SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 592
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सूत्र ६३१ तिर्यक लोक : जम्बूद्वीप में ज्योतिषीदेव गणितानुयोग ४३३ जंबुद्दीवे जोइसिया देवा जम्बूद्वीप में ज्योतिष्क देव६३१. (१) ५०–ता जंबुद्दीवे दीवे ६३१. (१) प्र०-इस जम्बूद्वीप द्वीप मेंकेवइया चंदा पभासिसु वा, पभासिति वा, अतीत में कितने चन्द्र प्रभासित होते थे, वर्तमान में कितने पभासिस्संति वा ? चन्द्र प्रभासित होते हैं और भविष्य में कितने चन्द्र प्रभासित होंगे? (२) प०-केवइया सूरा तविसु वा, तर्वेति वा, तविस्संत्ति (२) प्र०-अतीत में कितने सूर्य तपाते थे, वर्तमान में वा? कितने सूर्य तपाते हैं और भविष्य में कितने सूर्य तपाएंगे? (३) ५०-केवइया गहा चारं चरिंसु वा, चरंति वा, (३) प्र०-अतीत में कितने ग्रह गति करते थे, वर्तमान में चरिस्संति वा? कितने ग्रह गति करते हैं और भविष्य में कितने ग्रह गति करेंगे? (४) प०-केवइया णक्खत्ता जो जोइंसु वा, जोएंति वा, (४) प्र०- अतीत में कितने नक्षत्र योग करते थे वर्तमान में जोइस्संति वा? कितने नक्षत्र योग करते हैं और भविष्य में कितने नक्षत्र योग करेंगे? (५) ५०-केवइया तारागणकोडि-कोडिओ सोभं सोभेसु वा, (५) प्र०-अतीत में कितने कोटा कोटी तारागण सुशोभित सोभंति वा, सोभिस्संति वा? होते थे, वर्तमान में कितना कोटाकोटी तारागण सुशोभित होते हैं और भविष्य में कितने कोटाकोटी तारागण सुशोभित होगे? (१) उ०- ता जंबुद्दीवे दीवे (१) उ०—इस जम्बूद्वीप मेंदो चन्दा पभासेंसु वा, पभासिति वा, पभासि- अतीत में दो चन्द्र प्रकाशित होते थे वर्तमान में दो चन्द्र स्संति वा, प्रकाशित होते हैं और भविष्य में दो चन्द्र प्रकाशित होंगे। (२) उ०-दो सूरिया विसु वा, तवेंति वा, तविस्संति वा, (२) उ०–अतीत में दो सूर्य तपते थे, वर्तमान में दो सूर्य ___ तपते हैं और भविष्य में दो सूर्य तपेंगे । (३) उ०-छावर्तारं गहसयं चारं चरिसुवा, चरंति वा, (३) उ०-अतीत में एक सौ छिहत्तर महाग्रह गति करते चरिस्संति वा, थे, वर्तमान में एक सौ छिहत्तर ग्रह गति करते हैं और भविष्य में एक सौ छिहत्तर ग्रह गति करेंगे । (४) उ०-छप्पण्णं णक्खत्ता जोयं जोएंसु वा, जोएंति वा, (४) उ०-अतीत में छप्पन नक्षत्र योग करते थे, वर्तमान जोइस्संति वा, में छप्पन नक्षत्र योग करते हैं भविष्य में छप्पन नक्षत्र योग करेंगे। (५) उ०-एगं सयसहस्सं तेत्तीसं च सहस्सा गव सया (५) उ०-एक लाख तेतीस हजार नौ सौ पचास कोटा पण्णासा तारागण कोडि-कोडीणं सोभं सोभेसु कोटी तारागण अतीत में सुशोभित होते थे, वर्तमान में सुशोभित वा, सोभंति वा, सोभिस्संति वा। होते हैं और भविष्य में सुशोभित होंगे । गाहाओ गाथार्थदो चंदा दो सूरा, णक्खत्ता खलु हवंति, छप्पणा। दो चन्द्र, दो सूर्य, छप्पन नक्षत्र एक सौ छिहत्तर ग्रह और जावत्तरं गहसयं, जंबुद्दीवे विचारी गं ॥ एक लाख तेतीस हजार नौ सौ पचास कोटा कोटी तारागण इस एगं च सयसहस्सं तेत्तीसं खलु भवे सहस्साई। जम्बूद्वीप में गति करते हैं। णव य सया पण्णासा, तारागणकोडि कोडीणं ॥ -सूरिय० पा० १६, सू० १०० १ (क) चंद, पा. १६, सु. १००। (ख) जम्बु. वक्ख. ७, सु. १२६ । (ग) जीवा. प. ३, उ. २, सु. १५३ । (घ) भग. स. ६, उ. २, सु. २ । प्र०–ता एगमेगस्स णं चंदस्स देवस्स केवतिया गहा परिवारो पण्णत्तो ? केवतिया णक्खत्ता परिवारो पण्णत्तो? केवतिया तारा परिवारो पण्णत्तो ? (क्रमशः ४३४ पर)
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy