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________________ ४७६ लोक-प्रज्ञप्ति तिर्यक् लोक : योगों का चन्द्र के साथ योग सूत्र ९८७-६८९ एगमेगे मुहत्ते मण्डलस्स भागेसु चंदस्स गईए परूवणं- प्रत्येक मुहर्त में मंडल के भागों में चन्द्र की गति का प्ररूपण९८७.५० -एगमेगे णं भंते ! मुहत्ते गं चंदे केवइयाइं भागसयाई ९८७. प्र०-भगवन् ! चन्द्र प्रत्येक मुहूर्त में मण्डल के कितने गच्छइ? भागों में गति करता है ? उ०-गोयमा ! जं जं मण्डलं उबसंकमित्ता चार चरइ। उ०-हे गौतम ! चन्द्र जिस जिस मंडल पर आरूढ़ होकर तस्स तस्स मण्डलपरिक्खेवस्स सत्तरस अडसठिं भाग- गति करता है उस उस मण्डल की एक लाख अठानवें सौ योजन सए गच्छइ । मण्डलं सयसहस्सेणं अट्टाणउइए सएहिं की परिधि के सतरहा सौ अडसठ भाग चलता है। छेत्ता । -जंबु. वक्ख. ७, सु. १४६ जोगाणं चन्देण सद्धि जोग-परूवण योगों का चन्द्र के साथ योग प्ररूपण१८८. तत्थ खलु इमे दसविहे जोए पण्णत्ते, तं जहा १८८. ये दस प्रकार के योग कहे गये हैं यथा१. वसभाणु जोए, २. वेणुयाणु जोए (१) वृषभानुयोग, (२) वेणुकानुयोग, ३. मंचे जोए, ४. मंचाइमंचे जोए (३) मंचयोग, (४) मंचातिमंचयोग, ५. छत्ते जोए, ६. छत्ताइछत्ते जोए (५) छत्रयोग, (६) छत्रातिछत्रयोग, ७. जुवणद्धे जोए, ८. घणसंमद्दे जोए (७) युगनद्धयोग, (८) घनसंमर्दयोग, ६. पीणिए जोए, १०. मंडुकप्पुते जोए (6) प्रीणितयोग, (१०) मंडुकप्लुतयोग, १.५०-ता एएसिं थे पंचण्ह संवच्छराणं छत्ताइछत्तं जोयं (१) प्र०-इन पाँच संवत्सरों में चन्द्र मंडल के किस भाग चंदे कसि देसंसि जोएइ? ___ में छत्रातिछत्र योग करता है ? उ०-ता जंबुद्दीवस्स दीवस्स, पाईण-पडिणीआययाए, उ०- जम्बूद्वीप द्वीप की पूर्व-पश्चिम, दक्षिण-उत्तर लम्बी उदीण-दाहिणाययाए जीवाए मण्डलं चउव्वीसेणं जीवा से मंडल के एक सौ चौबीस भाग करके दक्षिण-पूर्व सएणं छित्ता दाहिण-पुरथिमिल्लसि चउभाग- (नैऋत्यकोण) में मंडल के चतुर्थ भाग प्रदेश में सत्तावीस अंश मण्डलंसि सत्तावीस भागे उवाइणावेत्ता अट्ठावीसइ- भोग कर अट्ठावीस अंश के बीस भाग करके अठारह अंशों को भागं वीसधा छेत्ता अट्ठारसभागे उवाइणावेत्ता तिहिं ग्रहण करके तीन भाग दो कला से दक्षिण-पूर्व के चतुर्थ भाग भागेहि दोहिं कलाहिं दाहिण-पुरथिमिल्लं चउन्भाग- प्रदेश में प्रवेश करने से पूर्व चन्द्र "छत्रातिछत्र" योग करता है। मण्डलं असंपत्ते एत्य णं से चन्दे छत्तातिच्छत्तं जोयं जोएइ। उप्पिं चंदो, मज्झे जक्खत्ते, हेट्ठा आइच्चे, ऊपर चन्द्र, मध्य में नक्षत्र और नीचे सूर्य । २. ५०--तं समयं च षं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएइ? (२) प्र०-उस समय चन्द्र किस नक्षत्र से योग करता है ? उ०-ता चित्ताहिं चित्ताणं चरम समए । उ०—चित्रा नक्षत्र से योग करता है। -सूरिय० पा० १२, सु०७८ चन्दस्स पुण्णिमासिणिसु जोगो चन्द्र का पूर्णिमाओं में योग६८६. तत्थ खलु इमाओ बावट्ठि पुणिमासिओ बावट्ठि अमावा- ६८६. पाँच संवत्सरों में ये बासठ पूर्णिमायें और बासठ अमासाओ पण्णत्ताओ, वास्यायें कही गई हैं। १. प०-ता एएसि णं पचण्ह संवच्छराणं पढम पुणिमा- (१) प्र०-इन पाँच संवत्सरों की प्रथम पूर्णिमासी को सिणि चंदे कसि देसंसि जोएइ ? चन्द्र मंडल के किस देश (विभाग) में योग करता है ? १ मूरिय. पा. १५, सु. ८३ । २ चन्द. पा. १२ सु. ७८ ।
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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