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सूत्र २६०-२६१
तिर्यक् लोक : महाविदेह वर्ष
गणितानुयोग
२०७
सुसीमारायहाणी तं चैव पमाणं'।
(इस विजय की राजधानी का नाम) सुसीमाराजधानी है,
इसका प्रमाण पूर्वोक्त (अयोध्या के समान) है। १० (२) तिउडेवक्खारपब्वए, सुवच्छेविजए, कुण्डलारायहाणी। १०(२) आगे त्रिकूटवक्षस्कार पर्वत, सुवत्सविजय, कुण्डला
राजधानी है। ११ (३) तत्तजलामहाणई, महावच्छेविजए, अपराजिताराय- ११(३) तप्तजलामहा नदी, महावत्सविजय, अपराजिता हाणी।
राजधानी है। १२ (४) वेसमणकूडवक्खारपव्वए, बच्छावई विजए, पभंकरा- १२(४) वैश्रमणकूट, वक्षस्कार पर्वत, वत्साबतीविजय; रायहाणी।
प्रभंकरा राजधानी है। १३ (५) मत्तजलामहाणई, रम्मेविजए, अंकावईरायहाणी। १३(५) मत्तजला महानदी, रम्यविजय अंकावती राजधानी हैं। १४ (६) अंजणेवक्खारपब्वए, रम्मगेविजए पम्हावईरायहाणी। १४(६) अंजनवक्षस्कार पर्वत, रम्यविजय, पद्मावती
___ राजधानी है। १५ (७) उम्मत्तजलामहाणई रमणिज्जेविजए सुभारायहाणी। १५(७) उन्मत्तजला महानदी, रमणीयविजय, सुभा राज
धानी है। १६ (८) मायं जले (णे) वाखारपवर मंगलावई विजए रयण- १६(८) मातंजलवक्षस्कार पर्वत, मंगलावतीविजय, रत्नसंचया संचयारायहाणी।
राजधानी है। एवं जहचेव सीयाए महाणईए उत्तरंपासं तह चेव जिस प्रकार सीता महानदी के उत्तर पार्श्व का वर्णन किया दक्विणिलं भाणियब्बं । दाहिणिल्लसीआमुहवणाइ ।५ है। उसी प्रकार दक्षिण पार्श्व का वर्णन कहना चाहिए। दक्षिणी
-जंबु. वक्ख० ४ सु० ६६ शीतामुखवनादि का वर्णन भी कहना चाहिए"। पम्हाइविजया, वक्खारपब्वया, महाणईओ, राय- पद्मविजय, वक्षस्कार पर्वत, महानदियाँ और राजधानियाँ
हाणोओ य२६१. १७ (१) एवं पम्हे विजए, अस्सपुरारायहाणी, अंकावई- २६१. १७(१) इसीप्रकार पद्मविजय, अश्वपुरा राजधानी, वक्वारपव्वए।
अंकावती वक्षस्कार पर्वत है।
१-"वच्छस्स विजयस्स णिसहे दाहिणेणं, सीआ उत्तरेणं, दाहिणिल्लसीयामुहवणे पुरथिमेणं तिउडे पच्चत्थिमेणं सुसीमारायहाणी। पमाणं तं चेवेति ।"
-जंबु० बक्ख०४,सु०६६ इसी सत्र की टीका में यह कथन है कि सुसीमा राजधानी का प्रमाण जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति वक्षस्कार ३ सूत्र ४१ में वर्णित बिनीता
(अयोध्या) के समान है। इसी प्रकार सभी विजयों की सभी राजधानियों का प्रमाण अयोध्या के समान समझना चाहिए। २ इमे वक्खार कूडा पण्णत्ता, तं जहा
गाहा-तिउडे, बेसमणकू डे, अंजणे, मायंजणे ।
णईउ तत्तजला, मतजला, उम्मत्तजला ।। ३ इमे विजया पण्णत्ता, तं जहागाहा-वच्छे सुवच्छे महावच्छे, चउत्थे बच्छगावई ।
रम्मे रम्मए चेव, रमणिज्जे मंगलावई ।। ४ इमाओ रायहाणीओ पप्णत्ताओ, तं जहागाहा–सुसीमा कुडला चेव, अबराइअ पहंकरा ।
अंकावई पम्हावई, सुभा रयणसंचया ॥ ५ (क) इस मूल पाठ के आगे (जंबु० दक्ख ० ४, सु०६६) के मूलपाठ में सुसीमा राजधानी की अवस्थिति, (गद्य में) तथा वक्ष
स्कार पर्वत, नदियाँ, विजय और राजधानियों के नामों की गाथाएँ हैं। निर्धारित संकलनपद्धति के अनुसार गद्यपाठ और
गाथाय यहाँ दी गई हैं। (ख) ठाण-८, सु० ६३७ ।
धालयों के नाम कापाल सीमा नाशत नपश्चिति अनुमा ढपा बजार