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लोक-प्रज्ञप्ति
तिर्यक् लोक : अढाईद्वीप वर्णन
सूत्र ७८४-७८६
४. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तर-दाहिणेणं जम्बूद्वीप द्वीप के मन्दर पर्वत से उत्तर-दक्षिण में महाविदेह महाविदेहे वासे दो पवायद्दहा पण्णत्ता, बहुसमतुल्ला-जाव- क्षेत्र में दो प्रपातद्रह कहे गये हैं, जो सर्वथा समान है-यावत्तं जहा–१. सीतप्पवायदृहे चेव, २. सीतोदष्पवायद्दहे चेव। यथा-(१) शीतप्रपातद्रह, (२) शीतोदप्रपातद्रह ।
५. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं रम्मए वासे जम्बूद्वीप द्वीप के मन्दर पर्वत से उत्तर में रम्यक् क्षेत्र में दो दो पवायदहा पण्णता, बहुसमतुल्ला-जाव-तं जहा–१. नर- प्रपातद्रह कहे गये हैं, जो सर्वथा समान है-यावत -यथाकंतप्पवायद्दहे चेव, २. नारिकतप्पवायदहे चेव । (१) नरकान्तप्रपातद्रह, (२) नारीकान्त प्रपातद्रह ।
६. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं हेरण्णवए जम्बूद्वीप द्वीप के मन्दर पर्वत से उत्तर में हैरण्यवतक्षेत्र में वासे दो पवायदहा पण्णत्ता, बहुसमतुल्ला-जाव-तं जहा- दो प्रपातद्रह कहे गये हैं। जो सर्वथा समान हैं—यावत् –यथा१. सुवण्णकूलप्पवायद्दहे चेव, २. रुप्पकूलप्पवायहहे चेव। (१) सुवर्णकूलाप्रपातद्रह, (२) रूप्यकुलाप्रपातद्रह ।
७. जंदुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं एरवए वासे जम्बूद्वीप द्वीप के मन्दर पर्वत से उत्तर में ऐरवत क्षेत्र में दो पवायदहा पण्णत्ता, बहुसमतुल्ला-जाव-तं जहा- दो प्रपातद्रह कहे गये हैं जो सर्वथा समान हैं-यावत्-यथा१. रत्तप्पवायदहे चेव, २. रत्तावईपवायदहे चेव । (१) रक्तप्रपातद्रह, (२) रक्तावतीप्रपातद्रह ।
-ठाणं अ० २, उ० ३, सुत्तं० १० धायइसंडे दोवे पुरथिमद्ध पच्चत्थिमद्ध
धातकीखण्डद्वीप के पूर्वाध और पश्चिमार्ध में७८५. १. दो गंगप्पवायदहा, दो सिंधुप्पवायदहा ।
७८५. (१) दो गंगप्रपातद्रह, दो सिन्धुप्रपातद्रह । २. दो रोहियप्पवायदहा, दो रोहियंसप्पवायदहा ।
(२) रोहितप्रपातद्रह, दो रोहितांसप्रपातद्रह । ३. दो हरिप्पवायदहा, दो हरिकतप्पवायदहा ।
(३) दो हरिप्रपातद्रह, दो हरिकान्तप्रपातद्रह । ४. दो सीतप्पवायदहा, दो सीतोदप्पवायदहा ।
(४) दो शीतप्रपात द्रह, दो शीतोदप्रपातद्रह । ५. दो नरकंतप्पवायदहा, दो नारिकतप्पवायद्दहा ।
(५) दो नरकान्तप्रपातद्रह, दो नारीकान्तप्रपातद्रह । ६. दो सुवण्णकूलप्पवायद्दहा, दो रुप्पकूलप्पवायदहा । (६) दो सुवर्णकूलप्रपातद्रह, दो रूप्यकुलाप्रपातद्रह । ७. दो रत्तप्पवायदहा, दो रत्तावईपवायदहा ।
(७) दो रक्तप्रपातद्रह, दो रक्तावतीप्रपातद्रह । -ठाणं अ० २, उ० ३, सुत्तं १०० ६. एवं पुक्खरवरदीवड्ढपुरथिमी पच्चत्थिमद्धे वि, इसी प्रकार पुष्करवरद्वीपार्थ के पूर्वार्ध में और पश्चिमार्ध
-ठाणं अ० २, उ० ३, सुत्तं १०३ में भी हैं। अड्ढाइज्जेसु दीनेसु तुल्लाओ महाणईओ- अढाई द्वीप में तुल्य महानदियाँ - ७८६. १. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पन्वयस्स दाहिणणं भरहे वासे दो ७८६. जम्बूद्वीप द्वीप के मन्दर पर्वत से दक्षिण भरत क्षेत्र में दो महाणईओ पण्णत्ताओ, बहुसमतुल्लाओ, अविसेसमणाणत्ताओ, महानदियाँ कही गई हैं, जो सर्वथा समान हैं, न उनमें किसी
प्रकार की कोई विशेषता है और न उनमें नानापन हैं। . अण्णमण्णं णाइवट्टन्ति, आयाम-विक्खंभ-उन्वेह-संठाण- लम्बाई चौड़ाई गहराई आकार और परिधि में एक दूसरे परिणाहेणं; तं जहा
का अतिक्रमण नहीं करती हैं यथा१. गंगा चेव, २. सिंधु चेव।
(१) गंगा, और (२) सिन्धु । ,२. जंबहीवे दीवे मंदरस्स पध्वयस्स दाहिणणं हेमवए वासे जम्बूद्वीप द्वीप के मन्दर पर्वत से दक्षिण हैमवत क्षेत्र में दो दो महाणईओ पण्णताओ बहुसमतुल्लाओ-जाव-तं जहा- महानदियाँ कही गई हैं, जो सर्वथा समान हैं-यावत-यथा१. रोहिता चेव, २. रोहितंसा चेव ।
(१) रोहिता, और (२) रोहितांसा ।। ३. जंबहीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणणं हरिवासे दो जम्बूद्वीप द्वीप के मन्दर पर्वत से दक्षिण हरिवासक्षेत्र में दो महाणईओ पण्णत्ताओ, बहुसमतुल्लाओ-जाव-तं जहा- महानदियाँ कही गई हैं, जो सर्वथा समान हैं-यावत -यथा१ हरि चेव, २. हरिकता चेव ।
(१) हरी, और (२) हरीकान्ता ।