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________________ लोक-प्रज्ञप्ति जीवदयाणं बोहा धम्मदयाणं धम्मदेसयाणं धम्म नायगाणं धम्मसार होणं 'धम्मद रचाउरतचक्क वट्टीर्ण, दीवो ताणं सरणं गई अपsिहयवर नाणवं सणधराणं विमदृछउमाणं, विगाणं जावयाणं, तिष्णाणं तारयाणं बुद्धार्ण बोहयाणं, मुत्ताणं मोगा सम्वन्नूणं, सव्ववरिसीणं, विमलमच अनंतम क्लयम व्यायाम गरावितिविडिय लोक नामधेय ठाणं संपाविकामानं ठाणं संपता । www. सूत्र १ जीव (भाव प्राण अर्थात् अमरणधर्मस्य देनेवालों को, बोधि (बोधि-बीज सम्यय) देनेवालों को, धर्म देनेवालों (अगारधर्म और अनगारधर्म का स्वरूप बताने वालों) को, धर्म-देशकों को, धर्म-नायकों को, धर्म के सारथियों को, धर्म के श्रेष्ठ चातुरंत चक्रवतियों (तीन ओर समुद्र तथा एक ओर हिमालय पृथ्वी के इन चार अंत तक जिनका स्वामित्व हैं, ऐसे बैंतियों के समान जो है उन को, दीप के समान ( समस्त वस्तुओं के जो प्रकाशक हैं) अथवा द्वीप के समान (संसार समुद्र में रहे हुए प्राणी नाना दुःख रूप, कल्लोंलों के आघात से जो त्रस्त हैं उनके लिए आश्रय स्थान) हैं, अनर्थों से बचाने में जो त्राण रक्षा रूप है, अर्थ-सम्पादन के लिए जो शरण-आश्रय स्थान है, दुस्थितजनों की सुस्थिति के लिए जो गति आश्रय स्थान है, संसारगर्त में गिरते हुए प्राणिव के लिए जो प्रतिष्ठाआधारभूत है ( उनको ),.. अप्रतिहत नष्ट न होने वाले श्रेष्ठ (केवल) ज्ञान तथा (केवल दर्शन के धारकों को, को, जिनका छद्म (माया-क्याय) निवृत हो गया है उनको. जिनों (रागादि जीतने वालों) को, ज्ञायकों (रागादि के स्वरूप, कारण, तथा फल जानने वालों) मुक्त (बाह्याभ्यन्तरन्थियों से अथवा कर्मबंध से मुक्त को, मोचकों (जो मुक्तात्माओं के उपदेशानुसार चलते हैं उनके वे (मुक्तात्मा) मोचक हैं उन ) को, सर्वज्ञों को, सर्वदशयों को शिव (सर्व-पव-रहित) अचल, अरुज (रोम-रहित) अनन्त, अक्षय, अग्याबाध (पीड़ारहित ) अपुनरावर्तक (पुन - ओब० सु० - १२ । र्जन्म रहित ) ऐमे सिद्धिगति नामक स्थान प्राप्त करने की कामना वालों को तथा ऐसे सिद्धिगति नामक स्थान प्राप्त (सिद्धों) को तिरने वालों (संसार-सागर तिरने वालों को, तारकों (संसार-सागर तिरने का उपदेश देने वालों) को, बुद्धों को, बोधकों (बोध देनेवालों) को,
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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