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________________ सूत्र ६६८-६७२ तिर्यक् लोक : लवणसमुद्र वर्णन गणितानुयोग ३५१ मन्दरचरमंताओ गोधुभाइ य चरमंताणमंतरं- मंदरपर्वत और गोस्तूपादि चरमान्तों का अन्तर६६८. मंदरस्स णं पव्वयस्स पुरथिमिल्लाओ चरमंताओ गोथुभस्स ६६८. मन्दर पर्वत के पूर्वी चरमान्त से गोस्तूप आवासपर्वत के आवासपव्वयस्स पच्चथिमिल्ले चरमंते एस णं सत्तासीइं पश्चिमी चरमान्त का व्यवहित अन्तर सत्यासी हजार योजन का जोयणसहस्साई अबाहाए अंतरे पण्णत्ते । कहा गया है। मंदरस्स णं पव्वयस्स दक्खिणिल्लाओ चरमंताओ दग- मन्दर पर्वत के दक्षिणी चरमान्त से दकभास आवासपर्वत के भासस्स आवासपव्वयस्स उत्तरिल्ले चरमंते एस णं सत्तासीइं उत्तरी चरमान्त का व्यवहित अन्तर सत्यासी हजार योजन का जोयणसहस्साई अबाहाए अंतरे पण्णत्ते । कहा गया है। मंदरस्स णं पव्वयस्स पच्चथिमिल्लाओ चरमंताओ संखस्स मन्दर पर्वत के पश्चिमी चरमान्त से शंख आवासपर्वत के आवासपब्वयस्स पुरथिमिल्ले चरमते, एस णं सत्तासीई पूर्वी चरमान्त का व्यवहित अन्तर सत्यासी हजार योजन कहा जोयणसहस्साई अबाहाए अंतरे पण्णत्ते, गया हैं। मंदरस्स णं पव्वयस्स उत्तरिल्लाओ चरमंताओ दगसीमस्स मन्दर पर्वत के उत्तरी चरमान्त से दकसीम आवासपर्वत के आवासपव्वयस्स दाहिणिल्ले चरमंते, एस णं सत्तासीई जोयण- दक्षिणी चरमान्त का व्यवहित अन्तर सत्यासी हजार योजन का सहस्साई अबाहाए अंतरे पण्णत्ते। -सम. ८७, सु. १-४ कहा गया है । ६६६. मंद रस्स णं पव्वयस्स पच्चथिमिल्लाओ चरमंताओ गोथूभस्स ६६६. मन्दर पर्वत के पश्चिमी चरमान्त से गोस्तुप आवास पर्वत णं आवासपव्वयस्स पच्चथिमिल्ले चरमंते, एस णं सत्ताणउइ के पश्चिमी चरमान्त का व्यवहित अन्तर सत्तानवें हजार योजन जोयणसहस्साई अवाहाए अंतरे पण्णत्ते, का कहा गया है। एवं चउदिसि पि, -सम. ६७, सु. १,२ इसी प्रकार चारों दिशाओं में अन्तर कहना चाहिए। ६७०. मंदरस्स णं पव्वयस्स पच्चथिमिल्लाओ चरमंताओ गोथूभस्स ६७०. मन्दर पर्वत के पश्चिमी चरमान्त से गोस्तुप आवास पर्वत णं आवासपव्वयस्स पुरथिमिल्ले चरमंते, एस णं अट्टाणउइ- के पूर्वी चरमान्त का व्यवहित अन्तर अठाणवें हजार योजन का जोयणसहस्साई अबाहाए अंतरे पपणत्ते, कहा गया है। एवं चउदिसि पि, --सम. ६८, सु. २, ३ इसी प्रकार चारों दिशाओं में अन्तर कहना चाहिए। मन्दर मज्झभागाओ गोथुभाई चरमन्ताणमन्तरं- मन्दरपर्वत के मध्यभाग से गोस्तूपादि पर्वतों के चरमान्तों का अन्तर६७१. मदरस्स गं पव्वयस्स बहुमज्झदेसभागाओ गोथूभस्स आवास- ६७१. मन्दर पर्वत के बहुमध्य देसभाग से गोस्तूप आवासपर्वत पव्वयस्स पच्चथिमिल्ले चरमंते, एस णं बाणउई जोयण- के पश्चिमी चरमान्त का व्यवहित अन्तर बानवे हजार योजन का सहस्साइं अबाहाए अंतरे पण्णत्ते, कहा गया है। एवं चउण्हं पि आवास पबयाणं, -सम.६२, सु. ३, इसी प्रकार दकावभास आवासपर्वत के उत्तरी चरमान्त का, शंख आवासपर्वत के पूर्वी चरमान्त का, दकसीम आवासपर्वत के दक्षिणी चरमान्त का व्यवहित अन्तर बानवें हजार योजन का है। गोथुभाइचरमंताओ बलयामुहाइमहापायालचरमंताण- गोस्तूपादि पर्वतों के चरमान्तों से वलयामुखादि महापाताल मन्तर कलशों के चरमान्तों का अन्तर६७२. गोथुभस्स णं आवासपव्वयस्स पुरथिमिल्लाओ चरमंताओ ६७२. गोस्तूप आवासपर्वत के पूर्वी चरमान्त से वलयामुख महा १. वलयामुहस्स महापायालस्स पच्चथिमिल्ले चरमंते, एस पाताल कलश के पश्चिमी चरमान्त का व्यवहित अन्तर बावन णं बावणं जोयणसहस्साई अबाहाए अंतरे पण्णत्ते । हजार योजन का कहा गया है। एवं २. दगभासस्स २. के उगस्स, इसी प्रकार दकभास पर्वत के पूर्वी चरमान्त से केतुक पाताल कलश के पश्चिमी चरमान्त का अन्तर है।
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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