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________________ ३० लोक-प्रज्ञप्ति द्रव्यलोक सूत्र ६१-६२ प०[२(१-६) अणाणुपुव्वीदव्वाणं पुच्छा उ० (१) एगदव्वं पडुच्च नो संखेज्जइ भागे होज्जा', (२) असंखेज्जइभागे होज्जा, (३) नो संखेज्जेसु भागेसु होज्जा, (४) नो असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा, (५) नो सव्वलोए होज्जा, (६) नाणादग्वाइं पडुच्च नियमा सव्वलोए होज्जा। प्र० [२] (१-६) अनानुपूर्वी द्रव्यों के प्रश्न करें उ० (१) एक द्रव्य की अपेक्षा (लोक के) संख्यात भागमें नहीं हैं। (२) असंख्यातवें भाग में हैं। (३) संख्येयभागों में नहीं हैं। (४) असंख्यभागों में नहीं हैं। (५) या सम्पूर्ण लोक में (भी) नहीं हैं। (६) नाना द्रव्यों की अपेक्षा निश्चित रूप से सम्पूर्ण लोक में हैं। [३] इसीप्रकार अवक्तव्य द्रव्य भी कहलवाने चाहिए। ३] एवं अवत्तव्वगदव्वाणि विभाणियव्वाणि। -अणु० सु० १५२ [१-२-३] । गम-ववहारनयावेक्खा लोगे आणपुवी दवाईणं नैगम और व्यवहार नयकी अपेक्षा से लोक में आनअत्थित्तं पूर्वी द्रव्यादि का अस्तित्व६२ :प०१] (१) णेगम-ववहाराणं आणुपुव्वीदव्वाइं लोगस्स ६२: प्र० १. (१) नैगम और व्यवहार नयकी अपेक्षा से आनुपूर्वी कतिभागे होज्जा? द्रव्य लोक के कितने भाग में हैं ? (२) कि संखेज्जई भागे होज्जा? (२) क्या लोक के संख्यातवें भाग में हैं ? (३) असंखेज्जई भागे होज्जा? (३) असंख्यातवें भाग में हैं ? (४) संखेज्जेसु भागेसु होज्जा ? (४) संख्येयभागों में हैं ? (५) असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा ? (५) असंख्येयभागों में हैं ? (६) सव्वलोए होज्जा? (६) सम्पूर्ण लोक में हैं ? उ० (१) एगदव्वं पडुच्च लोगस्स संखेज्जइ भागे वा होज्जा। उ० (१) एक द्रव्य की अपेक्षा लोक के संख्यातवें भाग में हैं। (२) असंखेज्जइभागे वा होज्जा। (२) असंख्यातवें भाग में हैं। (३) संखेज्जेसु भागेसु वा होज्जा। (३) संख्येयभागों में हैं। (४) असंखेज्जेसु भागेसु वा होज्जा । (४) असंख्येयभागों में हैं। . (५) सव्वलोए वा होज्जा। (५) और सम्पूर्ण लोक में भी हैं। (६) नाणादब्वाइं पडुच्च नियमा सव्वलोए होज्जा। (६) नाना द्रव्यों की अपेक्षा निश्चितरूप से सम्पूर्ण लोक में हैं। प०[२] (१) णेगम-ववहाराणं अणाणपुथ्वीदव्वाई कि प्र०२. (१) नैगम और व्यवहारनयकी अपेक्षा से अनानलोगस्स संखेज्जइभागे होज्जा? पूर्वीद्रव्य क्या लोक के संख्यातवें भाग में हैं ? (२) असंखेज्जइभागे होज्जा? (२) असंख्यातवें भाग में हैं? (३) संखेज्जेसु भागेसु होज्जा ? (३) संख्येयभागों में हैं ? (४) असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा ? (४) असंख्येयभागों में हैं ? (५) सव्वलोए वा होज्जा? (५) या सर्व लोक में हैं ? उ० (१) एगदव्वं पडुच्च [लोगस्स] नो संखेज्जइभागे उ० (१) एक द्रव्य की अपेक्षा (लोक के) संख्यातवें भाग में होज्जा नहीं हैं। (२) असंखेज्जइभागे होज्जा। (२) असंख्यातवें भाग में हैं। १. अनानुपूर्वी द्रव्य सम्बन्धी इस प्रथम प्रश्न के उत्तर में 'लोगस्स' इतना अंश नहीं है जब कि ऊपर आनुपूर्वी द्रव्य सम्बन्धी प्रथम प्रश्न के उत्तर में 'लोगस्स' इतना अंश है। सम्भव है अतीत में लिपिक की यह भूल हुई है। अतः मलपाठ की शुद्धि के लिए भगीरथ प्रयत्न आवश्यक है।
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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