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सूत्र ६६३-६६६
तिर्यक् लोक : चन्द्र-सूर्य का गतिकाल
गणितानुयोग
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चंदस्स गहाणं य जोग-गइकाल परूवणं--- चन्द्र का ग्रह से योग युक्त होने पर उसकी गति का काल
प्ररूपण९६३. ता जया णं चंदं गइसमावण्णं गहे गइसमावण्णे पुरत्थिमाए ६६३. जब चन्द्र गति युक्त होता है तब पूर्वी भाग से ग्रह चन्द्र
भागाए समासाएह पुरथिमाए भागाए समासाइत्ता, चंदेणं से योग करता है, योग करके परिभ्रमण करता है, परिभ्रमण सद्धि जोगं जोएइ, जोगं जोएत्ता जोग अणुपरियट्टइ, जोगं करके योग का परित्याग करता है और योग-मुक्त होकर योग अणुपरियट्टित्ता जोगं विप्पजहइ, विगयजोगी या वि भवइ ।' रहित हो जाता है ।
-सूरिय. पा. १५, सु. ८४ सूरस्स-णक्खत्ताणं य जोग-गइकाल परूवणं- सूर्य का नक्षत्रों से योग युक्त होने पर उनकी गति का काल
प्ररूपण९६४. १. ता जया णं सूरं गइसमावण्णं अभिईणक्खत्ते गइसमावणे ६६४. (१) जब सूर्य गति युक्त होता है तब पूर्वी भाग से
पुरत्थिमाए भागाए समासाएइ, पुरथिमाए भागाए समा- अभिजित नक्षत्र चार अहोरात्र और छः मुहूर्त पर्यन्त सूर्य से योग साइत्ता, चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहुत्ते सूरेण सद्धि जोगं करता है, योग करके परिभ्रमण करता है, परिभ्रमण करके योग जोएइ, जोगं जोएत्ता जोगं अणुपरियट्टइ, जोगं अणुपरि- का परित्याग करता है और योग-मुक्त होकर योग रहित हो यट्टित्ता जोगं विप्पजहइ, विगयजोगी या वि भवइ, जाता है। २-२७. एवं छ अहोरत्ता एक्कवीसं मुहुत्ता य, तेरस अहो- (२-२७) इस प्रकार छः अहोरात्र इक्कीस मुहूर्त, तेरह अहो
रत्ता बारस मुहुत्ता य, बीसं अहोरत्ता तिणि मुहुत्ता रात्र बारह मुहूर्त और बीस अहोरात्र तीन मुहूर्त सभी नक्षत्रों का य सव्वे भाणियव्वा जाव--
क्रमशः सूर्य के साथ योग कहना चाहिए-यावत्२८. ता जया णं सूरं गइसमावणं उत्तरासाढा णक्खत्ते (२८) जब सूर्य गति युक्त होता है तब पूर्वी भाग से उत्तरा
गइसमावण्णे पुरत्थिमाए भागाए समासाएइ, पुरत्थि- षाढा नक्षत्र बीस अहोरात्र तीन मुहूर्त पर्यन्त सूर्य से योग करता है माए भागाए समासाइत्ता वीसं अहोरत्ते तिण्णि च योग करके परिभ्रमण करता है और योग मुक्त होकर योगरहित मुहुत्ते सूरेण सद्धि जोगं जोएइ, डोगं जोएत्ता जोगं हो जाता है ।
अणुपरियट्टइ, जोगं अणुपरियट्टित्ता जोगं विप्पजहइ, विगयजोगी या वि भवइ ।
-सूरिय. पा. १५, सु. ८४ सूरस्स गहाणं य जोग-गइकाल परवणं
सूर्य का ग्रह से योग युक्त होने पर उसकी गति का काल
प्ररूपण६६५. ता जया णं सूरं गइसमावण्णं गहे गइसमावण्णे पुरत्थिमाए ६६५. जब सूर्य गति युक्त होता है तब पूर्वी भाग से ग्रह सूर्य से
भागाए समासाएइ, पुरत्थिमाए भागाए समासाइत्ता सूरेण योग करता है योग करके परिभ्रमण करता है परिभ्रमण करके सद्धि जोगं जोएइ, जोगं जोएत्ता जोगं अणुपरियट्टइ, जोगं योग का परित्याग करता है और योग मुक्त होकर योग रहित अणुपरियट्टित्ता जोगं विप्पजहइ विगयजोगी या वि भवइ । हो जाता है ।
-सूरिय. पा. १५, सु. ८४ एगमेगे अहोरत्ते चन्द-सूर-णक्खत्ताणं मंडल चार- प्रत्येक अहोरात्र में चन्द्र सूर्य और नक्षत्रों की मण्डल गति६६६. १. ५०-ता पगमेगे णं अहोरते णं चंदे कइ मंडलाइं चरइ? ६६६. (१) प्र०—प्रत्येक अहोरात्र में चन्द्र कितने मण्डल पर्यन्त
गति करता है ? उ०—ता एगं अद्धमंडलं चरइ एक्कतोसेहि भागेहि ऊण- उ०-एक अर्द्ध मण्डल और अर्धमण्डल के पन्द्रह सौ नौ
णहि पण्णरसेहि सरहिं अद्धमंडल छेत्ता। भागों में से इकतीस भाग कम पर्यन्त चन्द्र गति करता है।
१ ३
चन्द. पा. १५, सु. ८४ । चन्द. पा. १५, सु. ८४ ।
२
चन्द. पा, १५, सु. ८४ ।