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लोक-प्रज्ञप्ति
अधोलोक
सूत्र ७६-८२
७६:५० इमा णं भंते ! रयणप्पभा पुढवी केवतियं आयाम- ७६ :प्र. हे भगवन् ! यह रत्नप्रभापृथ्वी कितनी लम्बी-चौड़ी
विक्खं भेणं ? केवतियं परिक्खेवेणं पण्णता? है ? और उसकी परिधि कितनी कही गई है? उ० गोयमा ! असखेज्जाइं जोयणसहस्साई आयाम- उ. हे गौतम ! असंख्य हजार योजन की लम्बी-चौड़ी है
विक्खंभेणं, असंखेज्जाई जोयणसहस्साई परिक्खेवेणं और असंख्य योजन की परिधि कही गई है।
पण्णत्ता। . एवं जाव अहेसत्तमा।
इसीप्रकार यावत् नीचे सप्तम पथ्वी पर्यन्त है। -जीवा० पडि० ३, उ०१, सु० ७६ ।
८०: प० इमाणं भंते ! रयणप्पा पुढवी अंते य, मज्झे य, ८०: प्र. हे भगवन् ! क्या यह रत्नप्रभा पृथ्वी अन्त में, मध्य सव्वत्थ समा बाहल्लेणं पण्णत्ता?
में, और सर्वत्र समान बाहल्य (मोटाई) वाली कही गई है ? उ० हंता, गोयमा ! इमा णं रयणप्पभा पुढवी अंते य, उ० हाँ गौतम ! यह रत्नप्रभा पृथ्वी अन्त में, मध्य में और
मज्झे य, सव्वत्थ समा बाहल्लेणं पण्णत्ता। सर्वत्र समान बाहल्यवाली कही गई है। एवं जाव अहेसत्तमा।
इसी प्रकार यावत् नीचे सप्तम पथ्वी पर्यन्त है। -जीवा० पडि० ३, उ० १, सु०७६ ।
८१: प० इमा णं भंते ! रयणप्पभापुढवी दोच्चं पुढवि पणिहाय ८१ :प्र. हे भगवन् ! क्या यह रत्नप्रभा पृथ्वी द्वितीय (शर्करा सब्वमहं तिया बाहल्लेणं ? सव्वखुडिडया सव्वंतेसु ? प्रभा) पृथ्वी की अपेक्षा मोटाई में सबसे बड़ी है ? तथा चारों
दिशाओं में सबसे छोटी है ? उ० हंता गोयमा ! इमा णं रयणप्पभापुढवी दोच्चं पुढवि उ. हाँ गौतम ! यह रत्नप्रभापृथ्वी द्वितीय पृथ्वी की अपेक्षा
पणिहाय सव्वमहंतिया बाहल्लेणं, सव्वखुड्डिया मोटाई में सबसे बड़ी है और चारों दिशाओं में सबसे छोटी है।
सव्वतेसु। प० दोच्चा णं भंते ! पुढवी तच्चं पुढवि पणिहाय सब- प्र० हे भगवन् ! क्या द्वितीय पृथ्वी तृतीय पृथ्वी की अपेक्षा
महंतिया बाहल्लेणं? सव्वखुड्डिया सव्वतेसु? मोटाई में सबसे बड़ी है तथा चारों दिशाओं में सबसे छोटी है ? उ० हंता गोयमा ! दोच्चाणं पुढवी तच्चं पुढवि पणिहाय उ० हाँ गौतम ! द्वितीय पृथ्वी तृतीय पृथ्वी की अपेक्षा
सव्वमहंतिया बाहल्लेणं, सव्वखुड्डिया सव्वतेसु। मोटाई में सबसे बड़ी है तथा चारों दिशाओं में सबसे छोटी है। एवं एएणं अभिलावेणं जाव छद्विता पुढवी अहेसत्तमं इसीप्रकार प्रश्नोत्तरों में यावत् छठी पृथ्वी नीचे पुढवि पणिहाय सव्वमहंतिया बाहल्लेणं, सव्वखुड्डिया सप्तम पृथ्वी की अपेक्षा मोटाई में सबसे बड़ी है और सव्वंतेसु।
चारों दिशाओं में सबसे छोटी है। --जीवा० पडि० ३, उ० २, सु० ६२ ।
८२:५० [१] इमा णं भंते ! रयणप्पभापुढवी दोच्चं पुढवि ८२: प्र० [१] हे भगवन् । यह रत्नप्रभापृथ्वी द्वितीय (शर्करा
पणिहाय बाहल्लेणं कि तुल्ला? विसेसाहिया ? प्रभा) पृथ्वी की अपेक्षा मोटाई में क्या तुल्य है ? विशेषाधिक संखेज्जगुणा?
है ? या संख्यातगुण है ? [२] वित्थरेणं कि तुल्ला? विसेसहीणा ? संखेज्जगुण- [२] विस्तार से क्या तुल्य है ? विशेष-हीन है ? या संख्यात
गुणहीन है ?
होणा?
१. भग० स १३, उ० ४, सु० १० ।