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________________ सूत्र ५८६-५६२ तिर्यक् लोक : महानदी वर्णन गणितानुयोग ३२३ ww ५८६. .."सीओआ णं महाणई पवहे पण्णासं जोयणाई विक्खंभेणं, ५८६. (उद्गम स्थान से) शीतोदा महानदी का प्रवाह पचास जोयणं उन्हेणं, तयणंतरं च णं मायाए मायाए परिवड्ढ- योजन चौड़ा और एक योजन गहरा है, तदनन्तर अनुक्रम से माणी परिवड्ढमाणी, मुहमूले पंच जोयणसयाई विक्खंभेणं, बढ़ता बढ़ता मुख के मूल में (समुद्र प्रवेश करते समय के) प्रवाह दस जोयणाई उब्वेहेणं। का प्रमाण पांच सौ योजन चौड़ा और दस योजन गहरा है । उभओ पासि दोहि पउमवरवेइयाहि दोहि अ वणसंडेहि इनके दोनों पार्श्व दो पद्मवरवेदिकाओं से और दो वनखण्डों संपरिक्खित्ता। -जंबु० वक्ख०४, सु० ८४ से घिरे हुए है। ५६०. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तर-दाहिणणं महाविदेह- ५६०. जम्बूद्वीप नामक द्वीप के मेरुपर्वत से उत्तर और दक्षिण में वासे दो महाणईओ बहुसमतुल्लाओ-जाव-परिणाहेणं, महाविदेह में दो महान दियाँ अधिक सम या तुल्य हैं--यावत् परिधि की अपेक्षा से एक दूसरी का अतिक्रमण नहीं करती है, तं जहा यथा-- सोआ चेव, सीओआ चेव । -ठाणं २, उ० ३, सु० ८४ (१) शीता, (२) शीतो । लवणसमुद्दे मिलियाणं महाणईणं संखा लवणसमुद्र में मिलने वाली महानदियों की संख्या५९१.५०-जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दक्खिणेणं ५६१. प्र०-भगवन् ! जम्बूद्वीप नामक द्वीप के मेरुपर्वत से केवइया सलिलासयसहस्सा पुरथिम-पच्चत्थिमामि- से दक्षिण में पूर्व और पश्चिम दिशा में बहने वाली कितनी लाख मुहा लवणसमुदं समप्पेंति ? नदियां लवणसमुद्र में मिलती हैं ? उ०-गोयमा ! एगे छण्णउए सलिलासयसहस्से पुरथिम- उ०-गौतम ! पूर्व और पश्चिम दिशा में बहने वाली एक पच्चत्थिमाभिमुह लवणसमुदं समप्पेति ति। सौ छिनवें लाख नदियाँ लवणसमुद्र में मिलती है। प०-जंबुददीवे गं भंते ! दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं प्र०-भगवन् ! जम्बूद्वीप नामक द्वीप के मेरुपर्वत के उत्तर केवइया सलिलासयसहस्सा पुरथिम-पच्चत्थिमाभि- में पूर्व और पश्चिम दिशा में बहने वाली कितनी लाख नदियाँ मुहा लवणसमुदं समप्पेंति ? लवणसमुद्र में मिलती हैं। उ०-गोयमा ! एगे छण्णउए सलिलासयसहस्से पुरथिम- उ०-गौतम ! पूर्व और पश्चिम दिशा में बहने वाली एक पच्चत्थिमाभिमुहे लवणसमुद्दं समप्पे ति त्ति। सौ छिन लाख नदियाँ लवणसमुद्र में मिलती हैं। प०-जंदीवे णं भंते ! दीवे केवइया सलिलासयसहस्सा प्र०-भगवन् ! जम्बूद्वीप नामक द्वीप की पूर्व दिशा में पुरत्थिाभिमुहा लवणसमुदं समति ? बहने वाली कितनी लाख नदियाँ लबणसमुद्र में मिलती हैं ? उ०-गोयमा ! सत्तसलिलासयसहस्सा अट्ठावीसं च सहस्सा उ०-गौतम पूर्व दिशा में बहने वाली सात लाख अठाईस पुरत्थिाभिमुहा लवणसमुदं समति त्ति। हजार नदियां लवणसमुद्र में मिलती हैं। प०-जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे केवइया सलिलासयसहस्सा प्र०-भगवन् ! जम्बूद्वीप नामक द्वीप की पश्चिम दिशा में पच्चत्थिमाभिमुहा लवणसमुदं समप्पेंति ? बहने वाली कितनी लाख नदियाँ लवणसमुद्र में मिलती हैं ? उ.-गोयमा ! सत्तसलिलासयसहस्सा अट्ठावीसं च सहस्सा उ०-गौतम ! पश्चिम दिशा में बहने वाली सात लाख पच्चत्थिमाभिमुहा लवणसमुदं समप्पेति ति। अठाईस हजार नदियाँ लवणसमुद्र में मिलती हैं। एवामेव सपुवावरेणं जंबुद्दीवे दीवे चोदससलिला इस प्रकार पूर्वापर की सब मिलाकर जम्बूद्वीप में चौदह सयसहस्सा छप्पण्णं च सहस्सा भवतीतिमक्खायं इति। लाख छपन हजार नदियां होती हैं-ऐसा कहा गया है। -जंबु० ववख०६, सु० १२५ चउद्दसमहाणईणं लवणसमुद्दे समत्ति चौदह महानदियों का लवणसमुद्र में मिलना५९२. जंबुद्दीवे णं बीवे चउद्दसमहाणईओ पुवावरेणं लवणसमुद्घ ५६२, जम्बूद्वीप नामक द्वीप में चौदह महानदियाँ पूर्व और समप्पेंति, तं जहा पश्चिम में बहती हुई लवणसमुद्र में मिलती हैं। यथा पर
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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