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________________ सूत्र ७८६-७८६ तिर्यक् लोक : अढाईद्वीप वर्णन गणितानुयोग ३८७ ४. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पध्वयस्स उत्तरदाहिणेणं महा- जम्बूद्वीप द्वीप के मन्दर पर्वत से उत्तर-दक्षिण में महाविदेह विदेहेवासे दो महाणईओ पण्णत्ताओ, बहुसमतुल्लाओ-जाब- क्षेत्र में दो महानदियाँ कही गई हैं, जो सर्वथा समान हैं-यावत् तं जहा–१. सीता चेव, २. सीतोदा चेव । -यथा-(१) दक्षिण में शीता, (२) उत्तर में शीतोदा। ५. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं रम्मए वासे जम्बूद्वीप द्वीप के मन्दर पर्वत से उत्तर में रम्यक्षेत्र में दो 'दो महाणईओ पण्णत्ताओ, बहुसमतुल्लाओ-जाव-तं जहा- महानदियाँ कही गई हैं, जो सर्वथा समान हैं-यावत् --यथा१. नरकंता चेव, २. नारिकता चेव । (१) नरकान्ता, और (२) नारीकान्ता । ___६. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पन्वयस्स उत्तरेणं हेरण्णवए जम्बूद्वीप द्वीप के मन्दरपर्वत से उत्तर में हैरण्यवत में दो वासे दो महाणईओ पण्णत्ताओ, बहुसमतुल्लाओ-जाव-तं जहा- महानदियाँ कही गई हैं, जो सर्वथा समान हैं--यथा-(१) सुवर्ण १. सुवष्णकूला चेव, २. रुष्पकूला चेव । कूला । (२) रूप्यकूला। ७. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेण एरवए वासे जम्बूद्वीप द्वीप के मन्दरपर्वत से उत्तर में ऐरवत क्षेत्र में दो दो महाणईओ पण्णताओ, बहुसमतुल्लाओ-जाव-तं जहा- महानदियाँ कही गई हैं, जो सर्वथा समान हैं,-यावत्-यथा१. रत्ता चेव, २. रत्तवती चेव। (१) रक्ता, और (२) रक्तावती । -ठाण अ० २, उ० ३, सुत्तं ६१ धायइसंडे दोने पुरथिमद्ध पच्चत्थिमद्धय- धातकीखण्डद्वीप के पूर्वार्ध में और पश्चिमाई में७८७.१. दो गंगा, दो सिंधू, ७८७. (१) दो गंगा, दो सिन्धु, २. दो रोहिया दो रोहितंसा, (२) दो रोहिता, दो रोहितांसा, ३. दो हरी दो हरिकता, (३) दो हरी, दो हरीकान्ता, ४. दो सीता, दो सीतोदा, (४) दो शीता, दो शीतोदा, ५. दो नरकंता, दो नारिकता, (५) दो नरकता, दो नारीकान्ता, ६. दो सुवण्णकूला, दो रुप्पकूला, (६) दो सुवर्णकूला, दो रूप्यकूला, ७. दो रत्ता, दो रत्तवती। (७) दो रक्ता, दो रक्तावती हैं । -ठाणं अ० २ उ० ३ सुत्तं १०० ६. एवं पुक्खरवरदीवड्ढपुरथिमद्ध पच्चत्थिमद्ध वि, इसी प्रकार पुष्करवरद्वीपार्ध के पूर्वार्ध और पश्चिमार्ध में -ठाण अ० २, उ० ३, सुत्तं १०३ भी हैं। बेइयामूल विक्खंभे __ वेदिका के मूल की चौड़ाई७८८. जबट्टीवस्स णं दोवस्स वेइयामूले दुवालस जोयणाई विक्ख- ७८८. जम्बूद्वीप द्वीप की वेदिका मूल में बारह योजन की चौड़ी भेणं पण्णत्ता।' -सम० १२, सु० ७ कही गई हैं । सोसि दीव-समुदाणं गेइया पमाणं -- सब द्वीप-समुद्रों की वेदिका का प्रमाण७८९. सर्वेसि पि णं दीव-समुद्दाणं वेइया दो गाउयाइ उड्ढं ७८६. सब द्वीप-समुद्रों की वेदिका दो गाऊ ऊँची कही गई है। उच्चत्तेणं पण्णत्ता। -ठाणं अ० २, उ० ३, सु०६३ १ (क) जीवा. प्रति. ३, सूत्र १८६ में 'जम्बूद्वीप आदि नाम वाले द्वीप तथा लवणसमुद्र आदि नाम वाले समुद्र इस तिर्यक्लोक में असंख्य है' और (१) देव, (२) नाग, (३) यक्ष, (४) भूत, (५) स्वयम्भुरमण, इन पांच नाम वाले द्वीप-समुद्र एक एक हैं" ऐसा कहा है। इन सब द्वीप-समुद्रों की वेदिका प्रमाण इस सूत्र के अनुसार कहा गया है। (ख) इस सूत्र में केवल जम्बूद्वी। की वेदिका के मूल का विष्कम्भ कहा गया है किन्तु वेदिका की ऊँचाई निरूपक उपरोक्त सूत्रानुसार सभी द्वीप-समुद्रों की वेदिकाओं के मूल का विष्कम्भ भी जानना चाहिए । २ जम्बुद्दिवस्स ण दीवस्स वेइया दो गाउयाई उड्ढं उच्चत्ते णं पण्णता, -ठाणं अ. २, उ. ३, सु. ६१ लवणस्स णं समुद्दस्स वेइया दो गाउयाई उड्ढं उच्चत्ते णं पण्णत्ता, -ठाणं अ. २, उ. ३, सु. ६१ धाय इसंडस्स णं दीवस्स वेइया दोगाउयाई उड्ढं उच्चत्ते ण पण्णत्ता, -ठाणं अ. २, उ. ३, सु. ६२ पुक्खरवरस्स णं दीवस्स वेइया दो गाउयाई उड्ढे उच्चत्ते णं पण्णत्ता, -ठाणं अ. २, उ. ३, सु. ६३ लवणस्स णं समुद्दस्स वेइया दो गाउयाई उड्ढं उच्चत्ते णं पण्णत्ता, -ठाणं अ. २, उ. ३, सु. ६१
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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