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________________ ४६० लोक-प्रज्ञप्ति तिर्यक् लोक : सूर्य की उदय-व्यवस्था सूत्र १००२ जया णं उत्तरड्ढे सोलसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया णं जब उत्तरार्द्ध में सोलह अहर्त का दिन होता है तब दाहिणड्ढे बारसमुहुत्ता राई भवइ, दक्षिणार्द्ध में बारह मुहूर्त की रात्रि होती है। (ख) ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे सोलसमुहुत्ता- (ख) जम्बूद्वीप द्वीप के दक्षिणार्द्ध में सोलह मुहूर्त से कुछ जंतरे दिवसे भवइ, तया णं उत्तरड्ढे दुवालसमुहुत्ता कम का दिन होता है ता उत्तरार्द्ध में बारह मुहूर्त की रात्रि राई भवइ, होती है। जया णं उत्तरड्ढे सोलसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ, जब उत्तरार्द्ध में सोलह मुहर्त से कुछ कम का दिन होता तया णं दाहिणड्ढे बारसमुहुत्ता राई भवइ, है तब दक्षिणाद्ध में बारह मुहूर्त की रात्रि होती है । (क) ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे पण्णरसमुहुत्ते (क) जब जम्बूद्वीप द्वीप के दक्षिणार्द्ध में पन्द्रह मुहूर्त का दिवसे भवइ, तया णं उत्तरड्ढे दुवालसमुहुत्ता राई दिन होता है तब उत्तराद्ध में बारह मुहूर्त की रात्रि होती है । भवइ, जया णं उत्तरड्ढे पण्णरसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया णं जब उत्तरार्द्ध में पन्द्रह मुहूर्त का दिन होता है तब दाहिणड्ढे बारसमुहुत्ता राई भवइ, दक्षिणार्द्ध में बारह मुहूर्त की रात्रि होती है । (ख) ता जया जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे पण्णरसमुहुत्ता- (ख) जब जम्बूद्वीप द्वीप के दक्षिणार्द्ध में पन्द्रह मुहूर्त से यंतरे दिवसे भवइ, तया णं उत्तरड्ढे दुवालसमुहुत्ता कुछ कम का दिन होता है तब उत्तरार्द्ध में बारह मुहूर्त की राई भवइ, रात्रि होती है। जया णं उत्तरड्ढे पण्णस्समुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ, जब उत्तरार्द्ध में पन्द्रह मुहूर्त से कुछ कम का दिन होता है तया ण दाहिणड्ढे बारसमुहुत्ता राई भवइ, तब दक्षिणार्द्ध में वारह मुहूर्त की रात्रि होती है । (क) ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे चोद्दसमुहुत्ते (क) जब जम्बूद्वीप द्वीप के दक्षिणा में चौदह मुहूर्त का दिवसे भवइ, तया णं उत्तरड्ढे दुवालसमुहुत्ता राई दिन होता है तब उत्तरार्ध में बारह मुहूर्त रात्रि होती है । भवइ, जया णं उत्तरड्ढे चोद्दसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया णं जब उत्तराद्ध मैं चौदह मुहूर्त का दिन होता है तब दाहिणड्ढे बारसमुहुत्ता राई भवइ, दक्षिणार्द्ध में बारह मुहूर्त की रात्रि होती होती है। (ख) ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे चोद्दसमुहुत्ता- (ख) जब जम्बूद्वीप द्वीप के दक्षिणार्द्ध मे चौदह मुहूर्त से णंतरे दिवसे भवइ, तया णं उत्तरड्ढे दुवालसमुहुत्ता कुछ कम का दिन होता है तब उत्तरार्द्ध में बारह मुहूर्त की राई भवइ, रात्रि होती है। जया णं उत्तरड्ढे चोद्दसमुहुत्ताणतरे दिवसे भवइ, जब उत्तरार्द्ध में चौदह मुहूर्त से कुछ कम का दिन होता है तया णं दाहिणड्ढे बारसमुहुत्ता राई भवइ, तब दक्षिणार्द्ध में बारह मुहूर्त की रात्रि होती है । (क) ता जया णं जं जंबुद्दीवे बोबे दाहिणड्ढे तेरसमुहुत्ते (क) जब जम्बूद्वीप द्वीप के दक्षिणार्द्ध में तेरह मुहूर्त का दिवसे भवइ, तया णं उत्तरड्ढे दुवालसमुहुत्ता राई दिन होता है तब उत्तरार्द्ध में बारह मुहूर्त की रात्रि होती है। भवइ, जया णं उत्तरड्ढे तेरसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया णं जब उत्तरार्द्ध में तेरह मुहूर्त का दिन होता है तब दक्षिणाद्ध दाहिणड्ढे बारसमुहुत्ता राई भवइ, ___ में बारह मुहूर्त की रात्रि होती है। (ख) ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे तेरसमुहुत्ताणंतरे (ख) जब जम्बूद्वीप द्वीप के दक्षिणाद्ध में तेरह मुहूर्त से कुछ दिवसे भवइ, तया णं उत्तरड्ढे दुवालसमुहुत्ता राई कम का दिन होता है तब उत्तरार्द्ध में बारह मुहुर्त की रात्रि भवइ, होती है। जया णं उत्तरड्ढे तेरसमुहुत्ताणतरे दिबसे भवइ, तया जब उत्तरार्द्ध मे तेरह मुहूर्त से कुछ कम का दिन होता है णं दाहिणड्ढे बारसमुहुत्ता राई भवइ, तब दक्षिणार्द्ध में बारह महुर्त की रात्रि होती है ।
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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