________________
सूत्र ६८९
तिर्यक् लोक : चन्द्र का पूर्णिमाओं में योग
गणितानुयोग
४७७
उ०-जंसि णं देसंसि चरिमं बाढि पुण्णिमासिणि जोएइ उ०-अंतिम बासठवीं पूर्णमासी को मंडल के जिस देश में
ताए तेणं पुण्णिमासिणिद्वाए' मण्डलं चउव्वीसेणं चंद्र योग करता है उसी पूर्णिमास्थान से आगे वाले मंडल के सएणं छत्ता बत्तीसं भागे उवाइणावेत्ता, एत्थ णं से एक सौ चौबीस विभाग करके (उनमें से) वत्तीस विभाग को चंदे पढमं पुण्णिमासिणि जोएइ,
लेकर उनमें प्रथमा पूर्णिमासी को चंद्र योग करता है। २. ५०–ता एएसि णं पंचण्हं संवच्छराणं दोच्चं पुण्णिमा- (२) प्र०-इन पाँच संवत्सरों की द्वितीया पूर्णमासी को सिणि चंदे कसि देसंसि जोएइ?
चंद्र मंडल के किस देश-विभाग में योग करता है ? उ०-जंसि णं देसंसि चंदे पढमं पुण्णिमासिणि जोएइ, उ०-प्रथमा पूर्णमासी को मंडल के जिस देश में योग
ताए तेणं पुण्णिमासिणिट्ठाणाए मण्डलं चउन्वीसेणं करता है उसी पूर्णिमा स्थान से आगे वाले मंडल के एक सौ सएणं छत्ता बत्तीसं भागे उवाइणावेत्ता एत्थ णं से चौबीस विभाग करके (उनमें से) बत्तीस विभाग को लेकर उनमें चंदे दोच्चं पुण्णिमासिणि जोएइ,
द्वितीया पूर्णमासी को चंद्र योग करता है । ३. ५०–ता एएसि णं पंचण्हं संवच्छराणं तच्चं पुण्णिमासिणिं (३) प्र०-इन पाँच संवत्सरों की तृतीया पूर्णमासी को चंदे कंसि देसंसि जोएइ?
चंद्र मंडल के किस देश-विभाग में योग करता है ? उ०-जंसि णं देसंसि चंदे दोच्चं पुणिमासिणिं जोएइ, उ०—द्वितीया पूर्णमासी को मंडल के जिस देश में चंद्र योग
ताए ते णं पुण्णिमासिणिट्ठाणाए मण्डलं चउव्वीसेणं करता है उसी पूर्णिमा स्थान से आगे वाले मंडल के एक सौ सएणं छेत्ता बत्तीसं भागे उवाइणावेत्ता एत्थ णं से चौबीस विभाग करके (उनमें से) बत्तीस विभाग को लेकर उनमें चंदे तच्चं पुण्णिमासिणिं जोए इ,
तृतीया पूर्णमासी को चंद्र योग करता है । ४. ५०–ता एएसि गं पंचण्हं संवच्छराणं दुवालसमं पुण्णि- (४) प्र०-इन पाँच संवत्सरों की बारहवीं पूर्णमासी को मासिणि चंदे कंसि देसंसि जोएइ ?
चंद्र मंडल के किस देश = विभाग में योग करता है ? उ०-जंसि णं देसंसि चंदे तच्चं पुण्णमासिणि जोएइ, उ०-तृतीया पूर्णमासी को चंद्र मंडल के जिस देश में योग
ता पुण्णिमासिणिढाणाए मण्डलं चउव्वीसेणं सएणं करता है उसी पूणिमास्थान से आगे वाले मंडलों के एक सौ छेत्ता दोण्णि अट्ठासीए भागसए उवाइणावेत्ता, चौबीस एक सौ चौबीस विभाग करके उनमें से दो सौ अट्टासी एत्थ णं से चंदे दुवालसमं पुणिमासिणि जोएइ, भाग लेकर उनमें क्रमशः योग करता हुआ बारहवीं पूर्णमासी को
चंद्र योग करता है। एवं खलु एएणं उवाएणं ताए ताए पुण्णिमासिणि- इस प्रकार इस क्रम से उन उन पूणिमा स्थानों से आगे वाले ढाणाए मण्डलं चउव्वीसेणं सएणं छेत्ता बत्तीसं भागे मंडलों के एक सौ चौबीस एक सौ चौवीस विभाग करके उनमें उवाइणावेत्ता तंसि तंसि देसंसि तं तं पुण्णमासिणि से प्रत्येक मंडल के बत्तीस बत्तीस विभागों को लेकर उन उन चंदे जोएइ।
विभागों में उन उन पूर्णिमाओं को चंद्र योग करता है । ५.५०–ता एएसि णं पंचण्हं संवच्छराणं चरम बाट्ठि (५) प्र०-इन पाँच संवत्सरों की अन्तिम बासठवीं पूर्णिमा
पुण्णिमासिणि चंदे कंसि देसंसि जोएइ? को चंद्र मंडल के किस विभाग में योग करता है ? उ०–ता जंबुद्दीवस्स णं दोवस्स पाईण-पडिणाययाए उ०—जम्बूद्वीप के ईशान एवं नैऋत्यकोण स्थित लम्बी
उदीण-दाहिणययाए जीवाए मंडलं चउव्वीसेण जीवा में मंडल के एक सौ चौबीस विभाग करके, दक्षिण में सएणं छेत्ता दाहिणंसि चउभागमंडलंसि सत्तावीसं मंडल के चार भागों में से सत्तावीस भाग लेकर अठावीसवें भाग भागे उवाइणावेत्ता, अट्ठावीसइ भागे वोसहा छत्ता के बीस भाग करके उनमें से अठारह भाग लेकर पश्चिम वाले
१ तस्मात्पूर्णमासीस्थानात्-चरमद्वाषष्टितम, पौर्णमासीपरिसमाप्तिस्थानात् परतोमण्डलं, चतुर्विशत्यधिकेन शतेन छित्वाविभज्य, २ "दोण्णि अट्ठासीए भागसए" ति, तृतीयस्याः पौर्णमास्याः परतो द्वादशी किल पौर्णमासी नवमी भवति, ततो नवभित्रिंशतो
गुणने द्वशते अष्टाशीत्यधिके भवतः ।