीससहस्सभागे गए वा, सेसे वा ।
प० -ता साइरेग अउणसट्ठि पोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गए वा, सेसे वा ?
उ०-ता नत्थि किंचि गए वा,
सेसे वा,
प्र० - डेढ - पौरुषी छाया दिन का कितना भाग बीतने पर अथवा कितना भाग शेष रहने पर होती है ?
उ०- दिन के पाँच भाग बीतने पर तथा दिन के पाँच भाग शेष रहने पर "डेढ पौरुषी - छाया" होती है |
प्र० - दो पौरुषी - छाया दिन का कितना भाग बीतने पर अथवा कितना भाग शेष रहने पर होती है ?
सूत्र १०२०
उ०- दिन के छः भाग बीतने पर तथा दिन के छः भाग शेष रहने पर "दो-पौरुषी- छाया" होती है ।
प्र० - अढाई - पौरुषी - छाया दिन का कितना भाग बीतने पर अथवा कितना भाग शेष रहने पर होती है ?
उ०- दिन के सात भाग बीतने पर तथा दिन के सात भाग शेष रहने पर "अढाई - पौरुषी - छाया" होती है ।
इस प्रकार " अर्धपौरुषी" मिला मिलाकर प्रश्नसूत्र कहें । दिवसभाग मिला मिलाकर उत्तरसूत्र कहें- यावत्
प्र० - उनसठ - पौरुषी- छाया दिन का कितना भाग बीतने पर अथवा कितना भाग शेष रहने पर होती है ?
७० - दिन के एक सौ उन्नीस भाग बीतने पर तथा दिन के एक सौ उन्नीस भाग शेष रहने पर "उनसठ - पौरुषी - छाया” होती है।
प्र० - उनसठ पौरुषी छाया दिन का कितना भाग बीतने पर अथवा कितना भाग शेष रहने पर होती है ?
उ०- दिन का एक हजार बावीसवाँ भाग व्यतीत होने पर एवं बाकी अर्ध का शेष रहने पर होती है ।
प्र० - कुछ अधिक "उनसठ पौरुषी छाया" दिन का कितना भाग बीतने पर अथवा कितना भाग शेष रहने पर होती है ? उ०- दिन का कोई भाग बीतने पर या शेष रहने पर साठ पौरुषी छाया नहीं होती हैं ।
१ एवमित्यादि - एवमुक्तेन प्रकारेण "अर्द्ध- पौरुषी" अर्द्धपुरुष प्रमाणां छायां क्षिप्त्वा, क्षिप्त्वा पृच्छा, पृच्छा सूत्रं द्रष्टव्यं । - सूर्य. टीका. २ दिवसभागं ति पूर्व-पूर्वसूत्रापेक्षया एकैकमधिकं दिवसभागं क्षिप्ला क्षिप्त्वा व्याकरणं, उत्तरसूत्रं ज्ञातव्यं ।
सूर्य. टीका. ३ यहाँ अंकित प्रश्नोत्तर यहाँ दी गई संक्षिप्त वाचना की सूचनानुसार संशोधित है । सूर्यप्रज्ञप्ति की “१ अ. स. १२ शा. स. १२ अ. सु. १४ ह. ग्र." इन चारों प्रतियों में दिये गये प्रश्नोत्तर यहाँ दी गई संक्षिप्त वाचना की सूचना से कितने विपरीत हैं ? यह निर्णय पाठक स्वयं करें ।
सेसे वा
प० - "ता अद्ध अउणर्साट्ठि पोरिसी णं छाया दिवसस्स कि गये वा,
उ०- ता एगुणवीस सयभाने गए वा, सेसे वा ।
प०-ता अउणसट्ठि पोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गए वा, सेसे वा ?
उ०- ता बावीस-सहस्स भागे गए वा, सेसे वा
प० - साइरेग अणसट्टि पोरिसी णं छाया दिवस्स किं गए वा, सेसे वा ? उ०- ता नत्थि किंचि गए वा, सेसे वा ।
?
(क्रमशः )