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________________ सूत्र ७४०-७४३ ww तिर्यक् लोक : कालोदसमुद्र वर्णन उ०- गोयमा ! कालोयसमुद्दस्स दक्खिणपेरते, पुक्खरवरदीवस्स दक्खिणद्धस्स उत्तरेणं, एत्थ णं कालोयसमुद्दस्स वैजयंते णामं दारे पण्णत्ते । ww प० कहि मं ! कालोयसमुद्दस्त जयंते नामं दारे पण्णत्ते ? उ०- गोवमा ! कालोयसमुदयस्स पञ्चत्विते पुखर वरदीवस्स पच्चत्थिमद्धस्स पुरत्थिमेणं, सीताए महाण दीए उप- ( एत्थ णं कालोयसमुद्दस्स) जयंते णामं दारे पण्णत्ते ? ० कहि मते ! ( कालोय समुदस्स) अपराजिए नॉर्म दारे पण्णत्ते ? उ० उ०- गोपमा ! कालोयसमुदस्स उत्तरद्वपेरते, पुखरबरवीवोत्तर बाहिओ एत्थ णं फालोयसमुदस्स अपराजिए णामं दारे पण्णत्ते । सेसं तं चेव । -- जीवा. पडि ३, उ. २, सु. १७५ कालोयसमुद्दस्त दारस्स दारस्स य अन्तर७४१. ५० - कालोयस्स णं भंते ! समुदस्स दारस्स य दारस्स य एस णं केवतियं केवतियं अबाहाए अंतरे पण्णत्ते ? -गोयमा ! - गाहा बावीसहस्सा बाणउति खलु भवे सहस्साई छच्चसया बायाला, दारंतर तिनि कोसा य ॥ दारस्स य दारस्स य अबाहाए अंतरे पण्णत्ते । -जीवा. पडि. ३, उ. २, सु. १७५ कालोस्स पुक्खरवरवीबद्धस्स य पएसाणं फुसणा एवं पुक्खरवरदीवद्धस्स वि जीवा उद्दाइत्ता उद्दाइता कालोय मुद्दे पञ्चायति । तहेव भाणियश्व । — जीवा. पडि ३, उ. २, सु. १७५ कालोदसमुदस्स नामहेऊ— गणितानुयोग ३७१ उ०- गौतम! कालोदसमुद्र के दक्षिणांत में और पुष्करवरद्वीप के दक्षिणार्ध के उत्तर में कालोद समुद्र का वैजयन्त नामक द्वार कहा गया है । प्र० - भगवन् ! कालोदसमुद्र का जयंत नामक द्वार कहाँ कहा गया है ? उ० गौतम कालोदसमुद्र के पश्चिमांत में, पुष्करवरद्वीप के पश्चिमार्धं के पूर्व में और शीता महानदी के ऊपर जयंत नामक द्वार कहा गया है। प्र० -- भगवन् ! कालोदसमुद्र का अपराजित नामक द्वार कहाँ कहा गया है ? उ०- गौतम ! कालोदसमुद्र के उत्तरार्ध के अन्त में और पुष्करवरद्वीप के उत्तरार्ध के दक्षिण में कालोदसमुद्र का अपराजित नामक द्वार कहा गया हैं। शेष वर्णन पूर्ववत् है । कालोदसमुद्र के एक द्वार से दूसरे द्वार का अन्तर७४१ प्र० - भगवन् ! कालोदसमुद्र के एक द्वार से दूसरे द्वार के मध्य में व्यवहित अन्तर कितना कहा गया है ? उ०- गौतम ! गाथार्थ - एक द्वार से दूसरे द्वार के मध्य का व्यवहित अन्तर बाईस लाख बानवे हजार छह सौ बियालीस योजन तथा तीन कोश का कहा गया है। - कालोदसमुद्र और पुष्करवरद्वीपार्ध के प्रदेशों का परस्पर स्पर्श७४२. ५० - कालोयस्स णं भते ! समुद्दस्य परसा खरखरदीबद्ध ७४२. भगवन्! कालोदसमुद्र के प्रदेश पुष्करवरद्वीपा से पृष्ट है ? प्र०- पुड़ा ? उ०- गोयमा ! तहेव ! उ०- गौतम (ये प्रश्नोत्तर) पूर्व है। - जीवा. पडि. ३, उ. २, सु. १७५ पुरवरवीबद्धस्स कालोपसमुहस्स व परोप्परं जीवाणं उप्पई कालोद और पुष्करवरद्वीपार्थ के जीवों की एक-दूसरे में उत्पत्ति इसी प्रकार पुष्करवरद्वीपार्ध के जीव मर मरकर कालोदसमुद्र में उत्पन्न होते हैं । (ये प्रश्नोत्तर भी) पूर्ववत् कहने चाहिए। कालोदसमुद्र के नाम का हेतु ७४३.५० सेकेण षं भंते! एवं बुवद-"कालोए समुद्दे ७४२. भगवन् किस कारण से कालोदसमुद्र कालोदसमुद्र कहा कालोए समुद्दे ? जाता है ?
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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