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सूत्र ५५०-५५६
तिर्यक् लोक : महानदी वर्णन
गणितानुयोग
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वासहरपवहाओ चोद्दस महाणईओ
वर्षधर पर्वतों से प्रवाहित होने वाली चौदह महानदियाँ५५०. ५०-जंबु-मंदर-दाहिणणं चुल्लहिमवंताओ वासहरपब्धयाओ ५५०. जम्बूद्वीप के मन्दर पर्वत से दक्षिण में क्षुद्रहिमवन्त वर्षधर
पउमदहाओ महदहाओ तओ महाणईओ पवहंति, पर्वत के पद्मद्रह नामक महाद्रह से तीन महानदियाँ प्रवाहित तं जहा
होती है,यथा१. गंगा, २. सिंधू, ३. रोहितंसा ।
(१) गंगा, (२) सिन्धु, (३) रोहितांशा । -ठाणं ३ उ० ४, सु० १३७ ५५१. जंबु-मंदर-दाहिणेणं महाहिमवंताओ वासहरपव्वयाओ महा- ५५१. जम्बूद्वीप के मन्दर पर्वत से दक्षिण में महाहिमवन्त वर्षधर पउमदहाओ दो महाणईओ पवहंति, तं जहा
पर्वत के महापद्म द्रह से दो महानदियाँ प्रवाहित होती हैं, यथा१. रोहियच्चेव, २. हरिकंतच्चेव ।
(१) रोहिता, (२) हरिकान्ता । ५५२. जंबू-मंदर-दाहिणणं निसढाओ वासहरपब्वयाओ तिगिछिद्द- ५५२. जम्बूद्वीप के मन्दर पर्वत से दक्षिण में निषध वर्षधर पर्वत हाओ दो महाणईओ पवहति, तं जहा
के तिगिच्छद्रह से दो महानदियां प्रवाहित होती है, यथा१. हरिच्चव, २ सीओअच्चव।
(१) हरी, (२) सीतोदा। ५५३. जंबू-मंदर-उत्तरेणं नीलवंताओ वासहरपव्वयाओ केसरिद- ५५३. जम्बूद्वीप के मन्दर पर्वत से उत्तर में नीलवंत वर्षधर पर्वत हाओ दो महाणईओ पवहंति, तं जहा
के केसरी द्रह से दो महानदियाँ प्रवाहित होती है यथा१. सीता चेव, २. नारिकता चेव ।
(१) सीता, (२) नारिकता। ५५४. जंबू-मंदर-उत्तरेणं रुप्पीओ वासहरपब्वयाओ महापोंडरीयद्द- ५५४. जम्बूद्वीप के मन्दर पर्वत से उत्तर में रुक्मीवर्षधर पर्वत के हाओ दो महाणईओ पवहंति, तं जहा
महापौंडरीकद्रह से दो महानदियाँ प्रवाहित होती है यथा१. नरकंता चैव, २. रुप्पकूला चेव।
(१) नरकन्ता, (२) रूप्यकूला। -ठाणं २, उ० ३, सु० ८८ ५५५. जंबू-मंदर-उत्तरेणं सिहरीओ वासहरपन्वयाओ पोंडरीयद- ५५५. जम्बूद्वीप के मन्दर पर्वत से उत्तर में शिखरी वर्षधर हाओ महादहाओ तओ महाणईओ पवहंति, तं जहा- पर्वत के पौंडरीक महाद्रह से तीन महानदियाँ प्रवाहित होती है,
यथा१. सुवन्नकूला, २. रत्ता, ३. रत्तवई ।
(१) सुवर्णकूला, (२) रक्ता, (३) रक्तवती । -ठाणं ३, उ० ४, सु० १९७ चउदसमहाणईणं णईपरिवारो
चौदह महानदियों का परिवारभरहेरवएसु वासेसु चत्तारि महाणईओ
भरत और ऐरवत क्षेत्र में चार महानदियाँ५५६. ५०-जंबुद्दीवे दीवे गं भंते ! भरहेरवएसु बासेसु कइ ५५१. प्र०-भगवन् ! जम्बूद्वीप द्वीप के भरत और ऐरवत वर्ष महाणईओ पण्णत्ताओ?
में कितनी महानदियाँ कही गई हैं ? उ०-गोयमा ! चत्तारि महाणईओ पण्णत्ताओ, तं जहा- उ०-गौतम ! चार महान दियाँ कही गई हैं, यथा१. गंगा, २. सिंधू, ३. रत्ता, ४. रत्तबई।
(१) गंगा, (२) सिन्धु, (३) रक्ता और (४) रक्तवती । तत्थ णं एगमेगा महाणई चउद्दसहि सलिलासहस्सेहिं इनमें से प्रत्येक महानदी चौदह हजार नदियों से युक्त होकर समग्गा पुरथिम-पच्चत्थिमेणं लवणसमुदं समप्पेइ। पूर्व और पश्चिमी लवणसमुद्र में मिलती है। एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे दीवे भरह-एरवएमु इस प्रकार सब मिलाकर जम्बूद्वीप के भरत और ऐरवत वर्ष वासेसु छप्पण्णं सलिलासहस्सा भवंतीतिमक्खायंति। में छप्पन हजार नदियाँ हैं, ऐसा कहा गया है।
-जंबु वक्ख०६, सु० १२५