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________________ ६८ लोक-प्रज्ञप्ति अधोलोक सूत्र १४७-टिप्पण www शेष दस प्रस्तटों में से प्रत्येक प्रस्तट की पूर्वादि चारों दिशा तथा विदिशाओं में से एक-एक नरकावास कम होने पर प्रत्येक प्रस्तट में ८, ८ नरकावास कम हो जाते हैं। प्रथम प्रस्तट में २८५ आवलिकाप्रविष्ट नरकावास हैं। द्वितीय प्रस्तट में २७७ आवलिकाप्रविष्ट नरकावास हैं। तृतीय प्रस्तट में २६६ आवलिकाप्रविष्ट नरकावास हैं। चतुर्थ प्रस्तट में २६१ आवलिकाप्रविष्ट नरकावास हैं । पंचम प्रस्तट में २५३ आवलिकाप्रविष्ट नरकावास हैं। षष्ठ प्रस्तट में २४५ आवलिकाप्रविष्ट नरकावास हैं। सप्तम प्रस्तट में २३७ आवलिकाप्रविष्ट नरकावास हैं। अष्टम प्रस्तट में २२६ आवलिकाप्रविष्ट नरकावास हैं। नवम प्रस्तट में २२१ आवलिकाप्रविष्ट नरकावास हैं। दशम प्रस्तट में २१३ आवलिका प्रविष्ट नरकावास हैं । एकादश प्रस्तट में २०५ आवलिकाप्रविष्ट नरकावास हैं । इस प्रकार ११ प्रस्तटों में आवलिकाप्रविष्ट नरकावास २६६५ हैं और आवलिकाबाह्य (प्रकीर्णक) नरकावास चौबीस लाख सत्तानवें हजार तीन सौ पाँच (२४,९७,३०५) हैं। आवलिकाप्रविष्ट और आवलिका बाह्य नरकावासों की संयुक्त संख्या पच्चीस लाख (२५०००००) है। गाहा–सत्ताणउइ सहस्सा, चउवीसं लक्ख तिसय पंचऽहिया । बीयाए सेढिगया, छव्वीससया उ पणनउया ।। (३) वालुकाप्रभा में प्रस्तट है प्रथम प्रस्तट की पूर्वादि चारों दिशाओं में से प्रत्येक दिशा में २५, २५ आवलिकाप्रविष्ट नरकावास हैं और प्रत्येक विदिशा में २४, २४ आवलिका प्रविष्ट नरकावास हैं। मध्य में एक नरकेन्द्रक-प्रमुख नरकावास है। इस प्रकार प्रथम प्रस्तट में आवलिका प्रविष्ट नरकावास १६७ हैं। शेष आठ प्रस्तटों की प्रत्येक दिशा-विदिशा में एक-एक नरकावास कम होने पर प्रत्येक प्रस्तट में आठ-आठ नरकावास कम हो जाते हैं। प्रथम प्रस्तट में १९७ आवलिकाप्रविष्ट नरकावास हैं । द्वितीय प्रस्तट में १८६ आवलिकाप्रविष्ट नरकावास हैं । तृतीय प्रस्तट में १८२ आवलिकाप्रविष्ट नरकावास हैं। चतुर्थ प्रस्तट में १७३ आवलिकाप्रविष्ट नरकावास हैं । पंचम प्रस्तट में १६५ आवलिकाप्रविष्ट नरकावास हैं। षष्ठ प्रस्तट में १५७ आवलिकाप्रविष्ट नरकावास हैं । सप्तम प्रस्तट में १४६ आवलिकाप्रविष्ट नरकावास हैं। अष्टम प्रस्तट में १४१ आवलिकाप्रविष्ट नरकावास हैं । नवम प्रस्तट में १३३ आवलिकाप्रविष्ट नरकावास हैं। इस प्रकार प्रस्तटों में आवलिकाप्रविष्ट नरकावास १४८५ हैं। और आवलिका बाह्य नरकावास चौदह लाख अठानवे हजार पाँच सौ पन्द्रह (१४,६८,५१५) हैं। आवलिकाप्रविष्ट और आवलिकाबाह्य नरकावासों की संयुक्त संख्या पन्द्रह लाख (१५०००००) हैं। गाहा-पंचसया पन्नारा, अडनवइ सहस्स लक्ख चोइस य । तइयाए सेढिगया, . पणसीया चोइससया उ ।। (४) पंकप्रभा में सात प्रस्तट हैं प्रथम प्रस्तट की पूर्वादि चारों दिशाओं में से प्रत्येक दिशा में १६, १६ आवलिका प्रविष्ट नरकावास हैं। और प्रत्येक विदिशा में १५, १५ आवलिका प्रविष्ट नरकावास हैं । मध्य में एक-नरकेन्द्र प्रमुख नरकावास है। (क्रमशः)
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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