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लोक- प्रज्ञप्ति
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अरुणवरदीवस्स निच्चत्तं -
८६३ अनुसरणं गोपमा ! अरुणवरे बीचे सासरजाव-विच्चे। - जीवा० पडि० ३, उ० २, सु० १८५ ८६४. अरुणवरं णं दीवं अरुणवरोदे णामं समुदे वट्ट े जाव चिट्ठति ।
तिर्यक्लोक: अरुणादिद्वीप वर्णन
अरुणवर-अरुणवरमहावरा व एस्य दो देवा महिडीया -जाब-पलिसोयमहिया परिवसति
सेसं सव्वं तहेव ।
अरुणवरावभासभद्दे - अरुणवराभासमहाभदा य एत्थ दो देवा महिया-जाय पतिओवमट्टिया परिवर्तति,
से
तहेव ।
अरुणवरावभास - अरुणवरावभासमहावरा एत्थ दो देवा महिदीया जाय- पलिशोषमट्टिया परिवति,
सेर्स सम्यं तव ।
८६५. अरुणवरोदं समुदं अरुणवरावभासे णामं दीवे वट्ट े -जाव- ८६५. वृत्त वलयाकार संस्थान से स्थित अरुणवरावभासद्वीप अरुणवरोदसमुद्र को चारों ओर से घेरकर स्थित है ।
चिति ।
-जीवा० पडि० ३, उ०२, सु० १८५
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१ सूरिय० पा० १६, सु० १०१ । २ सूरिय० पा० १९, ०१०१।
२ सुरिय० पा० ११.
०१०१ ।
सूत्र ८६३-८६६
अरुणवरद्वीप की नित्यता
८६३. अथवा हे गौतम! अरुणवरद्वीप शाश्वत है-यावत्नित्य है ।
८६४. वृत्त वलयाकार संस्थान से स्थित अरुणवरोद समुद्र अरुणवरद्वीप को चारों ओर से घेरकर स्थित है ।
८६६. अरुणवरावभासे णं दीवं अरुणवरावभासे णामं समुद्दे वट्ट ८६६. वृत्त वलयाकार संस्थान से स्थित अरुणवरावभास समुद्र जा-चिति । अरुणवरावभासद्वीप को चारों ओर से घेरकर स्थित है ।
पत्योपम की स्थिति वाले अरुणवर और अरुणवरमहावर नाम के दो महधिक देव - यावत्-वहाँ रहते हैं । शेष सब वर्णन पूर्ववत् है ।
पत्योपम की स्थिति वाले अरुणवरावभासभद्र और अरुणवरावभासमहाभद्र नाम के दो महधिक देव-यावत्-वहाँ रहते हैं, शेष सब वर्णन पूर्ववत् है।
पल्योपम की स्थिति वाले अरुणवरावभास और अरुणवरावभासमहावर नाम के दो महधिक देव - यावत् - वहाँ रहते हैं । शेष सब वर्णन पूर्ववत् है।
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