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गणितानुयोग : प्रस्तावना
क्षेत्रलोक सम्बन्धी गणितीय विवरण
सूत्र ११६ पृ. ५२ त्रसू ६६, पृ० ३४
यहाँ अस्सी उत्तर शत सहस्र, तथा असंख्य योजन शत सहस्र तीन प्रकार के लोक क्रमशः अधोलोक, तिर्यक लोक, ऊर्ध्व का उपयोग दाशमिक संकेतना में हुआ है। इसी प्रकार बत्तीस लोक ज्यामितीय शब्द हैं जो पूर्वानुपूर्वी एवं पश्चानपूर्वी से कथित उत्तर योजन शत सहस्र तथा बावन उत्तर योजन शत सहस्र हैं। अन्य गणितीय शब्द गच्छ, अन्योन्याभ्यास, न्युन रहित हैं। दाशमिक सकेतना में हैं । इत्यादि । अनानुपूर्वी, एकोत्तरिक शब्द भी गणितीय अभिप्राय युक्त हैं।
सूत्र ११७, पृ. ५४ अधोलोक सम्बन्धी गणितीय विवरण
बहुमध्य देशभाग ज्यामितीय शब्द है। सूत्र ७८, पृ० ३७
सूत्र १२०, पृ. ५५ ___इस सूत्र में दाशमिक संकेतना में पृथ्वियों की मोटाई बतलाई
यहाँ आगमिक विशेष अर्थ सूचक शब्द अचरम, बचरम अन्त गयी है। यहाँ योजन का भी उल्लेख है । बाहल्य शब्द गणितीय
प्रदेश हैं। सूत्र ७६, पृ० ३८
सूत्र १२१, पृ० ५६ यहाँ ज्यामितीय शब्द आयाम, विष्कम्भ तथा परिधि हैं। एक यहाँ अल्पबहुत्व गणित का उपयोग है जो अबरमादि. पदों विशेष शब्द असंख्य सहस्र योजन है। सहस्र के साथ असंख्य का से सम्बन्धित है । प्रयोग अलग हटकर है । असंख्य योजन सहस्र लिखा गया है।
सूत्र १२३, पृ. ५७ सूत्र ८२, पृ. ३८
यहाँ द्रव्य और काल को अपेक्षा से निरूपण है, तथा यहाँ यहाँ गणितीय शब्द विस्तार, बाहल्य, तुल्य, विशेष अधिक, नवीन शब्द पर्यव है। अनन्तात्मक गणितीय प्रतिबोध से इसे संख्येयगुण, संख्येयगुणहीन है ।
विभिन्न गुण विषय की पर्यायों से संबंधित किया है। गुरु लघु सूत्र ८३, पृ. ३६
तथा अगुरुलघु पर्यायों का अनन्तत्व बतलाया गया है। गणितीय शब्द संस्थान, झल्लरि हैं ।
सूत्र १२५, पृ. ५८ सूत्र ८४, पृ. ३६
यहाँ वैज्ञानिक शब्द गुरुलघु एवं अगुरुलघु हैं। इनका उप___ यहाँ लिय (स्यात् या कथंचित्) शब्द दार्शनिक हैं ।
योग अवकाश अंतर में हुआ है जो महत्वपूर्ण है। सूत्र ८६, पृ. ४०
सूत्र १२७, पृ० ६० यहाँ घनोदधि, घनवात, तनुवात खगोल सरचना से संबन्धित
यहाँ समुद्घात शब्द कर्मविज्ञान रूप है।
सूत्र १३७ से १४६, पृ. ६५, ६६ सूत्र ८६, पृ. ४१
इनमें दाशमिक संकेतना का प्रयोग करते हुए संख्याएँ निदइस सूत्र में अनेक शब्द गणितीय है। क्षेत्र-छेद, परिमण्डल,
शित हैं। वृत्त, त्रयस्र, चतुरस्र, आयत, अन्योन्य, बद्ध, अवगाढ़, प्रतिबद्ध अथित छिद्यमान शब्द प्रयुक्त हुए हैं।
सूत्र १४७, पृ. ६६
यहाँ भी दाशमिक संकेतना प्रयोग है ही, साथ ही टिप्पणी में सूत्र ८८, पृ. ४२
आवलिका शब्द का उपयोग हुआ है। आवलिकाप्रविष्ट और ___अबाधा अन्तर शब्द गणितीय है।
आवलिकाबाह्य शब्द विचारणीय हैं। सूत्र १०६, पृ. ४८
सूत्र १४६, पृ. ७० ___ यहाँ कोस शब्द का उपयोग हुआ है जो गणितीय है ।
__यहाँ संख्येय, असंख्येय, विस्तार, आयाम, विष्कम्भ, तथा सूत्र १०६, पृ. ४६
दाशमिक संकेतना का उपयोग है। नवीन शब्द धनुष, अंगुल हैं । वलय, वलयाकार, संपरिधि गणितीय शब्द हैं।
ऐसा ही उपयोग सूत्र १५१, पृ. ७१ पर हुआ है।