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________________ सूत्र ७०८-७१० तिर्यक् लोक : धातकोखण्डद्वीप वर्णन गणितानुयोग ३६३ धायइसंडदीवे वक्खारपव्वया . धातकीखडद्वीप के वक्षस्कार पर्वत७०८. धायइसंडदीवपुरच्छिमद्धणं मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमेणं ७०८. धातकीखण्डद्वीप नामक द्वीप के पूर्वार्ध में (स्थित) मेरुपर्वत सीयाए महाणईए उमओ कूले दस वक्खारपव्वया पण्णत्ता, के पूर्व में (बहने वाली) शीता महानदी के दोनों (उत्तर-दक्षिण) तं जहा-मालवते-जाव-सोमणसे । किनारों पर दस वक्षस्कार पर्वत कहे गये हैं, यथा-(१-१०) माल्यवंत-यावत् – सौमनस ।। ७०६. धायइसंडदीवपुरच्छिमद्धणं मंदरस्स पब्वयस्स पच्चत्थिमेणं ७०६. धातकीखण्ड नामक द्वीप के पूर्वार्ध में (स्थित) मेरुपर्वत के सीतोदाए महाणईए उभओ कूले दस वक्खारपब्वया पण्णत्ता, पश्चिम में (बहने वाली) शीतोदा महानदी के दोनों किनारों पर तं जहा-विज्जुप्पभे-जाव-गंधमादणे, दस वक्षस्कार पर्वत कहे हैं, यथा-(१-१०) विद्युत्प्रभ-यावत् - गंधमादन । एवं धायइसंडे पच्चत्थिमद्ध वि । इसी प्रकार धातकीद्वीपखण्ड के पश्चिमार्ध में भी वक्षस्कार -ठाणं १०, सु० ७६८ पर्वत हैं । ७१०.१. धायइसंडे णं दीवे दो मालवंता वक्खारपव्वया, ७१०. (१) धातकीखण्डद्वीप में दो माल्यवन्त वक्षस्कार पर्वत हैं। २. धायइसंडे णं दोवे दो चित्तकूडा वक्खारपम्वया, (२) धातकीखण्डद्वीप में दो चित्रकूट वक्षस्कार पर्वत हैं। ३. धायइसंडे णं दीवे दो पम्हकडा वक्खारपव्वया, (३) धातकीखण्डद्वीप में दो पक्ष्मकूट वक्षस्कार पर्वत हैं। ४. धायइसंडे णं दीवे दो नलिनकूडा वक्खारपव्वया, (४) धातकी खण्डद्वीप में दो नलिनकूट वक्षस्कार पर्वत हैं । ५. धायइसडे गं दीवे दो एगसेला वक्खारपब्वया, (५) धातकीखण्डद्वीप में दो एकशैल वक्षस्कार पर्वत हैं । ६. धायइसंडे णं दीवे दो तिकूडा वक्खारपब्वया, (६) धातकीखण्डद्वीप में दो त्रिकूट वक्षस्कार पर्वत हैं । ७. धायइसंडे णं दीवे दो वेसमणकडा वक्खारपब्वया, (७) धातकीखण्डद्वीप में दो वैश्रमण वक्षस्कार पवंत हैं । ८. धायइसंडे णं दीवे दो अंजणा वक्खारपब्वया, (८) धातकीखण्डद्वीप में दो अंजनक वक्षस्कार पर्वत हैं। ६. धायइसंडे णं दीवे दो मातंजणा वक्खारपव्वया, (8) धातकीखण्डद्वीप में दो मातंजन वक्षस्कार पर्वत हैं। १०. धायइसंडे णं दीवे दो सोमणसा वक्खारपव्वया, (१०) धातकीखण्डद्वीप में दो सौमनस वझस्कार पर्वत हैं। ११. धायइसंडे णं दीवे दो विजुप्पभा वक्खारपम्बया, (११) धातकीखण्डद्वीप में दो विद्युत्प्रभ वक्षस्कार पर्वत हैं। १२. धायइसंडे णं दीवे दो अंकावती वखारपव्वया, 1(१२) धातकीखण्डद्वीप में दो अंकावती वक्षस्कार पर्वत हैं । १३. धायइसंडे णं दीवे दो पम्हावती वक्खारपब्वया, (१३) धातकीखण्डद्वीप में दो पक्ष्मावती वक्षस्कार पर्वत हैं। १ (क) ....एवं धायइसंडपुरथिमद्ध वि वक्खारा भाणियन्वा-जाव-पुक्खरवरदीवड्ढपच्चत्थिमद्ध । ठाण १० स. ७६८ में संक्षिप्त पाठ है, ऊपर विस्तृत पाठ दिया है । (ख) ... एवं धायइसंडदीवपुरस्थिमद्ध वि कालं आदि करेत्ता-जाव-मंदरचूलियत्ति । ठाणं ४ उ. २, स. ३०२ में संक्षिप्त पाठ है। इस सत्र के अनुसार मंदरपर्वत से पूर्व-पश्चिम में शीता-शीतोदा के दक्षिणी-उत्तरी किनारों पर तथा चार विडियो में चार चार वक्षस्कार पर्वत हैं । (गोधायडसंडदीवपुर थिमीणं मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमेणं सीताए महाणईए उत्तरेणं पंच वक्खारपव्वया पण्णत्ता. तं जहामालवंते जहा जम्बुद्दीवे । - ठाणं ५, उ. २ सु. ४३४ इस सूत्र के अनुसार मंदरपर्वत से पूर्व-पश्चिम में शीता-शीतोदा के दक्षिणी-उत्तरी किनारों पर पाँच पाँच वर्षका पर्वत हैं। (घ) स्थानांग ८ सूत्र ६३७ में जम्बूद्वीप के मंदरपर्वत से पूर्व-पश्चिम में शीता-शीतोदा के दक्षिणी-उत्तरी किनारों पर आठ आठ वक्षस्कार पर्वत है-ऐसा कहा है किन्तु धातकीखण्डद्वीप तथा पुष्करार्धद्वीप में भी इसी प्रकार आठ आठ वक्षस्कार पर्वत हैं' ऐसी सूचना का संक्षिप्तसूत्र नहीं है। ऊपर स्थानांग १० सत्र ७६८ में दस वक्षस्कार पवतो का कथन है अतः संक्षिप्तसूत्र के न होने पर भी पर्वत धातकीखण्डद्वीप में तथा पुष्करार्धद्वीप में स्वतः सिद्ध है।
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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