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________________ ३१६ लोक-प्रज्ञप्ति तिर्यक् लोक : महानदी वर्णन सूत्र ५५७--५५६ हेमवय-हेरण्णवएसु वासेसु चत्तारि महाणईओ- हेमवत और हैरण्यवत वर्ष में चार महानदियाँ५५७. ५०-जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे हेमवय हेरण्णवएसु वासेसु ५५७, प्र०-भगवन् ! जम्बूद्वीप द्वीप में हैमवत और हैरण्यवत कति महाणईओ पण्णत्ताओ, ___ वर्ष में कितनी महानदियाँ कही गई हैं ? उ०-गोयमा ! चत्तारि महाणईओ पण्णत्ताओ, तं जहा- उ०--गौतम ! चार महानदियाँ कही गई हैं, यथा ५. रोहिता, ६. रोहिअंसा, ७. सुवण्णकूला, ८. रुप्प- (५) रोहिता, (६) रोहितंसा, (७) स्वर्णकूला और (6) कूला। रूप्यकूला। तत्थ णं एगमेगा महाणई अट्ठावीसाए-अट्ठावीसाए इनमें से प्रत्येक महानदी अट्ठाईस-अट्ठाईस हजार नदियों से अट्ठावीसाए सलिलासहस्सेहि-समग्गा पुरथिम-पच्चत्थि- युक्त होकर पूर्व और पश्चिम लवणसमुद्र में मिलती है। मेणं लवणसमुदं समप्पेइ। एवामेव सपुवावरेणं जंबुद्दीवे दीवे हेमवय-हेरण्ण- इस प्रकार सब मिलकर जम्बूद्वीप के हैमवत और हैरण्यवत वएसे वासेसु बारसुत्तरे सलिलासयसहस्से भवतीति- वर्ष में एक लाख बारह हजार नदियां हैं। ऐसा कहा गया है । मक्खायं इति । -जंबु० वक्ख० ६, सु० १२५ हरिवास-रम्मगवासेसु चत्तारि महाणईओ-- हरिवर्ष और रम्यकवर्ष में चार महानदियाँ५५८. ५०-जबुद्दीवे गं भंते ! दीवे हरिवास-रम्मगवासेसु कति ५५८. प्र०-भगवन् ! जम्बूद्वीप के द्वीप के हरिवर्ष और रम्यक्महाणईओ पण्णत्ताओ? वर्ष में कितनी महानदियाँ कही गई हैं ? उ०-गोयमा ! चत्तारि महाणईओ पण्णत्ताओ, तं जहा- उ०-गौतम ! चार महानदियाँ कही हैं यथा ६. हरी, १०. हरिकता, ११. नरकंता, १२. नारि- ६. हरि, १०. हरिकान्ता, ११. नरकान्ता और कता। १२. नारीकान्ता। तत्थ णं एगमेगा महाणई छप्पण्णाए-छप्पण्णाए सलिला- इनमें से प्रत्येक महानदी छप्पन छप्पन हजार नदियों से युक्त सहस्सेहि समग्गा पुरथिम-पच्चत्थिमेणं लवणसमुदं होकर पूर्व और पश्चिम लवणसमुद्र में मिलती है । समप्पेइ, एवामेव सपुवावरेणं जंबुद्दीवे दीवे हरिबास-रम्मग- इस प्रकार सब मिलकर जम्बूद्वीप के हरिवर्ष और रम्यक्वर्ष वासेसु दो चउवीसा सलिलासयसहस्सा भवतीति- में दो लाख चौबीस हजार नदियाँ हैं ऐसा कहा गया है। मक्खायं । -जंबु० वक्ख० ६, सु० १२५ महाविदेहेवासे दो महाणईओ महाविदेह वर्ष में दो महानदियाँ५५९. ५०-जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे महाविदेहे वासे कइ महाण- ५५६. प्र०-भगवन् ! जम्बूद्वीप द्वीप के महाविदेह वर्ष में कितनी ईओ पण्णत्ताओ? महानदियाँ कही गई हैं ? उ०—गोयमा ! दो महाणईओ पण्णत्ताओ, तं जहा उ०—गौतम ! दो महानदियाँ कही गई है। यथा१३. सोआ य, १४. सीओआ य। शीता और शीतोदा। तत्थ णं एगमेगा महाणई पंचहि पंचहि सलिलासय- इनमें से प्रत्येक महानदी पाँच लाख बत्तीस हजार नदियों से सहस्सेहि बत्तीसाए अ सलिलासहस्सेहि समग्गा युक्त होकर पूर्व और पश्चिम लवणसमुद्र में मिलती है। पुरथिम-पच्चत्थिमेणं लवणसमुददं समप्पेइ, १ शीता और शीतोदा महानदी के प्रवाह कुण्ड और द्वीप का तथा लवणसमुद्र में मिलते समय प्रवाह का प्रमाण समान है। यह स्थानांग २, उ० ३, सू० ८८ में स्पष्ट निर्देश है किन्तु जम्बुद्वीप प्रज्ञप्ति वक्ष० ४, सु० ११० में शीता महानदी के प्रवाह, कुण्ड और द्वीप का प्रमाण नहीं कहा है । वहाँ केवल शीता महानदी के लवण समुद्र में मिलने का वर्णन है । जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति के वृत्तिकार ने भी वृत्ति में इस प्रकार कहा है"अत्रचावशिष्टपदसंग्रहे प्रबहमुखव्यासादिकं न चिन्तितं समुद्रप्रवेशावेकस्यैवालापकस्य दर्शनात ।
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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