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________________ ३६४ लोक-प्रज्ञप्ति तिर्यक् लोक : धातकीखण्डद्वीप वर्णन सूत्र ७१०-७१६ wwwwwwwww १४. धायइसंडे णं दीवे दो आसीविसा वक्खारपब्वया, (१४) धातकीखण्डद्वीप में दो आशिविष वक्षस्कार पर्वत हैं। १५. धायइसंडे णं दीवे दो सुहावहा वक्खारपब्वया, (१५) धातकीखण्डद्वीप में दो सुखावह वक्षस्कार पर्वत हैं । १६. धायइसंडे णं दोवे दो चंदपव्वया वक्खारपव्वया, (१६) धातकीखण्डद्वीप में दो चन्द्र वक्षस्कार पर्वत हैं। १७. धायइसंडे णं दीवे दो सूरपव्वया वक्खारपब्वया, (१७) धातकीखण्डद्वीप में दो सूर्य वक्षस्कार पर्वत हैं । १८. पायइसंडे णं दीवे दो गागपब्वया वक्खारपव्वया, (१८) धातकीखण्डद्वीप में दो नाग वक्षस्कार पर्वत हैं । १६. धायडसंडे णं दीव दो देवपब्वया वक्खारपब्वया, (१६) धातकीखण्डद्वीप में दो देव वक्षस्कार पर्वत हैं । २०. धायइसंडे णं दीवे दो गंधमायणा वक्खारपध्वया, (२०) धातकीखण्डद्वीप में दो गंधमादन वक्षस्कार पर्वत हैं। -ठाणं २, उ० ३, सु० १०० धायइसंडे दीवे मन्दर पव्वया धातकीखण्डद्वीप में मन्दर पर्वत७११. धायइसंडे णं दीवे दो मंदरा पव्वया पण्णत्ता । ७११. धातकीखण्डद्वीप में दो मन्दर पर्वत कहे गये हैं। -ठाणं २, उ० ३, सु०६२ ७१२. धायइसंडस्स णं मंदरा पंचासोति जोयणसहस्साई सम्वग्गेणं ७१२. धातकीखण्डद्वीप के मन्दर पर्वत पच्यासी हजार योजन पण्णत्ता। -सम० ८५, सु०२ पूर्ण प्रमाण के कहे गये हैं। ७१३. धायइसंडगा णं मंदरा दस जोयणसयाइं उन्हेणं, ७१३. धातकीखण्डद्वीप के मन्दरपर्वत एक हजार योजन भूमि में धरणितले देसूणाई दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं, कुछ कम दस हजार योजन चौड़े हैं। उरि दस जोयणसयाई विक्खंभेणं पण्णत्ता । ऊपर एक हजार योजन चौड़े कहे गये हैं। -ठाणं १०, सु०७२२ ७१४. धायइसंडे गं दीवे दो मंदरचूलिया पण्णत्ता । ७१४. धातकीखण्डद्वीप में दो मन्दर पर्वत की चूलिकायें कही -ठाणं २, उ० ३, सु० ६२ई हैं । ७१५. धायइसंडेणं दीवे मंदरचूलिया गं उरि चत्तारि जोयण१५. धातकीखण्डद्वीप में मन्दर पर्वत की चूलिकाओं का ऊपर विक्खंभेणं पण्णत्ता। -ठाणं ४, उ० २, सु० २६का भाग चार योजन चौड़ा कहा गया है। ७१६. पायइसंडे णं दीवे मंदरचूलिया णं बहुमज्झदेसभाए अट्ट ७१६. धातकीखण्डद्वीप में मन्दर पर्वतों की चूलिकाओं का मध्य जोयणाई विक्खंभेणं पण्णत्ता। -ठाणं ८, सु. ६४० भाग आठ योजन चौड़ा कहा गया है। धायइसंडे मन्दरे वाई धातकीखण्ड के मन्दर पर्वत पर वन७१७. दो भद्दसालवणा, दो नंदणवणा, ७१७. दो भद्रशालवन, दो नन्दनवन । दो सोमणसवणा, दो पंडगवणा, दो सोमनसवन, दो पण्डगवन । -ठाणं अ० २, उ०३, सु० १०० धायइसंडे मन्दरे अभिसेयसिलाओ धातकीखण्ड के मन्दर पर्वत पर अभिषेकशिलायें७१८. दो पंडुकंबलसिलाओ, दो अइपंडुकंबलसिलाओ, ७१८. दो पाण्डुकंबल शिलाएँ, दो अतिपाण्डु कंबल शिलाएँ । दो रत्तकंबलसिलाओ, दो अइरत्तकबलसिलाओ, दो रक्त कंबल शिलाएँ, दो अतिरक्त कंबल शिलाएँ । -ठाणं अ० २, उ० ३, सु० १०० धायइसंडे दीवे उसुयारपव्वया धातकीखण्डद्वीप में इषुकार पर्वत७१६. धायइसंडे णं दीवे दो उसुआरपब्वया पण्णत्ता।' ७१६. धातकीखण्ड द्वीप में दो इषुकार पर्वत कहे गये हैं। - ठाणं २, उ० ३. सु०६२ १ (क) यह इषुकार पर्वत जम्बूद्वीप में नहीं है। धातकी खण्ड में दो और पूष्करार्ध द्वीप में दो-इस प्रकार चार इषुकार पर्वत हैं। (ख) स्था. अ. ४, उ. २, सूत्र ३०६ में चार इषुकार पर्वत कहे गये हैं।
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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