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लोक-प्रज्ञप्ति
अधोलोक
सूत्र १०४-१०६
प० सक्करप्पभाए णं भंते ! पुढवीए घणवाए केवतियं प्र० हे भगवन् ! शर्कराप्रभा पृथ्वी के घनवात का बाहुल्य बाहल्लेणं पन्नत्ते !
कितना कहा गया है ? उ० गोयमा! असंखेज्जाइं जोयणसहस्साई बाहल्लेणं उ० हे गौतम ! असंख्य हजार योजन का बाहल्य कहा पन्नत्ते।
गया है। एवं तणुवातेऽवि, ओवासंतरेऽवि । जहा सक्कर- इसीप्रकार तनुवात का और अवकाशान्तर का प्पभाए पुढवीए वत्तव्वया-एवं जाव अहेसत्तमा। (बाहल्य भी कहा गया है।) जिसप्रकार शर्कराप्रभा
पृथ्वी के सम्बन्ध में कहा गया है-इसीप्रकार यावत् -जीवा० पडि० ३, उ०१, सु०७२। नीचे सप्तम पृथ्वी पर्यंत कहना चाहिए।"
घणोदहिवलयाईणं पमाणं
घनोदधि वलय आदिका प्रमाण१०५:५० इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए घणोदधिवलए १०५ : प्र० हे भगवन् ! इस १. रत्नप्रभा पृथ्वी के घनोदधि केवतियं बाहल्लेणं पन्नत्ते ?
वलय का कितना बाहल्य कहा गया है ? उ० गोयमा ! छजोयणाणि बाहल्लेणं पण्णत्ते ।
उ० हे गौतम ! छ योजन का बाहल्य कहा गया है । प० सक्करप्पभाए णं भंते ! पुढवीए घणोदधिवलए प्र. हे भगवन् ! २. शर्कराप्रभा पृथ्वी के घनोदधि वलय का केयति यं बाहल्लेणं पन्नत्ते ?
कितना बाहल्य कहा गया है ? उ० गोयमा ! सतिभागाइं छजोयणाई बाहल्लेणं उ० हे गौतम ! छ योजन और एक योजन के तीन भाग पण्णत्ते।
जितना बाहल्य कहा गया है। प० वालुयप्पभाए णं भंते ! पुढवीए घणोदधिवलए केवतियं प्र० हे भगवन् ! ३. वालुकाप्रभा पृथ्वी के घनोदधि वलय __ बाहल्लेणं पण्णते?
का कितना बाहल्य कहा गया है ? उ० गोयमा ! तिभागूणाई सत्तजोयणाई बाहल्लेणं उ० हे गौतम ! तीन भाग कम सात योजन का बाहल्य पण्णते।
कहागया है। एवं एएणं अभिलावेण पंकप्पभाए सत्तजोयणाई
इसीप्रकार के प्रश्नोत्तरों से ४. पंक प्रभा (पृथ्वी के बाहल्लेणं पण्णत्ते।
घनोदधि वलय का) बाहल्य सात योजन का कहा गया है। धूमप्पभाए सतिभागाइं सत्तजोयणाई बाहल्लेणं ५. धूमप्रभा (पृथ्वी के घनोदधि वलय का) बाहल्य पण्णत्ते।
एक योजन के तीन भाग सहित सात योजन का कहा
गया है। तमप्पभाए तिभागूणाई अटू जोयणाई बाहल्लेणं ६. तमः प्रभा (पृथ्वी के घनोदधि वलय) का बाहल्य पण्णत्ते।
तीन भाग कम आठ योजन का कहा गया है। तमतमप्पभाए अट्ट जोयणाई बाहल्लेणं पण्णत्ते। ७. तमस्तम प्रभा (पृथ्वी के घनोदधि वलय) का
-जीवा० पडि०३, उ० १, सु० ७६ । बाहल्य आठ योजन का कहा गया है।....
१०६:५० इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए घणवायवलए केवितियं १०६ :प्र० हे भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी के घनवातवलय बाहल्लेणं पण्णत्ते?
का कितना बाहल्य कहा गया है ? उ० गोयमा ! अद्धपंचमाई जोयणाई बाहल्लेणं पण्णत्ते। उ० हे गौतम ! साढ़े चार योजन का बाहल्य कहा गया है। प० सक्करप्पभाए पुढवीए घणवायवलए केवतियं प्र. हे भगवन् ! शर्कराप्रभा पृथ्वी के घनवातवलय का बाहल्लेणं पण्णते?
कितना बाहल्य कहा गया है? उ० गोयमा ! कोसूणाई पंचजोयणाई बाहल्लेणं उ० हे गौतम ! एक कोश कम पाँच योजन का बाहल्य कहा पण्णत्ताइ।
गया है।
१.
सम० २०, सु० ३ ।