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लोक- प्रज्ञप्ति
अधोलोक
सभाए संभखा
सभा की स्तम्भ संख्या
१६६ : चमरस्स णं असुरिदस्स असुररन्नो सभा सुधम्मा एकावन्न १६६ : असुरराज असुरेन्द्र चमर की सुधर्मा सभा इक्कावनसी
स्तम्भों से युक्त कही गई है।
खंभसयसंनिविट्ठा पण्णत्ता ! एवं चैव बलिस्स वि
इसी प्रकार बली की ( सुधर्मा सभा के भी स्तम्भ हैं ।)
- सम० ५१, सु० २-३ ।
सुहम्मा सभाए उच्चत्तं
२०० : चमरस्स णं असुरिदस्स असुररण्णो सभा सुहम्मा छत्तीसं जोयणाई उड्ढ उच्चतेणं होत्था ।
- सम० ३६, सु० २ ।
चमरथंचाए एक्कमेक्कबाराए भोमा
२०२ : चमरस्स णं असुरिदस्स असुररण्णो चमर चंचाए राय
हामी एक्कमेस्कावाराए तेती
तेतीस भोमा पष्णता । - सम० ३३, सु० २ ।
उबवाय. विरहो-
उपपात विरह
२०१ : चमरचंचा णं रायहाणी उक्कोसेणं छम्मासा विरहिए २०१ : चमर चंचा राजधानी में उपपात ( इन्द्र की उत्पत्ति) का
उपवाए ।
विरह उत्कृष्ट छः मास का है ।
- ठाणं ६, सु० ५३५ ।
सूत्र १६६- २०५
- सम० १६, सु० ६ ।
एएस
इसविहाणं भवगवासीगं देवागं इस रक्ता पण्णत्ता तं जहा- गाहा :आसत्य, सतिबण्ये, सामल, उंबर, सिरोस, दहि वंजुल, पलास, वप्पे तए य, कणियार रुक्खे ॥
- ठाण० १०, सु० ७३६ ।
भवण्यइण परिसाओ चमरस्स परिसाओ
सुधर्मा सभा की ऊँचाई—
:
२०० असुरराज असुरेन्द्र चमर की सुधर्मा सभा छत्तीस योजन की ऊंची थी ।
उवायारियलेणं
उपकारिकालयन
२०३ : चमरवली णं उवयारियालेणे सोलसजोयणसहस्साइं २०३ : चमर और बली के उपकारिका लयनों का आयाम - विष्कंभ आयाम विक्खंभेणं पण्णत्ते । सोलह हजार योजन का कहा गया है ।
चमर चंचा के प्रत्येक द्वार के बाहर भौम (नगर) - २०२ : असुरराज असुरेन्द्र चमर की चमर चंचा राजधानी के प्रत्येक द्वार के बाहर तेतीस तेतीस भौमनगर कहे गये हैं ।
भवणवासिदेवाणं चेयरखा
भवनवासी देवों के चैत्य वृक्ष
२०४ : दसविहा भवणवासी देवा पण्णत्ता, तं जहा असुरकुमारा २०४ : भवनवासी देव दस प्रकार के कहे गये हैं, यथा-असुर जाय पणियकुमारा । कुमार यावत् स्तनितकुमार ।
इन दस प्रकार के भवनवासी देवों के दस प्रकार के चैत्य वृक्ष कहे गये हैं, यथा-गाथार्थ :
१ अश्वत्थ २ शक्तिपर्ण ३ शाल्मली ४ उंबर ५ शिरीष ६ दधिवर्ण । ७ वंजुल ८ पलाश वप्र १० कर्णिकार ॥
भवनपतियों की परिषदाएँचमर की परिषदाएँ
२०५ : प० चमरस्स णं भंते ! असुरिदस्स असुररनो कति २०५ : प्र० हे भगवन् ! असुरराज असुरेन्द्र चमर की कितनी परिसातो पण्णत्ताओ ?
परिषदाएँ कही गई है ?
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