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लोक-प्रज्ञप्ति
तिर्यक् लोक : क्षीरवरद्वीप वर्णन
सूत्र ८११-८१४
खीरवरदीवो वण्णओ
क्षीरवरद्वीप वर्णन
खीरवरदीवस्स संठाणं
क्षीरवरद्वीप का संस्थान - ८११. वरुणोदण्णं समुह खीरवरे णाम दीवे वट्ट वलयागारसंठाण- ८११. वृत्त एवं वलयाकार संस्थान से स्थित क्षीरवरद्वीप वरुणोद
संठिए सवओ समंता संपरिक्खित्ताणं चिट्ठति ।' समुद्र को चारों ओर से घेरकर स्थित है। तहेव समचक्कवाल संठाणसंठिए।
वह उसी प्रकार समचक्राकार संस्थान से स्थित है। विक्खंभ-परिक्खेवो संखिज्जाई जोयणसयसहस्साई।
उसका विष्कम्भ और परिधि संख्यात लाख योजन की है। दारा, दारंतरं, पउमवरबेइया, वणसंडे, पएसा, जीवा तहेव।। क्षीरवरद्वीप के द्वार, द्वारों के अन्तर, पद्मवरवेदिका, -जीवा. पडि. ३, उ. २, सु. १८१ वनखण्ड, द्वीप और समुद्र के प्रदेशों का परस्पर स्पर्श, द्वीप और
समुद्र के जीवों को एक दूसरे में उत्पत्ति पूर्ववत है । खीरदीवस्स णामहेऊ
क्षीरवरद्वीप के नाम का हेतु८१२. ५०-से केण? णं भंते ! एवं वुच्चइ-"खीरवरे दीवे, ८१२. प्र०-क्षीरवरद्वीप क्षीरवरद्वीप ही क्यों कहा जाता है ?
खीरवरे दीवे ?" उ०-गोयमा ! खीरवरेणं दीवे तत्थ तत्थ देसे देसे तहि तहिं 3०-गौतम ! क्षीरवरद्वीप में स्थान स्थान पर अनेक छोटी
बहुओ खुड्डाखुड्डियाओ बावीओ-जाव-सरसरपंतियाओ छोटी वापिकायें है-यावत् --सरोवरों की पंक्तियाँ है। वे सब खीरोदगपडिहत्थाओ पासातीयाओ-जाव-पडिहवाओ। क्षीर जैसे उदक से प्रतिपूर्ण भरे हुए हैं, दर्शनीय है-यावत -
मनोहर हैं। तासु णं खुड्डियासु-जाव-बिलपंतियासु बहवे उप्पाय- उन छोटी छोटी वापिकाओं में-यावत -बिलपंक्तियों में पव्वगा-जाव-सव्वरयणामया अच्छा-जाव-पडिरूवा। अनेक उत्पात पर्वत हैं यावत् - वे सब रत्नमय हैं, स्वच्छ हैं
मनोहर हैं। पुण्डरीग-पुप्फदंता एत्थ दो देवा महिड्ढीया-जाव- पुण्डरीक और पुष्पदन्त नामक महधिक-यावत -पत्योपम पलिओवमद्वितीया परिवसंति ।
की स्थिति वाले दो देव वहाँ रहते हैं। से एतेण?ण गोयमा ! एवं वुच्चइ -"खीरवरे दीवे, गौतम ! इस कारण से क्षीरवरद्वीप, क्षीरवरद्वीप कहा
खीरवरे दीवे। -जीवा. पडि. ३, उ. २, सु. १८१ जाता है। खीरवरदीवस्स निच्चत्तं
क्षीरवरद्वीप की नित्यता५१३. अदुत्तरं च णं गोयमा ! खीरवरे बीवे सासए-जाव-णिच्चे। ८१३. अथवा-गौतम ! क्षीरवरद्वीप यह नाम शास्वत है
-जीवा. पडि. ३, उ. २, सु, १८१ यावत -नित्य है ।
खीरोदसमुद्दो
क्षीरोदसमुद्र
खीरोदसमुद्स्स्स संठाणं
क्षीरोद समुद्र का वर्णन८१४. खीरवरणं दीवं खोरोए णामं समुद्दे वट्ट वलयागार संठाण- ८१४. वृक्ष एवां वलयाकार संस्थान से स्थित क्षीरोदसमुद्र क्षीर
संठिते सव्वओ समता संपरिक्खित्ता णं चिट्ठति ।' वरद्वीप को चारों ओर से घेरकर स्थित है।
१ सूरिय. पा. १६ सु. १०१ ।
२ सूरिय. पा. १६ सु. १०१।