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लोक-प्रज्ञप्ति
अधोलोक
सूत्र १८६-१८६
भवणवइइंदाणं अग्गमहिसीओ
भवनपति इन्द्रों की अग्रमहिषियाँ१८६ : १. चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररणो पंच अग्ग- १८६ : १. असुरकुमारराज असुरेन्द्र चमर की पांच अग्रमहिषियाँ महिसीओ पण्णताओ, तं जहा
कही गई हैं, यथा(१) काली, (२) राई, (३) रयणी, (१) काली, (२) राजि, (३) रत्नी, (४) विज्जू, (५) मेहा ।
(४) विद्युत, (५) मेघा । २. बलिम्स णं वइरोणिदस्स वइरोयणरण्णो पंच अग्ग- २. वैरोचनराज वैरोचनेन्द्र बली की पाँच अग्रमहिषियाँ कही महिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा
गई हैं, यथा(१) सुभा, (२) निसुभा, (३) रंभा, (१) शुभा, (२) निःशुभा, (३) रंभा, (४) निरंभा, (५) मयणा ।
(४) निरंभा, (५) मदना। -ठाणं० ५, उ० १, सु० ४०३ ।
१८७ : १. धरणस्स णं नागकुमारिदस्स नागकुमाररण्णो छ १८७ : १. नागकुमारराज नागकुमारेन्द्र धरण को छह अग्रअग्गमहिसोओ पण्णत्ताओ, तं जहा
महिषियाँ कही गई हैं, यथा१-६ आला जाव घणविज्जुया ।
(१-६) आला यावत् घनविद्युता । २. भूयाणंदस्स णं नागकुमारिदस्स नागकुमाररण्णो छ २. नागकुमारराज नागकुमारेन्द्र भूतानन्द की छह अग्रअग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा
महिषियाँ कही गई हैं, यथा१-६ रूवा जाव रूवप्पभा।
(१-६) रूपा यावत् रूपप्रभा । जहा धरणस्स तहा सव्वेसि २-१० दाहिणिल्लाणं दक्षिण दिशा के घोष पर्यन्त सभी (शेष आठ इन्द्रों) जाव घोसस्स।
___ की अग्रमहिषियों के नाम धरण जैसे हैं। जहा भूयाणंदस्स तहा सव्वेसि २-१० उत्तरि- उत्तर दिशा के महाघोष पर्यन्त सभी (शेष आठ इन्द्रों) ल्लाणं जाव महाघोसस्स।
की अग्रमहिषियों के नाम भूतानन्द जैसे हैं। -ठाणं० ६, सु० ५०८ ।
१८:छ दिसिकुमारिमहत्तरियाओ पण्णत्ताओ, तं जहा
(१) रूया, (२) ख्यंसा, (३) सुरूवा, (४) रूपवई, (५) रूपकता, (६) रूपप्पमा। छ विज्जुकुमारिमहत्तरियाओ पण्णत्ताओ, तं जहा
१८८ : दिशाकुमारियों में महत्तरिका-प्रधान छह कही गई हैं, यथा
(१) रूपा, (२) रूपांशा, (३) सुरूपा, (४) रूपवती, (५) रूपकांता, (६) रूपप्रभा।
विद्युत्कुमारियों में महत्तरिका-प्रधान छह कही गई हैं, यथा
(१) आला, (२) शक्रा, (३) शतेरा, (४) सौदामिनी, (५) इन्द्रा, (६) घनविद्युता।
(१) आला, (२) सक्का, (३) सतेरा, (४) सोयामणी, (५) इंदा, (६) घनविज्जुया।'
-ठाणं०६, सू० ५०७ ।
१८९ : चत्तारि दिसाकुमारिमहत्तरियाओ पण्णत्ताओ, तं जहा- १८६ : दिशाकुमारियों में महत्तरिका-प्रधान चार कही गई हैं,
यथा(१) ख्या, (२) ख्यंसा, (३) सुरूवा, (४) रूपबई। (१) रूपा, (२) रूपांशा, (३) सुरूपा, (४) रूपवती।
(१) रूपा. (२)
१. इन सत्रों में छह छह महत्तरिकाओं के जो नाम हैं वे ऊपर ५०८ सूत्र में दिये गये नामों के समान हैं। इसलिए 'अग्रमहिषी'
और 'महत्तरिका' ये दोनों शब्द पर्यायवाची प्रतीत होते हैं।