SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 623
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४६२ लोक- प्रज्ञप्ति १ ३ २. ५० -- ता एगमेगे णं अहोरते णं सूरे कइ मंडलाई चरइ ? उ०- ता एवं अद्धमंडलं चरइ । ३. प० - ता एगमेगे णं अहोरते णं णक्खत्ते कइ मंडलाई ? तिर्यक लोक चन्द्र-सूर्य-नक्षत्रों की मण्डल गति चरइ उ०- ता एवं अद्धमंडलं चरइ, दोहिं भागेहं अहियं सतह बत्तीसह सहि अद्धमडलं ऐसा - सूरिय. पा. १५, सु, ८६ एगमेगे मंडले चन्द-सूर गवसताण अहोरत चारं ε६७. १. १० – ता एगमेगं मंडलं चंदे कतििह अहोरतेहि चरइ ? उ०- ता दोहिं अहोरतेहि चरइ एक्कती सेहि भाएहि अहिएहि चहि चोपालेहि सहि राइदिएहि ऐसा । २० मंडल सुरे कतिहि अहोरह रह ? उ०- ता दोहिं अहोरतेहि चरइ । ३. ५० ता एमेमंड उ०ता दोहि अहोरसंहि चर तिहिं सत्तस हि सएहिं दोहि मागेहि अहि राइदिएहिं छेत्ता । " यि पा. १५,०६ एगमेगे जुगे चन्द सूर-णक्खत्ताणं मंडल चारं - ६८. १. ५० - ता जुगे णं चन्दे कइ मंडलाई चरइ ? कतिहि अहोरसेहि चरह ? उ०ता सीए मंडलए चर । २. प० – ता जुगे णं सूरे कइ मंडलाई चरइ ? उ०- ता णव पण्णरस मंडलसए चरइ । ० - ता जुगे णं णक्खत्ते कइ मंडलाई चरइ ? ३. ५० उ०—ता अट्ठारस पणतीसे दुभागमंडलसए चरइ । चन्द. पा. १५, सु. ८६ । चन्द. पा. १५, सु. ८६ । इन्वेसा मूहलाई रिक्य-उदुमास राईदिय-जुग मंडल पभिति सिम्यगई वस्त्थू आहिए तिबेमि मूरिय. पा. १२.६ । (२) प्र० - प्रत्येक अहोरात्र में सूर्य कितने मण्डल पर्यन्त गति करता है ? उ०- एक अर्द्ध मण्डल पर्यन्त गति करता है । सूत्र ६६५-६६८ (३) प्र० - प्रत्येक अहोरात्र में नक्षत्र कितने मण्डल पर्यन्त गति करता है ? उ०- एक अर्द्ध मण्डल और अर्द्ध मण्डल के सात सौ बत्तीस भागों में से दो भाग अधिक नक्षत्र गति करता है । प्रत्येक मण्डल में चन्द्र-सूर्य और नक्षत्र कितने अहोरात्र गति करता है ६७. (१) प्र० - प्रत्येक मण्डल को चन्द्र कितने अहोरात्र में पूर्ण रूप से पार करता है ? उ०- दो अहोरात्र और एक अहोरात्र के चार सौ चुमालीस भागों में से इकतीस भाग अधिक में चन्द्र प्रत्येक मण्डल को पार करता है । (२) प्र० - प्रत्येक मण्डल को सूर्य कितने अहोरात्र में पार करता है ? उ०—दो अहोरात्र में प्रत्येक मण्डल को सूर्य पार करता है । (३) प्र० - प्रत्येक मण्डल को नक्षत्र कितने अहोरात्र में पार करता है ? उ०- दो अहोरात्र और एक अहोराय के तीन सौ सदसठ भागों में से दो भाग कम प्रत्येक मण्डल को नक्षत्र पार करता है। प्रत्येक युग में चन्द्र-सूर्य और नक्षत्रों की मण्डल गति६८. (१) प्र० - प्रत्येक युग में चन्द्र कितने मण्डल गति करता है ? उ०- आठ सौ चौरासी मण्डल पर्यन्त गति करता है । (२) प्र० - प्रत्येक युग में सूर्य कितने मण्डल पर्यन्त गति करता है ? उ०- पन्द्रह सौ नौ मण्डल गति करता है । (३) प्र० - प्रत्येक युग में नक्षत्र कितने मण्डल पर्यन्त गति करता है ? उ०- अठारह सौ पैंतीस अर्द्ध मण्डल पर्यन्त नक्षत्र गति करता है । यह मुहूर्त गति नक्षत्र ऋतुमास अहोरात्र- युग, मण्डल आदि की शीघ्र गति का अध्ययन कहा, ऐसा मैं कहता हूँ । । २ चन्द. पा. १५, सु. ८६ ।
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy