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________________ सूत्र १००२ तिर्यक् लोक : सूर्य की उदय-व्यवस्था गणितानुयोग ४८७ सूरस्स उदय-संठिई सूर्य की उदय व्यवस्था२. ५०–ता कहं ते उदयसंठिई ? आहिए त्ति वएज्जा, २. प्र०-(सूर्य की) उदय-संस्थिति=व्यवस्था किस प्रकार है ? कहें। उ०-तत्थ खलु इमाओ तिणि पडिवत्तीओ, पण्णत्ताओ, उ०-(सूर्य की उदय-व्यवस्था के सम्बन्ध में) ये तीन प्रतितं जहा पत्तियाँ कही गई है, यथा१. तत्थेगे एवमाहंसु १. इनमें से एक मान्यता वालों ने इस प्रकार कहा है(क) ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिगड्ढे अट्ठारसमुहुत्ते (क) जब जम्बूद्वीप के दक्षिणार्द्ध में अठारह मुहूर्त का दिन दिवसे भवइ, तया णं उत्तरड्ढेऽवि अट्ठारसमुहुत्ते होता है, तब उत्तरार्द्ध में भी अठारह मुहूर्त का दिन होता है । दिवसे भवइ, जया णं उत्तरड्ढे अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तथा जब उत्तरार्द्ध में अठारह मुहूर्त का दिन होता है तब णं वाहिणड्ढेऽवि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, दक्षिणार्द्ध में भी अठारह मुहूर्त का दिन होता है । (ख) ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे सत्तरसमुहुत्ते (ख) जब जम्बूद्वीप द्वीप के दक्षिणार्द्ध में सतरह मुहूर्त का दिवसे भवइ, तथा णं उतरड्ढेऽवि सत्तरसमुहुत्ते दिन होता है तब उतरार्द्ध में भी सतरह मुहूर्त का दिन होता है। दिवसे भवइ, जया णं उत्तरड्ढे सत्तरसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया जब उत्तरार्द्ध में सतरह मुहूर्त का दिन होता है तब दक्षिणार्द्ध णं वाहिणड्ढेऽवि सत्तरसमुहुत्ते दिवसे भवइ, में भी सतरह मुहूर्त का दिन होता है। (ग) ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे सोलसमुहुत्ते (ग) जब जम्बूद्वीप द्वीप के दक्षिणार्द्ध में सोलह मुहूर्त का दिवसे भवइ, तया णं उत्तरड्ढेऽवि सोलसमुहुत्ते दिन होता है तब उत्तरार्द्ध में भी सोलह मुहूर्त का दिन होता है। दिवसे भवइ, जया णं उत्तरड्ढे सोलसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया जब उत्तरार्द्ध में सोलह मुहूर्त का दिन होता है तब दक्षिणार्द्ध णं दाहिणड्ढेऽवि सोलसमुहुत्ते दिवसे भवइ, में भी सोलह मुहूर्त का दिन होता है । (घ) ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे पण्णरसमुहुर्त (घ) जब जम्बूद्वीप द्वीप के दक्षिणार्द्ध में पन्द्रह मुहूर्त का दिवसे भवइ, तया णं उत्तरड्ढेऽवि पण्णरसमुहुत्ते दिन होता है तब उत्तराद्धं में भी पन्द्रह मुहूर्त का दिन होता है । दिवसे भवइ, जया णं उत्तरड्ढे पण्णरसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जब उत्तरार्द्ध में पन्द्रह मुहूर्त का दिन होता है तब दक्षिणार्द्ध तया णं दाहिणड्ढेऽवि पण्णरसमुहुत्ते दिवसे भवइ, में भी पन्द्रह मुहूर्त का दिन होता है । (ङ) ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे चउद्दसमुहत्ते दिवसे (ड) ज- जम्बूद्वीप द्वीप के दक्षिणार्द्ध में चौदह मुहूर्त का भवइ, तया णं उत्तरड्ढेऽवि चउद्दसमुहत्ते दिवसे दिन होता है तब उत्तरार्द्ध में भी चौदह मुहूर्त का दिन होता है । भवइ, जया णं उत्तरड्ढे चउद्दसमुहत्ते दिवसे भवइ, जब उत्तराद्धं में चौदह मुहर्त का दिन होता है तब दक्षिणार्द्ध तया णं दाहिणड्ढेऽवि चोद्दसमुहुत्ते दिवसे भवइ, में भी चौदह मुहुर्त का दिन होता है । (च) ता जया ण जंबुद्दीवे दोवे दाहिणड्ढे तेरसमुहुत्ते (च) जब जम्बूद्वीप द्वीप के दक्षिणार्द्ध में तेरह मुहूर्त का दिवसे भवइ, तया ण उत्तरड्ढेऽवि तरसमुहत्ते दिन होता हैं तब उत्तरार्द्ध में भी तेरह मुहूर्त का दिन होता है दिवसे भवइ, " जया णं उत्तर तेरसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया जब उत्तरार्द्ध में तेरह मुहूर्त का दिन होता है तब दक्षिणार्द्ध णं दाहिणड्ढेऽवि तेरसमुहत्ते दिवसे भवइ, में भी तेरह मुहूर्त का दिन होता है ।
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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