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सूत्र ४३४-४३८
तिर्यक् लोक : गुफा वर्णन
गणितानुयोग
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गुफा वर्णनदीहवेयड्ढ गुहाणं गुहाहिवदेवाणं च संखा
दीर्घवैताढ्य की गुफा और गुफा स्वामी देवों की संख्या४८७. ५०-जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे केवइयाओ तिमिसगुहाओ? ४८७. प्र०-भगवन् ! जम्बुद्वीप नामक द्वीप में तमिस्र गुफायें
कितनी हैं ? केवइयाओ खंडप्पवायगहाओ पण्णताओ?
खण्डप्रपात गुफायें कितनी कही गई हैं ? केवइया कयमालया देवा?
कृतमालक देव कितने हैं ? केवइया णट्टमालया देवा पण्णता?
नृत्यमालक देव कितने कहे गये हैं ? -गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे, चोत्तीसं तिमिसगुहाओ। उ०-गौतम ! जम्बूद्वीप द्वीप में तमिस्र गुफायें चौतीस हैं । चोत्तीसं खंडप्पवायगुहाओ ।
खण्डप्रपात गुफायें चौतीस हैं । चोत्तीसं कयमालया देवा।
कृतमालक देव चौतीस हैं। चोत्तीसं णट्टमालया देवा ।
नृत्यमालक देव भी चौतीस हैं। -जंबु० वक्ख० ६, सु० १२५ दुण्हं गुहाणं ठाणं पमाणं च
दोनों गुफाओं के स्थान और प्रमाण'४८८. वेयड इस्स णं पव्वयस्स पुरच्छिम-पच्चत्थिमेणं दो गुहाओ ४८८. वैताढ्य पर्वत के पूर्व और पश्चिम में दोगी पण्णत्ताओ।
गई हैं। उत्तर-दाहिणाययाओ पाईण-पडीणवित्थिनाओ।
ये उत्तर-दक्षिण में लम्बी और पूर्व-पश्चिम में चौड़ी हैं। वण्णास जोयणाई आयामेण, दुवालसजोयणाई विक्खं भणं, इनकी लम्बाई पचास योजन, चौड़ाई बारह योजन और अट्ठजोयणाई उड्ढं उच्चत्तेणं ।'
ऊँचाई आठ योजन है। वइरामयकवाडोहाडियाओ जमल-जुअलकवाडघण-दुप्प- ये वज्रमय कपाटों से ढकी हुई हैं। इनके जुगल-जोडी वाले वेसाओ।
कपाट सघन और दुष्प्रवेश्य हैं। णिच्चंधयारतिमिस्साओ, ववगयगहचंद-सूर-णक्खत्त-जोइ- ये गुफायें सदैव अन्धकार से व्याप्त रहती हैं। इनमें यह सपहाओ,-जाव-पडिरूवाओ।
चन्द्र, सूर्य एवं नक्षत्र रूप ज्योतिष्कों की प्रभा का अभाव हैयावत्-ये प्रतिरूप हैं।
जम्बु. वक्ष०६, सु०१२५ में चौतीस दीर्घवैताढ्य पर्वत, उन पर्वतों की गुफायें और उन गुफाओं में निवास करने वाले देव की संख्या भी चौतीस कही गई है । उन सबका गणनाक्रम इस प्रकार है :महाविदेह क्षेत्र के बत्तीस विजयों में बत्तीस दीर्घवैताढ्य पर्वत हैं। भरत क्षेत्र में और ऐरवत क्षेत्र में एक एक दीर्घ वैताढ्य पर्वत हैं। इस प्रकार ३४ दीर्घवताढ्यपर्वत है, प्रत्येक पर्वत में दो गुफाये हैं, और प्रत्येक गुफा में निवास करने वाला एक एक देव है। इस प्रकार दीर्घवैताढ्य पर्वत ३४, गुफायें ६८ और उनमें निवास करने वाले देव भी ६८ हैं। इसी सत्र में जम्बुद्वीप में विद्यमान २६६ शास्वत पर्वतों की गणना दी गई है, उनमें से केवल चौतीस दीर्घ वैताढय पर्वतों की गयाओं का वर्णन ही आगमों में उपलब्ध है और अन्य किसी एक गुफा का भी वर्णन उपलब्ध नहीं है-यह एक विचारणीय प्रश्न है। अन्य अनेक पर्वतों में से कुछ पर्वतों की गुफायें इन गुफाओं से भी विशाल तो होगी ही अतः उनका वर्णन भी उपलब्ध होना चाहिए था. क्योंकि पर्वतों की विशालता के अनुरूप गुफाओं की विशालता भी सम्भव है। केवल दीर्घवता ढ्य पर्वतों की ही
गुफायें हैं, अन्य पर्वतों की गुफायें हैं ही नहीं-ऐसा निषेध आगमों में कहीं नहीं है। २ सव्वाओ णं तिमिसगुहा खंडप्पवायगुहाओ पण्णासं पण्णासं जोयणाई आयामणं पण्णताओ।
-सम० ५, सु०६ ३ तिमिसगुहाणं अट्ट जोयणाई उड्डं उच्चत्तेणं, खंडप्पवायगुहाणं अट्ट जोयणाई उड्ढं उच्चत्तेगं ।
__--ठाणं ८, सु० ६३७