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________________ २०८. लोक-प्रज्ञप्ति तिर्यक् लोक : महाविदेह वर्ष सूत्र २६१-२६२ १८ (२) सुपम्हेविजए, सीहपुरारायहाणी, खीरोदामहाणई । १८(२) सुपद्मविजय, सिंहपुरा, राजधानी, क्षीरोदा महानदी है। १६ (३) महापम्हेविजए, महापुरारायहाणी, पम्हावईवक्खार- १६(३) महापद्मविजय, महापुरा राजधानी, पद्मावती पचए। वक्षस्कार पर्वत है। २० (४) पम्हगावईविजए, विजयपुरारायहाणी, सीअसोआ- २०(४) पद्मगावती विजय, विजयपुरा राजधानी, शीतश्रोता महाणई । महानदी है। २१ (५) संखेविजए, अपराइयारायहाणी, आसीविसे-वक्खार- २१(५) शंखविजय, अपराजिता राजधानी, आशिविषवक्षपव्वए। स्कार पर्वत है। २२ (६) कुमुदेविजए, अरजारायहाणी, अंतोवाहिणीमहाणई। २२(६) कुमुदविजय, अरजा राजधानी, अंतोवाहिनी महा नदी है। २३ (७) णलिणेविजए, असोगारायहाणी सुहावहे वक्खारपव्वए। २३(७) नलिनबिजय, अशोका राजधानी, सुखावह वक्षस्कार पर्वत है। २४ (८) णलिणावईविजए, वीयसोगारायहाणी।' ___ २४(८) नलिनावती विजय, वीतशोका राजधानी है। दाहिणिल्ले सीओआमुखवणसंडे, उत्तरिल्ले वि एमेव दक्षिणी शीतोदा मुखवन खण्ड (का जैसा वर्णन है) वैसा ही भाणियब्वे-जहा सीआए। उत्तरी (शीतोदामुख वन खण्ड का वर्णन) भी कहना चाहिए। जिस प्रकार शीतामुखवन खण्ड का (वर्णन है उसी प्रकार शीतोदामुखवनखण्ड का वर्णन है)। वप्पाइविजया, वक्खारपब्वया, महाणईओ, वप्रादिविजय, वक्षस्कारपर्वत, महानदियाँ और रायहाणीओ य राजधानियां२६२. २५ (१) वप्पेविजए, विजयारायहाणी, चंदेवक्खारपब्वए। २६२. (१) (इसी प्रकार) वप्रविजय, विजया राजधानी, चन्द्र वक्षस्कार पर्वत है। २६ (२) सुवप्पेविजए वेजयंतीरायहाणी, ओम्मिमालिणी णई। २६(२) सुवप्रविजय, वैजयन्ती राजधानी, ऊर्मीमालिनी नदी है। २७ (३) महाबप्पेविजए, जयंतीरायहाणी, सूरेवक्खारपव्वए। २७(३) महावप्रविजय, जयन्ती राजधानी सूर्यवक्षस्कार पर्वत है। १ (क) जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमेणं, णिसढवासहरपव्वयस्स उत्तरेणं, सीतोदाए महाणईए दाहिणणं, सुहावइस्स वक्खारपब्बयस्स पच्चत्थिमेणं, पच्चत्थिमलवणसमुदस्स पुरत्थिमेणं-एत्थणं सलीलावई णाम विजए पण्णत्तेतत्थ णं (सलीलावई विजए) वीयसोगणामं रायहाणी... -णायाधम्म० अ०८ (णलिणावती, विजय का दूसरा नाम सलिलावती विजय भी है।) (ख) तत्थ ताव सीओआए महाणईए दक्खिणिल्ले णं कूले इमे विजया पण्णत्ता, तं जहागाहा-पम्हे सुपम्हे महापम्हे, चउत्थे पम्हगावई। संखे कुमुए णलिणे अट्ठमे णलिणावई ।। (ग) ....इमाओ रायहाणीओ पण्णत्ताओ तं जहा-- गाहा–आसपुरा, सीहपुरा महापुरा, चेव हवइ विजयपुरा । अबराइया य अरया, असोगा तह वीतसोगा य । (घ) ....इमे वक्खारा पण्णता, तं जहा–१. अंके, २. पम्हे, ३. आसीविसे, ४. सुहावहे । एवं इत्थ परिवाडीए दो दो विजया कूटसरिसणामया भाणियव्वा । दिसा-विदिसाओ य भाणियब्वाओ। सीओआमुहवणं च भाणियव्वं । सीओआआए दाहिणिल्लं उत्तरिल्लं च। (ङ) इमाओ णईओ सीओआए महाणईए दाहिणिल्ले कूले खीरोओ, सीअसोया, अन्तरवाहिणींओ । (च) ठाणं० ८. सु० ६३७ ।
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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