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लोक-प्रज्ञप्ति
तिर्यक् लोक : कूट वर्णन
सूत्र ४३१
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४. नव मंदरकूडा पण्णत्ता'।
(४) मंदर (मेरु) पर्वत के नौ कूट कहे गये हैं। ' एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे दीवे चत्तारि सत्तट्ठा इस प्रकार जम्बूद्वीप द्वीप में पहले पीछे के सब मिलाकर कूडसया भवंतीतिमक्खायं ति ।'
चार सौ सडसठ कूट होते हैं-ऐसा कहा है।
-जंबु० वक्ख० ६, सु० १२५ १ मेरौ नव, तानि च नन्दनवनगतानि ग्राह्याणि, न भद्रशालवनगतानि दिग्रहस्तिकूटानि, तेषां भूमिप्रतिष्ठितत्वेन स्वतन्त्रकूटत्वादिति"।
-जम्बू० वक्ष०६, सूत्र १२५ की बृत्ति २ जम्बूद्वीप में ६ वर्षधर पर्वतों के कूट
२० वक्षस्कार पर्बतों के कूट ६६
३४ दीर्घवैताढ्यपर्वतों के कूट ३०६ , १ मेरुपर्वत के कूट इकसठ (६१) पर्वतों के सर्व कूट संख्या- ४६७
जम्बूद्वीप स्थित पर्वतों के कूटों (शिखरों) की गणना इस प्रकार है६१ कूट वाले पर्वत
कूट संख्या ४६७ (३) ३४ दीर्घवैताढ्यपर्वतों के तीन सौ छ कुट६ वर्षधर पर्वतों के कूट
महाविदेह के प्रत्येक विजय में एक दीर्घ वैताढ्यपर्वत है। २० वक्षस्कार पर्वतों के कूट
बत्तीस विजयों में बत्तीस दीर्घ वैताढ्यपर्वत हैं ३४ दीर्घ वैताड्यपर्वतों के कूट
प्रत्येक दीर्घ वैताढ्यपर्वत के नो कूट हैं १ मेरु पर्वत के कूट
बत्तीस दीर्घ वैताढ्यपर्वतों के कूट (३२४६)
२८८. भरत क्षेत्र स्थित दीर्घ वैताढ्यपर्वत के कूट
ऐरवत क्षेत्र स्थित दीर्घ वैताढ्यपर्वत के कूट कूट ४६७
२८८+ +8=३०६
(४) मेरु पर्वत के (नन्दनवन में) नवकूट (१) ६ वर्षधर पर्वतों के छप्पन कूट
कूटरहित पर्वत(१) हिमवन्त पर्वत के कूट
१ चित्रकूट (२) शिखरी पर्वत के कूट
१ विचित्रकूट (३) महाहिमवंत पर्वत के कूट
२ यमक पर्वत (४) रुक्मी पर्वत के कूट
२०० कांचनक पर्वत (५) निषध पर्वत के कूट
___ ४ वृत्तवैताढ्य पर्वत' (६) नीलवन्त पर्वत के कूट
२०८
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मेरु के भद्रशालवन में दिग्रहस्तिकूट। १६ वृक्षकूट जम्बूकवन में कूट
" , शाल्मलिवन में कूट ३४ ऋषभ पर्वत के कूट
(२) २० वक्षस्कार पर्वतों के छिनवे कूट(१६) वक्षस्कार पर्वतों के कूट
(प्रत्येक वक्षस्कार पर्वत पर चार-चार कूट) (४) गजदन्त पर्वतों के कूट
(१) सौमनस पर्वत के कूट (२) गंधमादन पर्वत के कूट (३) विद्युत्प्रभ पर्वत के कूट (४) माल्यवन्त पर्वत के कूट
१ वृत्त वैताढ्येषु च कूटाभावः ।
-जम्बु० वक्ष०६, सूत्र १२५ की वृत्ति
३२ सर्व कूट =६६
(क्रमश:).