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________________ सूत्र १६२-१६४ अधोलोक पति गतिविस पण ? उ० गोयमा ! जाव आहेसत्तमाए पुढवीए, तच्चं पुण पुढव गता य, गमिस्संति य । भंते! अमुरकुमाराणं देवाणं आहे प० किपत्तियं णं भंते ! असुरकुमारा देवा तच्चं पुढवि गता य, गमिस्संति य ? उ० गोवमा ! पुख्ववेरियस वा वेदण उदीरणवाए, पुखसंगतियस्स वा वेदण-उवसामणयाए। एवं खलु असुरकुमारा देवा तच्चं पुढव गता य, गमिस्संति य । -भग० स० ३, उ० २, सु० ५-७ । असुरकुमाराणं तिरियगविसयपस्यणा १६३ : प० अत्थि णं भंते ! असुरकुमाराणं देवाणं तिरियं गतिविसए पण्णत्ते ? उ० हंता, अस्थि । प० केवति यं च णं भंते ! असुरकुमाराणं देवाणं तिरियं गतिविस पण्णत्ते ? उ० गोयमा ! जाव असंखेज्जा दीव-समुद्दा, नंदिस्सरवर पुणदीवं गता य, गमिस्संति य । प० किपत्तियं णं भंते! असुरकुमारा देवा नंदीसरवर दीवं गता य, गमिस्संति य ? उ० गोयमा ! जे इमे अरिहंता भगवंता एतेसि णं जम्मण महेसु वा निक्खमण महेसु वा णाणुत्पत्ति-महिमासु वा, परिनिव्वाण - महिमासु वा एवं खलु असुरकुमारा देवा नंदीसरवरं दीवं गता य, गमिस्संति य । -भग० स० ३, उ० २, सु० ८-१० । असुरकुमाराणं उड्ढगइविसयपरूवणा १६४: प० अस्थि भंते! असुरकुमाराणं देवानं उड़ गति सिए पगले ? उ० हंता, अत्थि । प० कंवति यं च णं भंते! असुरकुमाराणं देवानं उ गति सिए पम्पले ? उ० गोयमा ! जाव अच्चुतो कप्पो । सोहम्मं पुण कप्पं गता य, गमिस्संति य । प० पिलियं गं घं असुरकुमारा देवा सोहम् कप्पं ! गमिस्संति य ? गता य, गणितानुयोग ८१ प्रo हे भगवन् ! असुरकुमारों की नीचे जाने की शक्ति कितनी कही गई है। उ० हे गौतम! नीचे सातवी पृथ्वी पर्यन्त जाने की शक्ति है और तीसरी पृथ्वी पर्यन्त तो गये हैं और जायेंगे भी। प्रo हे भगवन्! असुरकुमार देव तीसरी पृथ्वी पर्यन्त क्यों गये और क्यों जायेंगे । उ० हे गौतम ! पूर्व जन्म के वैरी से बदला लेने के लिए और पूर्व जन्म के साथी की वेदना उपशान्त करने के लिए असुरकुमार देव तीसरी पृथ्वी तक गये हैं और जायेंगे भी । असुरकुमारों की तिर्यक्लोक में जाने की शक्ति का प्ररूपण - १६३० हे भगवन्! क्या अनुरकुमारों की तिलोक में जाने की शक्ति कही गई है ? उ० हाँ कही गयी है ! प्रo हे भगवन् ! असुरकुमारों की तिर्यक् लोक में जाने की शक्ति कितनी कही गई है ? उ० हे गौतम! यावत् असंख्य समुद्रपर्यन्त जाने की शक्ति है और नंदीश्वरद्वीप पर्यन्त गये हैं और पुनः जोयेंगे भी। प्रo हे भगवन् ! असुरकुमार देव नंदीश्वर द्वीप क्यों गये और क्यों जायेंगे ? उ० हे गौतम ! जो ये अर्हन्त भगवन्त हैं (अतीत में हुए हैं और भविष्य में होंगे) इनके जन्म महोत्सवों में निष्क्रमण - महोत्सवों में (केवल) ज्ञानोत्पत्ति - महोत्सवों में और निर्वाण - महोत्सवों में असुरकुमार देव नंदीश्वर द्वीप गये है और जायेंगे भी। असुरकुमारों की उर्ध्वलोक में जाने की शक्ति का प्ररूपण १६४ : प्र० हे भगवन् ! क्या असुरकुमार देवों की उर्ध्वलोक में जाने की शक्ति कही गई है ? उ० हाँ ( कही गई ) है । प्रo हे भगवन्! असुरकुमार देवों की उर्ध्वलोक में जाने की शक्ति कितनी कही गई है ? उ० हे गौतम! अच्युतकल्प पर्यन्त जाने का सामर्थ्य है और सौधर्मकल्प पर्यन्त तो गये हैं और जायेंगे भी। प्रo हे भगवन् ! असुरकुमार देव सौधर्मकल्प पर्यन्त क्यों गये और क्यों जायेंगे ?
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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