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सूत्र ५०२-५०५
तिर्यक् लोक : द्वीप वर्णन
गणितानुयोग
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जंबुद्दीवे दीवे मंदरपव्वयस्स उत्तरेणं एरवए वासे दो जम्बूद्वीपवर्ती मेरु पर्वत के उत्तर में ऐरवत क्षेत्र में दो प्रपात पवायदहा, बहुसमतुल्ला-जाव-परिणाहेणं,
जो अतिसमतुल्य-यावत्-परिधितुल्य हैं। तं जहा-रत्तप्पबायद्दहे चेव, रत्तावईप्पवायदहे चेव। यथा-रजतप्रपाद्रह और रक्तावती प्रपात द्रह ।
-ठा० २, उ० ३, सु० ८८ पवायकुण्डेसु दीवा देवीभवणाईच
प्रपातकुण्डों में द्वीप तथा देवियों के भवन(२) गंगादीवस्स अवटिइ पमाणं च
(१) गंगाद्वीप की अवस्थिति और प्रमाण५०३. तस्स णं गंगप्पवायकुण्डस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे ५०३. उस गंगाप्रपातकुण्ड के मध्य में गंगाद्वीप नामक एक गंगादीवे णामं दीवे पण्णत्ते ।
विशाल द्वीप कहा गया है । अट्ठ जोअणाई आयाम-विक्खंभेणं,
वह आठ योजन लम्बा-चौड़ा है। साइरेगाइं पणवीसं जोअणाई परिक्खेवेणं,
पच्चीस योजन से कुछ अधिक की परिधि वाला है। दो कोसे ऊसिए जलंताओ,
पानी की सतह से दो कोस ऊँचा है, सव्ववइरामए अच्छे सण्हे-जाव-पडिरूवे।
सर्ववज्रमय, स्वच्छ, चिकना-यावत्-मनोहर है । से णं एगाए पउमवरवेइआए एगेण य वणसंडेणं सम्वओ वह 'द्वीप' एक पद्मवरवेदिका तथा एक वनखण्ड से सब समता संपरिक्खित्ते।
ओर से घिरा हुआ है। वण्णओ भाणिअव्वो।
यहाँ इन दोनों का वर्णन कहना चाहिए। गंगादीवस्स णं दीवस्स उप्पि बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे गंगाद्वीप के ऊपर अत्यन्त सम एवं रमणीय भूमि भाग कहा पण्णत्ते ।
-जम्बु० वक्ख० ४, सु०७४ गया है। गंगादेवीभवणस्स पमाणाई
गंगा देवी के भवन के प्रमाणादि५०४. तस्स णं बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगाए देवीए एगे ५०४. इस द्वीप के मध्य में गंगा देवी का एक विशाल भवन कहा भवणे पण्णत्ते।
गया है। कोसं आयामेणं, अद्धकोसं विक्खंभेणं, देसूणग कोसं उड्ढं यह एक कोस लम्बा, आधा कोस चौड़ा, एक कोस ऊँचा है। उच्चत्तेणं,
अणेगखंभसयसण्णिविट्ठ-जाव-बहुमज्झदेसभाए मणिपेढियाए सैकड़ों स्तम्भों से संनिविष्टि है-यावत्-इसके मध्य में मणिसयणिज्जे।
-जंबु० वक्ख० ४, सु०७४ पीठिका के ऊपर एक शय्या है । गंगद्दीवस्स णामहेऊ
गंगाद्वीप के नाम का हेतु५०५.५०-से केपट्टणं भंते ! एवं वुच्चइ-गंगादीवे गंगा दीवे ? ५०५. प्र०-भगवन् ! गंगाद्वीप नामक द्वीप को गंगाद्वीप क्यों
कहते हैं ? उ०-गोयमा ! एत्थ णं गंगादेवी महिड्ढ्यिा -जाव-पलिओव- उ०-गौतम ! यहाँ गंगा नामक महधिक-यावत्मट्टिइया परिवसइ।
पल्योपम की स्थिति वाली देवी रहती है। से एएणट्ठणं गोयमा ! एवं बुच्चइ-गंगादीवे गंगादीवे। इस कारण गौतम ! यह गंगाद्वीप गंगाद्वीप कहा जाता है । अदुत्तरं च ण गोयमा ! गंगादीवे सासए णामधेज्जे अथवा गौतम ! यह गंगाद्वीप नाम शाश्वत कहा गया है। पण्णत्ते।
-जंबु० वक्ख० ४, सु० ७४
१ ठाणं ८ सु० ६२६ ।