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________________ सूत्र ६७६-६८२ चंदमण्डल संखा ६७६ प० - ता कति ते चंदमंडला पण्णत्ता ? उ०- ता पण्णरस चंदमंडला पण्णत्ता, चंदमंडलस्स पमाणं ६८० प० - चंदमंडले णं भते ! मूरिय. पा. १० पाहू० ११, सु० ४५ तिर्यक् लोक : चन्द्रमण्डलों की संख्या केवइयं आयाम - विक्खंभेणं ? केवइयं परिक्खेवेणं ? केवइयं बाहल्लेणं पण्णत्ता ? १ २ उ० – गोयमा ! छप्पन्न एगसट्टिभाए जोअणस्स आयामविक्खंभेणं । तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं । अट्ठावीस एक्सट्टिभाए जो बाते प - जंबु० वक्ख-७, सु० १४५ पण्णरस-चंदमंडलाण ओगाहणवेत-' उ०- गोयमा ! जंबुद्दीवे णं दीवे असीयं जोयणसयं ओगाहित्ता एत्थ णं पंच चंदमंडला पण्णत्ता । प० लवणं भंते! समुद्दे केवइयं ओगाहिता केवइया चंदमंडला पण्णत्ता ? इससे कुछ अधिक तीन गुणी परिधि कही गई है । एक योजन के इकसठ भागों में से अठावीस भाग जितना बाहुल्य कहा गया है । पन्द्रह चन्द्रमंडलों का अवगाहन क्षेत्र ६८१ ५० - जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे केवइयं ओगाहित्ता केवइया ६८१. प्र० - हे भगवन् ! जम्बूद्वीप नामक द्वीप में कितना चंदमंडला पण्णत्ता ? अवगाहन करने पर कितने चन्द्रमंडल कहे गये हैं ? उ०- गोयमा ! लवणे णं समुद्दे तिण्णि तीसाइं जोयणसयाई ओगाहित्ता । एत्थ णं दस चंदमंडला पण्णत्ता । एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे । लवणे व पन्नरस चंदमंडला भवतीतिमक्खायं । - जंबु० वक्ख० ७, सु० १४२ चन्द्रमण्डलों की संख्या६७६. प्र० -चन्द्रमंडल कितने कहे गये हैं ? उ० – पन्द्रह चन्द्रमंडल कहे गये हैं । उ०- गोयमा ! पणती पणतीस जोपणा तीसंच एगसद्धिभाए जोयणस्स । एगसट्टिभागं च सत्तहा छेत्ता । चारि गिआभाए चंदमंडल चंदमंडलस्स अब हाए अंतरे पण्णत्ते । - जंबु. वक्ख. ७, सु. १४४ गणितानुयोग चन्द्रमण्डल का प्रमाण ८० प्र० - हे भगवन् ! चन्द्रमंडल का - आयाम - विष्कम्भ कितना कहा गया है ? परिधि कितनी कही गई है ? और बाहल्य (मोटाई) कितना कहा गया है ? उ०- हे गौतम ! एक योजन के इकसठ भागों में से छप्पन भाग जितना आयाम - विष्कम्भ कहा गया है । ४६६ उ०- हे गौतम! जम्बूद्वीप नामक द्वीप में एक सौ अस्सी योजन अवगाहन करने पर पाँच चन्द्रमंडल कहे गये हैं । प्र०-हे भगवन्! तवसमुद्र में कितना अवगाहन करने पर कितने चन्द्रमंडल कहे गये हैं ? उ०- हे गौतम! लवणसमुद्र में तीन सौ तीस योजन अवगाहन करने पर दस चन्द्रमंडल कहे गये हैं । पत्तेयं चन्द्रमण्डलरस अंतरं - प्रत्येक चन्द्रमंडल का अन्तर ८२. ५० - चंदमंडलस्स णं भंते ! चंदमंडलस्स केवइआए अबाहाए ६८२. प्र० - हे भगवन् ! एक चन्द्रमंडल से दूसरे चन्द्रमंडल का व्यवधान रहित कितना अन्तर कहा गया है ? अंतरे पण ? इस प्रकार पूर्वापर के मिलाकर जम्बूद्वीप और लवणसमुद्र में पन्द्रह चन्द्रमंडल कहे गये हैं । (ख) चन्द. पा. १० पाहु. ११ सु. ४५ । उ०- हे गौतम! पैंतीस योजन तथा एक योजन के इगसठ भागों में से तीस भाग और एक भाग के सात भागों में से चार पूर्णिका भाग जितना एक चन्द्रमंडल से दूसरे चन्द्रमंडल का व्यवधान रहित अन्तर कहा गया है। (क) जम्बु. वक्ख. ७, सु. १४२ । इस सूत्र से यह स्पष्ट है कि चन्द्र विमान और चन्द्र मण्डल एक ही है ।
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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