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________________ इसी प्रकार जिन नक्षत्रों का फैलाव १००५ गगन खंडों में है उनका चन्द्र से योग काल १००५ ६७ - १५ मुहर्त होगा। पुनः जिन नक्षत्रों का फैलाव ३०१५ मण्डल भाग है उनका चन्द्र से योग काल = ४५ मुहूर्त होगा । ३०१५ ६७ अगली गाथा में इसी प्रकार चन्द्र ग्रह योगकाल का संख्या रहित उल्लेख है। सूत्र ६४, पृ० ४६१ यहाँ सूर्य नक्षत्र योगकाल का विवरण है। अभिजित नक्षत्र का फैलाव ६३० गगन खंड होने से तथा सापेक्ष गति सूर्य को ५ गगनखण्ड कम होने से योगकाल ४ अहोरात्रि एवं गृहतं है। इसी प्रकार २००५ फैलाव वाले नक्षत्र सूर्य से योगकाल २०१ मुहूर्त अथवा अहोरात्र २१ मुहूर्त होता है। ५ जिन नक्षत्रों का फैलाव २०१० गगनखण्ड होगा उनका सूर्य से = ४०२ अथवा १३ अहोरात्र १२ मुहूर्त होता योगकाल २०१० ५ है । इसी प्रकार जिन नक्षत्रों का फैलाव ३०१५ मण्डल भाग होता है वे सूर्य से योग रात्र एवं ३ मुहूर्त काल तक करते हैं । अगले सूत्र में सूर्य ग्रह योग काल का संख्या रहित उल्लेख हैं । सूत्र ९६६, पृ० ४६१ एक अहोरात्र में ३० मूहर्त होते हैं। एक मुहूर्त में चन्द्र गमन १७६८ गगनखंड होता है ३० मुहूर्त में ५३०४० गगनखंड होंगे । कुल मण्डल गगनखंड १०६८०० है, जिनका अर्द्ध मंडल ५४६०० होता है । अतएव चन्द्र एक अहोरात्र में एक अर्द्ध मंडल में १८६० भाग कम चलता है । किन्तु ग्रन्थ में एक अर्धमंडल और अर्धमंडल के नौ सौ पन्द्रह भागों में ३१ भाग कम पर्यंत चन्द्र गति बतलाई गई है । यह किस आधार पर बतलाई गयी है - यह शोध का विषय है । ३०१५ ५ ६३० ५ = १२६ मुहूर्त अथवा = - ६०३ मुहूर्त अथवा २० अहो - गणितानुयोग प्रस्तावना २७ दृष्टव्य है कि अनुपात ५३०४० ५४६०० ३१ ६१५ अतएव अनुवाद का अर्थ उक्त होना चाहिए । इसी प्रकार सूर्य गमन ३० मुहूर्त में १५३०X३०= ५४६०० गगन मंडल खंड अथवा अर्धमंडल होता है । = १ इसी तरह नक्षत्र गमन ३० मुहूर्त में १८३५X३० = ५५०५० गगनखंड होता है। एक अहोरात्र में नक्षत्र १५० खण्ड अधिक एक अर्द्ध मंडल चलते हैं । अनुपात अपेक्षा होते हैं। ३१ अथवा २- अहोराज लगेंगे। ४४२ १+ अर्द्धमण्डल चलते हैं । २ ७३२ भिन्न की उपरोक्त प्रणाली ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण है । सूत्र ६६७, पृ० ४६२ (१) चन्द्रमा प्रत्येक मण्डल को कितने मुहूर्त में तय करता है ? ५५०५० ५४६०० यहाँ अनुपात रूप से गणना की गयी है । चन्द्रमा १७६८ मण्डल चलने पर १८३० x २ अहोरात्र लगाता है, वहीं उसे यदि १८३०x२ १५. १ मण्डल तय करना पड़े तो मुहूर्त अर्थात १७६८ ४४२: १८३०x२ १८३० (२) इसी प्रकार सूर्य प्रत्येक मण्डल को कितने मुहूर्त में तय करता है ? यहाँ भी अनुपात उसी प्रकार होगा । १८३० मण्डल सूर्य १८३०x२ अहोरात्र में तय करता है । यदि १ मण्डल अहोरात्र अथवा २ अहोरात्र तय करना पड़े तो उसे लगेंगे । (२) दूसरी तरह से १७६० भाग मण्डल के १ अन्तर्मुहूर्त में, . . १ अहोरात्र में १७६५ X ३० भाग चन्द्र चलता है । अतएव १०६८०० या १ मण्डल के भागों को तय करने में चन्द्र १०३८०० ३१ २. १७६८ X ३० ४४२ अहोरात्र लगाता है । इसी प्रकार सूर्य पर भी घटित करना चाहिए ।
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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