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लोक- प्रज्ञप्ति
(४) जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरे णं रुयगवरे पव्वए अट्ठ कूडा पण्णत्ता त जहा
गाहा -
२
१ रयण २ रयणुच्चए य, ३ सव्वरयण ४ रयणसंचए चेव ।' ५ बिजये ६ जयते ७ जयंते ८ अपराजिते ॥ - ठाणं सु०६४३
1
१.
हिन्त पर
२. महान्तिपर्यंत पर
सिक् लोक कूट वर्णन
१ इन कूटों पर निवास करने वाली आठ-आठ दिशाकुमारियों के चरित्र सूत्र २८ से ३१ तक पृष्ठ ११-१२ पर देखना चाहिए।
२ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति वक्षस्कार ६ सूत्र १२५ में "जम्बुद्वीप में चार सौ सहसठ (४६७) गिरिकूटों की गणना है" किन्तु इन चार रुचक पर्वतों के बत्तीस कूटों की गणना उनमें नहीं की गई है, अतः इसकी गणना कूट परिशिष्ट में की गई है ।
३. निषेध पर्वत पर
४. दीर्घाय पर्वत पर
अढाई द्वीप में दो हजार तीन सौ पैंतीस (२३३५ ) शास्वत कूटजम्बूद्वीप में इकसठ (६१ ) पर्वतों पर चार सौ सडसठ (४६७) शास्वत कूटभरत क्षेत्र में
कूट
ऐरवत क्षेत्र में -
शास्वतकूट ११
५. शिखरी पर्वत पर
८
६. रुक्मी पर्वत पर
ह
७. नीलवन्त पर्वत पर
ह
८. दीर्घं वैताढ्य पर्वत पर
३७
महाविदेह क्षेत्र में - (क) पूर्व महाविदेह क्षेत्र में१६.दाय पर्वतों पर (प्रत्येक पर्वत पर मोमो कूट आठ वक्षस्कार पर्वतों पर ( प्रत्येक पर्वत पर चार चार कूट) (ग) दक्षिण महाविदेह क्षेत्र में२. दो गजदन्ता पर्वतों पर
( सोमनस पर्वत पर सात कूट ) (विद्युत्प्रभ पर्वत पर नौ कूट) (ङ) जम्बूद्वीप के मध्य में
१ मेरु पर्वत पर
६१
पर्वतगणना : भरत क्षेत्र में पर्वत
ऐरवत क्षेत्र में पर्वत महाविदेह क्षेत्र में पर्वत
८.
11
कूट शास्वतकूट १४४
शास्वतकूट ३२
कूट शास्वतकूट १६
(४) जम्बूद्वीप द्वीप में मन्दरपर्वत के उत्तर में रचत पर आठ कूट कहे गये हैं, यथा
गाथार्थ -
(१) रत्नकूट, (२) रत्नोच्चयकूट, (३) सर्वरत्नकूट, (४) रत्नसंचयकूट (५) विजयकूट, (६) वैजयन्तकूट (७) जयन्तकूट, ( ८ ) अपराजितकूट ।
चार
४ चार ४
त्रेपन ५३
नाम भी इन सूत्रों में है । धर्मकथानुयोग प्रथम स्कन्ध, ऋषभ
कूट शास्वतकूट ६
(ख) पश्चिम महाविदेह क्षेत्र में१६. सोलह दीर्घ वैताढ्य पर्वतों पर (प्रत्येक पर्वत पर नौ नौ कूट) आठ वक्षस्कार पर्वतों पर ( प्रत्येक पर्वत पर चार चार कूट)
८.
(घ) उत्तर महाविदेह क्षेत्र में२. दो गजदन्ता पर्वतों पर
सूत्र ४८६
( गंधमादन पर्वत पर सात कूट) ( माल्यवन्त पर्वत पर नौ कूट)
कूटगणना : भरत क्षेत्र में ऐरवत क्षेत्र में महाविदेह क्षेत्र में
६१
धातकी खण्डद्वीप में एक सौ बाईस (१२२) पर्वतों पर नौ सौ चोतीस (३४) शास्वतकूट । पुष्करार्धद्वीप में एक सौ बाईस (१२२) पर्वतों पर नौ सौ चौतीस (९३४) शास्वतकूट ।
कूट
शास्वतकूट ११
८
11
ह
३७
कूट शास्वतकूट १४४
शास्वतकूट ३२
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कूट शास्वतकूट १६
शास्वतकूट ३७
३७ ३६३
४६७
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