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सत्त वासा (खेत्त) वण्णओ
सप्त वर्ष (क्षेत्र) वर्णन
मणुआणं उप्पइठाणं
मनुष्यों की उत्पत्ति के स्थान२३०. ५०-कहि णं भंते ! मणुस्साणं पज्जत्ताऽपज्जत्ताणं ठाणा २३०. प्र०-भगवन् ! पर्याप्त और अपर्याप्त मनुष्यों के स्थान पण्णता?
__ कहाँ हैं ? उ०-गोयमा ! अंतोमणुस्सखेत्ते पणतालीसाए जोयणसत- उ०-गौतम ! मनुष्यक्षेत्र में हैं, पैतालीस लाख योजन
सहस्सेसु अड्ढाइज्जे दीवस मुद्देसु पाणरससु कम्म- (लम्बे-चौडे) अढाई द्वीप में हैं, पन्द्रह कर्मभूमियों में, तीस अकर्मभूमीसु तोसाए अकम्मभूमीसु छप्पण्णाए अंतरदीवेसु । भूमियों में और छप्पन अन्तर्वीपों में हैं। इनमें पर्याप्त और
एत्थ णं मणुस्साणं पज्जत्ताऽपज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता। अपर्याप्त मनुष्यों के स्थान हैं। उववाएणं लोयस्स असंखेज्जइभागे।
उपपात की अपेक्षा-लोक के असंख्यातवें भाग में उत्पन्न
होते हैं। समुग्धाएणं सव्वलोए।
समुद्घात की अपेक्षा–सम्पूर्ण लोक में समुद्घात करते हैं । सटाणेणं लोयस्त असंखेज्जइभागे ।
स्वस्थान की अपेक्षा-लोक के असंख्यातवें भाग में इनके –पण्ण, पद० २, सु० १७६ स्थान हैं । जंबुद्दीवे सत्तवासा
जम्बूद्वीप में सात क्षेत्र२३१.५०-जंबुद्दीवे गं भंते ! दीवे कतिवासा पण्णता? २३१. प्र०-भगवन् ! जम्बूद्वीप नामक द्वीप में कितने वर्ष (क्षेत्र)
कहे गये हैं ? उ०-गोयमा ! सत्तवासा पण्णत्ता, तं जहा-(१) भरहे, उ०-गौतम ! सात वर्ष कहे गये हैं, यथा-(१) भरत,
(२) एरवए, (३) हेमवए, (४) हिरणवए, (५) हरि- (२) ऐरवत (३) हैमवत, (४) हैरण्यवत, (५) हरिवर्ष, (६) वासे, (६) रम्मगवासे, (७) महाविदेहे।' रम्यक्वर्ष, (७) और महाविदेह ।
-जंबु० वक्ख० ६, सु० १२५ २३२. जंबूमंदरस्स दाहिणणं तओ वासा पण्णत्ता, तं जहा- २३२. जम्बूद्वीप के मेरुपर्वत से दक्षिण में तीन वर्ष (क्षेत्र) कहे (१) भरहे, (२) हेमवए, (३) हरिवासे ।
गये हैं, यथा-(१) भरत, (२) हैमवत, (३) हरिवर्ष । २३३. जंबूमंदरस्स उत्तरेणं तओ वासा पण्णत्ता, तं जहा- २३३. जम्बूद्वीप के मेरुपर्वत से उत्तर में तीन वर्ष (क्षेत्र) कहे गये (१) रम्मगवासे, (२) हिरण्णवए, (३) एरवए। हैं, यथा-(१) रम्यक् वर्ष, (२) हैरण्यवत, (३) ऐरवत ।
-ठाणं० ३, उ० ४, सु० १६७
१ (क) ठाणं ७, सु० ५५५ ।
(ख) सम० ७. सु० ३।
(ग) ठाणं ६, सु० ५२२ ।