SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 382
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ -सूत्र २५१-२५५ तिर्यक लोक जम्मू सुदर्शन वृक्ष उ०- गोयमा ! जम्बुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं जं चेव पुव्ववणि जमिगा-पमाणं तं चेव णेयव्वं जाव उववाओ अभिसेसो अनिरवसेसोत्ति । - जंबु० वक्ख० ४, सु० ६० दाहिणित्ल- सीआमुहवणस्स अट्ठाई पमागं च३३१० भंते! जंबूद्दीने दोघे महाविदेहे वाले सीआए महानईए दाहिणितले सीमामुवणे णामं वर्ग पण्णत्ते ? - अणाढि राहाणीए अवट्ठिई पमाणं च - अनाधृता राजपानी की अवस्थिति और प्रमाण -३३०. ५० - कहि णं भंते ! अणाढिअस्स देवस्स अगाढिआ णामं ३३०. प्र - हे भगवन्! अनाधृत देव की अनाधृता नाम की रायहाणी पण्णत्ता ?" राजधानी कहां कही गई है ? उ० एवं ह व उत्तरित्वं सवाणं तह चैव दाहि पि... भाणियव्वं । णवरं - णिसहस्स वासहरपव्वयस्स उत्तरेणं, सीआए महागईए दाहिने पुरस्थिम लवणसमुहस्स पश्चरिथ मेणं, वच्छस्स विजयस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं जंबुद्दीवे दोये महाविदेहे वासे सीआए महापईए माहिणिले सीयामहवणे णामं वणे पण्णत्ते । उत्तर- दाहिणायए - तहेव सव्वं । णवरं - णिसहवासहरपव्ययंतेणं एगमेगूणवीस इभागं जोयणस्स विक्खंभेणं । किन्हे भाव मया गंधागि मुतेजाब आसयति । गणितानुयोग उ०- हे गौतम! जम्बूद्वीप में मंदर पर्वत के उत्तर में पूर्व वर्णित जमिका राजधानी के प्रमाण के समान अनावृता राजधानी का प्रमाण जानना चाहिए- यावत्-अनाधृत देव का उपपात, अभिषेक आदि का सम्पूर्ण वर्णन यहाँ कहना चाहिए। दक्षिणी शीतामुखवन की अवस्थिति और प्रमाण २२३ ३३१. हे भगवन् जम्बूद्वीप नामक द्वीप के महाविदेह वर्ष में जीता महानदी के दक्षिण में शीता मुखवन नामक वन कहाँ कहा गया है ? उ०- पूर्वोक्त उत्तर के शीतमुख वन के समान दक्षिण के शीताख वन का भी वर्णन कहना चाहिए। विशेष - निषध वर्षधर पर्वत से उत्तर में, शीता महानदी से दक्षिण में, पूर्व लवणसमुद्र से पश्चिम में और यत्मविजय से पूर्व में जम्बुद्वीप नामक द्वीप के महाविदेह वर्ष में दक्षिणी शीतामुख वन नामक वन कहा गया है। यह उत्तर-दक्षिण में लम्बा है-सब उसी प्रकार है । विशेष – निषेध वर्षधर पर्वत के समीप इसकी चौड़ाई एक योजन के १६ भाग में से एक भाग जितनी है । यह कृष्ण-श्याम है कृष्णावभास- श्याम जैसा है- यावत् - यह अत्यधिक गन्ध छोड़ता है— यावत्-वहाँ देवता बैठते हैं । संदेह उमओ पास रोह परमवरवेइयाहि सपरिक्खिते । इति दुण्ह वि वण्णओ । - जं० ० ४ ० २६ चाहिए। उत्तरिल्ल सीआमुहवणस्स अवट्टिई पमाणं य३३२. ५० – कहि णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहे बासे सीआए महानईए उत्तरिल्ले सीआयने नाम वर्ग पम्पले ? यह दोनों ओर दो पद्मवरवेदिकाओं और दो वनखंडों से घिरा हुआ है। यहां दोनों (पद्मवर वेदिकाओं) का वर्णन कहना उत्तरी शीताख वन की अवस्थिति और प्रमाण३३२. प्र० - हे भगवन् ! जम्बूद्वीप नामक द्वीप के महाविदेह क्षेत्र में शीता महानदी के उत्तर में शीतामुख वन नामक वन कहाँ कहा गया है ? उ०- गोयमा ! नीलवंतस्स वासहरपव्वयस्स दक्खिणेणं, सीआए महाणईए उत्तरेणं पुरत्थिम- लवणसमुद्दस्स पच्चत्थिमेणं, पुक्खलावइ चक्कवट्टिविजयस्स पुरत्थि मेणं एत्थ णं सोआमुहवणे णामं वणे पण्णत्ते । उत्तर-वाहिणायए पाईण-पडीमचित्विक्शे सोलस जोयणसहस्सा पंचबाणउए जोअणसए दोग्णि असोलह हजार पांच सौ बान उ०- हे गौतम! नीलवन्त वर्षधर पर्वत से दक्षिण में, शीता महानदी से उत्तर में पूर्वी लवणसमुद्र से पश्चिम में तथा पुष्कलावती चक्रवर्ती विजय से पूर्व में शीतामुख वन नाम का वन कहा गया है । -१ प० कहि णं भंते ! अणाढियस्स-जाव- समत्ता वत्तव्वया रायहाणीए महिड़ढीए । यह उत्तर-दक्षिण में लम्बा और पूर्व पश्चिम में पोड़ा है, [१६५६२] योजन तथा दो योजन - जीवा प० ३, उ० २, सु० १५२
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy