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लोक-प्रज्ञप्ति
तिर्यक् लोक : महानदी वर्णन
सूत्र ५४५-५४६
उत्तरकुरुदहस्स ठाणप्पमाणाई
उत्तरकुरुद्रह के स्थान प्रमाणादि५४५. ५०-कहि णं भंते ! उत्तराए कुराए उत्तरकुरुद्दहे पण्णत्ते ? ५४५. प्र०-भगवन् ! उत्तरकुरा में उत्तरकुरुद्रह कहाँ कहा
गया है? उ.-गोयमा ! नीलवंतद्दहस्स दाहिणेणं अडचोत्तीसे जोयण- उ०—गौतम ! नीलवन्तद्रह के दक्षिण में, आठ सौ चौतीस सते।
योजन दूरी पर (उत्तरकुरु द्रह) है । एवं सो चेव गमो णेतव्वो जो णीलवंतद्दहस्स सव्वेसिं इसका वर्णन (नीलवन्त द्रह जैसे) कहना चाहिए, देवता का सरिसको दहसरिसनामा य देवा ।
नाम द्रह के नाम के समान है। -जीवा० पडि० ३, उ० २, सु० १५० ५४६. ५०-कहि णं भंते ! चंदद्दहे एरावणदहे मालवंतद्दहे ? ५४६. प्र०-भगवन् ! चन्द्रद्रह, एरावण दह, माल्यवन्तद्रह कहाँ
कहे गये हैं ? उ०–एवं एक्केको णयब्वो।
उ०-इस प्रकार एक-एक द्रह का वर्णन जानना चाहिए। -जीवा० पडि० ३, उ० २, सु० १५० (अर्थात् उत्तरकुरुद्रह के समान ही अन्य द्रहों के वर्णन जानने
चाहिए । जंबुद्दीवे णउति महाणईओ
जम्बूद्वीप में नव्वे महानदियाँ५४७. ५०-जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे केवइयाओ महाणईओ वास- ५४७. प्र०-हे भगवन् ! जम्बूद्वीप द्वीप में कितनी महानदियाँ हरपवहाओ ?
वर्षधर पर्वतों से प्रवाहित होने वाली कही गई है ? केवइयाओ महाणईओ कुण्डप्पवहाओ पण्णत्ताओ? कितनी महानदियाँ कुण्डों से प्रवाहित होने वाली कही
गई हैं ? उ०-गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे चोद्दस महाणईओ वासहर- उ०—हे गौतम ! जम्बूद्वीप द्वीप में चौदह महानदियाँ वर्षधर पवहाओ।
पर्वतों से प्रवाहित होने वाली कही गई है। छावर महाणईओ कुण्डप्पवहाओ।
छिहत्तर (७६) महान दियाँ कुण्डों से प्रवाहित होने वाली कही
एवामेव सपुत्वावरेणं जंबुद्दीवे दीवे णउति महाणईओ इस प्रकार पहले पीछे की मिलाने पर जम्बुद्वीप द्वीप में
भवंतीतिमक्खायं । -जंबु० वक्ख०, ६, सु० १२५ नवे महानदियाँ होती हैं ऐसा कहा गया है। जंबु-मंदर-दाहिणोत्तरेणं दुवालस-महाणईओ- जम्बूद्वीप के मंदर पर्वत से दक्षिण-उत्तर में बारह महा
नदियाँ५४८. जंबु-मंदर-दाहिणेणं छ महाणईओ पण्णत्ताओ, तं जहा- ५४८. जम्बूद्वीप के मंदर पर्वत से दक्षिण में छः महानदियाँ कही
गई है यथा१. गंगा, २. सिंधू, ३. रोहिया, ४. रोहितंसा, ५. हरी, (१) गंगा, (२) सिन्धु, (३) रोहिता, (४) रोहितांशा, ६. हरिकता।
(५) हरी, (६) हरिकान्ता । ५४६. जंबु-मंदर उत्तरेणं छ महाणईओ पष्णत्ताओ, तं जहा- ५४६. जम्बूद्वीप के मन्दर पर्वत से उत्तर में छः महानदियाँ कही
गई है, यथा- . १. नरकंता, २. नारीकता, ३. सुवण्णकूला, ४. रुप्पकूला, (१) नरकान्ता, (२) नारीकान्ता, (३) सुवर्णकूला, ५. रत्ता, ६. रत्तवई । -ठाणं० ६, सु० ५२२ (४) रूप्यकूला, (५) रक्ता, (६) रक्तावती ।
१ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति वक्षस्कार ६ सूत्र १२५ में चौदह महानदियाँ वर्षधर पर्वतों से प्रवाहित होने वाली कही गई हैं, किन्तु इस सूत्र
में छः, छः स्थान का कथन होने से सीता और सीतोदा को छोड़कर शेष बारह महानदियाँ ही कही गई हैं।