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________________ सूत्र २०५.२०८ अधोलोक गणितानुयोग १०१ उ० गोयमा ! तओ परिसातो पण्णत्ताओ, तं जहा१. समिता, २. चंडा, ३. जाता। १. अमितरिता-समिता, २. मज्झिमिया-चंडा, ३. बाहिरिया च-जाया। -जीवा० पडि० ३, उ० १, सु० ११८ । उ. हे गौतम ! तीन परिषदाएँ कही गई हैं, यथा१. समिता, २. चंडा, ३. जाता। १. आभ्यन्तर परिषद-समिता, २. माध्यमिका परिषद-चंडा, ३. बाह्य परिषद-जाता । तिविहासु चमरपरिसासु देवाण संखा तीन प्रकार की चमर परिषदाओं में देवों की संख्या२०६ : ५० [१] चमरस्स गं भंते ! असुरिदस्स असुररन्नो २०६ : प्र० [१] हे भगवन् ! असुरराज असुरेन्द्र चमर की अभितरपरिसाए कति देवसाहस्सीओ आभ्यन्तर परिषद के कितने हजार देव कहे गये हैं ? पण्णत्ताओ? [२] मज्झिमपरिसाए कति देवसाहस्सोओ [२] मध्यम परिषद के कितने हजार देव कहे गये हैं ?.. पण्णत्ताओ? [३] बाहिरियाएपरिसाए कति देवसाहस्सीओ [३] बाह्य परिषद के कितने हजार देव कहे गये हैं ? पण्णत्ताओ? उ० गोयमा ! [१] चमरस्स णं असुरिंदस्स असुररन्नो उ० [१] हे गौतम ! असुरराज असुरेन्द्र चमर की आभ्यन्तर अग्भितरपरिसाए चउवीसं देवसाहस्सीओ पण्णत्ताओ। परिषद के चौबीस हजार देव कहे गये हैं। [२] मज्झिमिताएपरिसाए अट्ठावीसं देवसाहस्सीओ [२] मध्यम परिषद के अठाबीस हजार देव कहे गये हैं । पण्णत्ताओ। [३] बाहिरियाए परिसाए बत्तीसं देवसाहस्सीओ [३] बाह्य परिषद के बत्तीस हजार देव कहे गये हैं। पण्णत्ताओ। -जीवा० पडि० ३, उ० १, सु० तिविहासु चमरपरिसासु देवीण संखा- तीन प्रकार की चमर परिषदाओं के देवियों की संख्या२०७:५० [१] चमरस्स गं भंते ! असुरिदस्स मा २०७:प्र० [१] हे भगवन् ! असुरराज असुरेन्द्र चमर की ___ अभितरपरिसाए कति देविसया पण्णत्ता? आभ्यन्तर परिषद में कितनी देवियाँ कही गई हैं ? [२] मज्झिमियाए परिसाए कति देविसया पण्णता? [२] माध्यमिका परिषद में कितनी देवियाँ कही गई हैं ? [३] बाहिरियाए परिसाए कति देविसया पण्णता? [३] बाह्य परिषद में कितनी देवियाँ कही गई है ? उ० [१] गोयमा ! चमरस्स णं असुरिंदस्स असुररनो उ० [१] हे गौतम ! असुरराज असुरेन्द्र चमर की आभ्यन्तर अमितरियाए परिसाए अबुट्ठा देविसता परिषद में साढ़े तीनसौ देवियाँ कही गई है। पण्णत्ता। [२] मज्झिमियाए परिसाए तिन्नि देविसया पण्णत्ता। [२] माध्यमिका परिषद में तीनसौ देवियाँ कही गई है । [३] बाहिरियाए परिसाए अड्ढाइज्जा देविसता [३] बाह्य परिषद में ढाईसौ देवियाँ कही गई है। पण्णत्ता। -जीवा० पडि० ३, उ० १, सु० ११८ । चमरस्स तिण्हं परिसाणं हेऊ चमर की तीन परिषदाओं के प्रयोजन२०८ : प० से केण? णं भंते ! एवं वुच्चति ? चमरस्स असुरिं- २०८ : प्र. हे भगवन् ! असुरराज असुरेन्द्र चमर की तीन परिषद दस्स असुररन्नो तो परिसाओ पण्णत्ताओ, तं जहा- क्यों कही गई है, यथा १. ठाणं. ३, उ०२, सु० १५४ ।
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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