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सूत्र ४८५-४८६
एयस्स वि अंजणागिरि देवो, रायहाणी – दाहिणपच्चत्थिमेणं ।
(५) एवं कुमुदे विदिसाहत्थिकूडे -
मंदरस्स दाहिण-पच्चत्थिमेणं, पच्चत्थिमिल्लाए सीओआए दविखणं ।
एयस्स वि कुमुदो देवो, रायहाणी - दाहिण पथ्यश्विमेणं ।
(६) एवं पलासे विदिसाहत्यिकुडे
मंदरस्स उत्तर- पच्चत्थिमेणं, पच्चत्थिमिल्लाए सीओआए उत्तरेणं ।
एयस्स वि पलासी देवो, रामहाणी उत्तर पण्यतिथ मेणं ।
(७) एवं बसे विदिसाहत्यिकूडे -
मंदरस्स उत्तर - पच्चत्थिमेणं, उत्तरिल्लाए सीआए पच्चत्थिमेणं ।
एयस्स वि स देवो पहाणी-उत्तर-यव्ययमे ।
तिर्यक् लोक कूट वर्णन
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गाहा
१ रिट्ठ २ तवणिज्ज ३ कंचण, ४ रयय ५ विसासोत्थिय
६ पलंबे य ।
७ अंजणे ८ अंजणपुलए, रुयगस्स पुरत्थिमे कूडा ॥ वेदमंदरस्स] [पम्ययस्स दाहिने गवरे
(२)
पव्वए अट्ठ कूडा पण्णत्ता, तं जहा
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इस कूट का अधिपति अवतंसक देव है इसकी राजधानी उत्तर-पश्चिम में है ।
(८) इसी प्रकार रोचनगिरि विदिशाहस्तिकूट है ।
(८) एवं रोणागिरि विदिसाहत्यिकूडेमंदरस्स उत्तर-सुरत्यिमेगं उत्तरिल्लाए सीआए पुरत्यिमेगं ।
यह मंदर पर्वत के उत्तर-पूर्व में है, उत्तरी शीता नदी से पूर्व
में है।
एयस्स वि रोअणागिरी देवो, रायहाणी उत्तरपुरत्थि मेणं । जंबु० वक्ख० ४ ० १०३ चरम रुपगवरपण्यए बत्तीसकूटा
इस कूट का अधिपति रोचनगिरि देव है इसकी राजधानी उतर-पूर्व में है।
चार रुचक पर्वतों पर बत्तीस कूट
४८६ (१) जं दी मदरस्स पव्वयस्स पुरस्यिमेगं रुपगवरे ४०६ (१) जम्बूद्वीप द्वीप में मन्दर पर्वत के पूर्व में रचक पर्यंत
पव्वए अट्टकूडा पण्णत्ता, तं जहा
पर आठ कूट कहे गये हैं, यथा
गाथार्थ -
गाहा
१ कणए २ कंचणे ३ पउमे, ४ णलिणे ५ ससि
६ दिवायरे चैव । ७ वेसमणे ८ वेरुलिए, रुपगस्स उ दाहिणे कूडा ॥ (३) जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमेणं रुपगवरे पव्वए अट्ठ कूडा पण्णत्ता, तं जहागाहा
१ सोत्थिते य २ अमोहे य, ३ हिमवं ४ मंबरे तहा । ५ रुअगे, ६ रुयगुत्तमे ७ चंदे, अट्ठमे य ८ सुदंसणे ॥
गणितानुयोग
इस कूट का अधिपति अंजनगिरि देव है, इसकी राजधानी दक्षिण-पश्चिम में है ।
(५) इसी प्रकार कुमुद विदिशा हस्टिकूट है
यह मंदर पर्वत के दक्षिण-पश्चिम में है, पश्चिमी शीतोदा नदी से दक्षिण में है ।
इस कूट का अधिपति कुमुद देव है, इसकी राजधानी दक्षिणपश्चिम में है ।
(६) इसी प्रकार पलास विदिशाहस्तिकूट है
यह मंदर पर्वत के उत्तर-पश्चिम में है, पश्चिमी शीतोदानदी से उत्तर में है ।
इस कूट का अधिपति पलास देव है, इसकी राजधानी उत्तरपश्चिम में है।
(७) इसी प्रकार अवतंसक विदिशाहस्तिकूट है
यह मंदर पर्वत के उत्तर-पश्चिम में है, उत्तरी शीता नदी से पश्चिम में है ।
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कूट
(१) रिष्टकूट, (२) तपनीयकूट, (३) कांचनकूट, (४) रजत(५) दिशास्वस्तिक कूट. (६) प्रकूट (७) अंजनकूट ( ८ ) अंजनपुलककूट ।
(२) जम्बूद्वीप द्वीप में मन्दर पर्वत के दक्षिण में रुचक पर्वत पर आठ कूट कहे गये हैं, यथा
गाथार्थ -
गाथार्थ -
(१) कनकूट, (२), (३), (४) नलिन कूट, (५) शीट, (६) दिवाकरकूट, (७) वैधमणकूट, ( ८ ) वैडूर्यकूट ।
(३) जम्बूद्वीप द्वीप में मन्दर पर्वत के पश्चि में रुचक पर्वत पर आठ कूट कहे गये हैं, यथा
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(१) स्वस्तिककूट, (२) अमोघकूट, (३) हिमवानुकूट, (४) मन्दरकूट, (५) रुचककूट, (६) रुचकोत्तमकूट, (७) चन्द्रकूट, (८) सुदर्शनकूट ।