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________________ सूत्र १०१४-१०१५ तिर्यक् लोक : जम्बूद्वीप में सूर्य गणितानुयोग ५०६ ५०-सा भंते ! कि एगदिसि किरिया कज्जति, छद्दिसि प०-हे भगवन् ! क्या वे एक दिशा में क्रिया करते हैं या किरिया कज्जइ ? छहों दिशाओं में किया करते हैं ? उ०-गोयमा ! नो एगदिसि किरिया कज्जति, नियमा 30-हे गौतम ! वे एक दिशा में क्रिया नहीं करते हैं वे छद्दिसि किरिया कज्जई', नियमित रूप से छहों दिशाओं में क्रिया करते हैं । _ --भग. स. ८, उ.८, सु. ४३, ४४ जंबद्दीवे सूरिया कहं दूरे समीवे दीसंति ? जम्बूद्वीप में सूर्य दूर और समीप किस प्रकार दिखाई देते हैं१५. ५०-(क) जंबुद्दीवे णं भंते ? दीवे सूरिया उग्गमणमुहत्तंसि १५. प्र० -(क) हे भगवन् ! जम्बूद्वीप नामक द्वीप में सूर्य उदय दूरे य, मूले य दोसंति ? के समय दूर होते हुए भी समीप में दिखाई देते हैं ? (ख) मज्झंतियमुहत्तंसि मूले य, दूरे य दीसंति ? (ख) मध्याह्न के समय समीप होते हुए भी दूर दिखाई देते हैं ? (ग) अत्थमणमुहुत्तंसि दूरे य, मूले य, दीसंति ? (ग) अस्त होने के समय दूर होते हुए भी समीप में दिखाई देते हैं ? उ०—(क-ग) हंता गोयमा ! जंबुद्दीवे णं दोवे सूरिया-- उ०—(क-ग) हाँ गौतम ! जम्बूद्वीप नामक द्वीप में सूर्य उग्गमणमुहत्तंसि दूरे य, मूले य दीसंति-जाव- उदय के समय दूर होते हुए भी समीप में दिखाई देते हैं यावत् अस्थमणमुहुरासि दूरे य, मूले य दीसंति, -अस्त होने के समय दूर होते हुए भी समीप दिखाई देते हैं । ५०-जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरिया-उग्गमणमुहत्तंसि य, प्र०-हे भगवन् ! जम्बूद्वीप नामक द्वीप में सूर्य उदय के मझंतियमुहत्तंसि य, अत्थमणमुहुत्तंसि य सव्वत्थ समा समय मध्याह्न और अस्त के समय अर्थात् सर्वत्र समान ऊँचे उच्चत्ते ण? रहते हैं। उ०-हंता गोयमा ! जंबुद्दीवे गं दोवे सूरिया-उर गमण- उ०–हाँ गौतम ! जम्बूद्वीप नामक द्वीप में सूर्य उदय के मुहत्तंसि य, मज्झंतियमुहुत्तंसि य, अत्थमणमुहत्तंसि य समय, मध्याह्न के समय और अस्त के समय अर्थात् सर्वत्र समान सम्वत्थ समा उच्चत्तेणं । ऊँचे रहते हैं। ५०-जइ णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे सूरिया उग्गमणमुहत्तंसि प्र०—हे भगवन् ! यदि जम्बूद्वीप नामक द्वीप में सूर्य उदय य, मज्झसियमुहत्तंसि य, अत्थमणमुहत्तंसि य सम्वत्थ के समय मध्याह्न के समय और अस्त के समय अर्थात् सर्वत्र समा उच्चत्तेणं, समान ऊँचे रहते हैं तो,(क्रमशः) प०-सा णं भंते ! कि अणु किरिया कज्जइ ? बायरा किरिया कज्जइ ? उ०-गोयमा ! अणु वि किरिया कज्जइ, बायरा वि किरिया कज्जइ । प०-सा णं भंते ! कि उड्ढं किरिया कज्जइ ? अहे किरिया कज्जइ ? तिरिय किरिया कज्जइ ? उ०-गोयमा ! उड्ढं वि किरिया कज्जइ, अहे वि किरिया कज्जइ, तिरिय किरिया कज्जइ । ५०-सा णं भंते ! कि आइं किरिया कज्जइ ? मज्झे किरिया कज्जइ ? पज्जवसाणे किरिया कज्जइ ? उ०-गोयमा ! आई वि किरिया कज्जइ, मज्झे वि किरिया कज्जइ. पज्जवसाणे किरिया कज्जइ । प०-सा णं भंते ! कि सविसया किरिया कज्जइ ? अविसया किरिया कज्जइ? उ०-गोयमा ! सविसया किरिया कज्जइ, नो अक्सिया किरिया कज्जइ । प०-सा णं भंते ! कि आणुपुब्वि किरिया कज्जइ ? अणाणुपुब्वि किरिया कज्जइ ? उ०-गोयमा ! आणुपुब्वि किरिया कज्जइ, नो अणाणुपुव्वि किरिया कज्जइ । प०-सा णं भंते ! कि एगदिसि किरिया कज्ज इ-जाव-छद्दिसि किरिया कज्ज.इ? उ०-गोयमा ! नो एगदिसि किरिया कज्जइ, नियमा छद्दिसि किरिया कज्जइ। -जम्बु. वक्ख. ७, सु०१३८ की टीका से जम्बु. वक्ख. ७, सु. १३८ । २ जम्बूद्वीप में दो न्द्र चऔर दो सूर्य हैं- इस अपेक्षा से वहाँ बहुवचन का प्रयोग है।
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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