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२०६ लोक-प्रज्ञप्ति
उ०- गोपमा नीलवंतस्स दाहिणेणं, सीमाए महानईए उत्तरेणं पंकाए पुरत्यिमेवं, एक्सेलस्स क्वारपव्वयस्स पच्चत्थिमेणं, एत्थ णं पुक्खलावत्ते णामं विजय पण्णत्ते ।
तिर्यक लोक महाविदेह व
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जहाँ छवि
तहाण
देवे महिड्दिए- जाव- पलिओवमट्टिइए परिवसइ ।
से एएम गं गोपमा ! एवं बुध-गुलाव विनए पुक्तावले बिनए जम्बु० बक्ख० ४, सु० ६५ (८) पुक्खलावई विजयस्स अवट्ठिई पमाणं च - २०२० भिते महाविदेहे वासेपुखलाई गाम चक्कवट्टिविजए पण्णत्ते ?
प्र० -
उ०- गोयमा ! गीततरस दक्षिणं, सीमाए महानईए उत्तरेणं, उत्तरिल्लास सीआयणरस पञ्चरियमे सीआमुहवणस्स एगसेलस्स वत्रखारपव्वयस्स पुरत्थिमेणं, एत्थ णं महाविदेहे वासे पुक्खलावई णामं विजए पण्णत्ते ।
उत्तर- दाहिणायए, एवं जहा कच्छ विजयस्स-जावपुत्रलाई अस्य देवे महापलिओ afg परिवस |
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गं गोवमा ! एवं बुवइ-क्लावईविए जिए'।
अट्ठ रायहाणीओ
विजया भणिआ, रायहाणीओ इमाओ
उ०- गोपमा । जिसहस्स वासहरपव्ययस्स उत्तरेणं, सोयाए महाणईए दाहिणेणं दाहिणिल्लस्स सीआमुहवणस्स परियमेगं तिउडरस बनणारपव्ययस्स पुरत्यिमेणं एत्थ णं जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे वच्छे णामं विजए पण्णत्ते ।
१ ठाणं० ८, सु० ६३७ ॥
सूत्र २८८-२६०
उ०- गौतम ! नीलवन्त के दक्षिण में, सीता महानदी के उत्तर में पंकावती के पूर्व में तथा एक वक्षस्कार पर्वत के पश्चिम में पुष्कलावर्त नामक विजय कहा गया है।
इसका वर्णन कच्छविजय के समान जानना चाहिए- यावत् यहां पुष्कल नामक मकयात्पत्योपम की स्थिति वाला देव रहता है ।
इस कारण गौतम ! पुष्कलावतंविजय कोपुष्कलावतं विजय कहते हैं।
(८) पुष्कलावती विजय की अवस्थिति और प्रमाण
२०१. प्र० भगवन् महाविदेह वर्ष में पुष्कलावती नामक - ! चक्रवर्ती विजय कहाँ कहा गया है ?
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उ०- गौतम ! नीलवन्त के दक्षिण में सीता महानदी के उत्तर में उत्तरी सीतामुखवन के पश्चिम में तथा एकल वक्षस्कार पर्वत के पूर्व में महाविदेह वर्ष में पुष्कलावती नामक विजय कहा गया है ।
यह उत्तर-दक्षिण में लम्बा है, शेष वर्णन कच्छविजय के समान है यावत्-यहां पुण्डलावती नामक महद्धिक पावत्पत्योपम की स्थिति वाली देवी रहती है।
इस कारण गौतम ! इसका नामक पुष्कलावती विजय कहा गया है ।
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गाहा खेमा खेमपुरा चैब रिहा रिपुरा तहा। खग्गी मंजूला अनि अ, ओसही पुण्डरिगिणी ॥
- जंबु० वक्ख० ४, सु० ६५ वच्छाइविजया, वक्खारपव्वया, महाणईओ, राय हाणीओ प
२६० प्र० - ६ ( १ ) कहि णं भंते ! जम्बुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे २६० प्र० - ६ ( १ ) भगवन् ! जम्बूद्वीप नामक द्वीप के महाविदेह वच्छे णामं विजए पण्णत्ते ? क्षेत्र में वत्स नामक विजय कहाँ कहा गया है ?
आठ राजधानियाँ
आठ विजय कहे गये हैं, उनकी राजधानियाँ ये हैं
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गावा (१) मा (२) क्षेमपुरा, (३) रिष्टा, (४) रिष्टपुरा, (५) खड्गी, (६) मंजूषा, (७) औषधी, (८) पुण्डरी किणी । ....
वत्सादिविजय, वक्षस्कार पर्वत, महानदियाँ और राजधानियाँ
उ०- गौतम निषधर पर्यंत के उत्तर में, सीतामहानदी के दक्षिण में, दक्षिणी सीतामुखवन के पश्चिम में और त्रिकूट वक्षस्कार पर्वत के पूर्व में जम्बूद्वीप नामक द्वीप के महाविदेह क्षेत्र में वत्स नामक विजय कहा गया है।